सेहत से बाजार तक मौसम की मार

चिंता . आसमान से आग बरसाती गरमी ने हर किसी को तबाह कर दिया है सीवान : मौसम अपना ही रिकार्ड हर दिन तोड़ते हुए नजर आ रहा है. आसमान से आग बरसाती हुई गरमी ने हर किसी को तबाह कर दिया है, जिसका असर लोगों की सेहत पर पड़ रहा है. साथ ही अब […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 24, 2016 5:45 AM
चिंता . आसमान से आग बरसाती गरमी ने हर किसी को तबाह कर दिया है
सीवान : मौसम अपना ही रिकार्ड हर दिन तोड़ते हुए नजर आ रहा है. आसमान से आग बरसाती हुई गरमी ने हर किसी को तबाह कर दिया है, जिसका असर लोगों की सेहत पर पड़ रहा है. साथ ही अब कारोबार भी प्रभावित होने लगे हैं. शीतल पेय पदार्थ के कारोबारी मौसम को लेकर उत्साहित हैं, जबकि अन्य कारोबारी परेशान हैं.
जेठ की दोपहरी का एहसास कर रहे लोग : मौसम की मार से लोग परेशान हैं. अधिकतम तापमान 40 से 43 डिग्री सेल्सियस तक रह रहा है. तापमान पर नजर दौड़ायें तो 15 अप्रैल को तापमान 24 से 42 डिग्री, 16 अप्रैल को 24 से 43 डिग्री, 17 अप्रैल को 26 से 40 डिग्री, 18 अप्रैल को 31 से 41 डिग्री, 19 अप्रैल को 26 से 43 डिग्री, 20 अप्रैल को 26 से 43 डिग्री, 21 अप्रैल को 26 से 42 डिग्री, 22 अप्रैल को 30 से 42 डिग्री तथा 23 अप्रैल को 27 से 42 डिग्री तक रहा. इससे लोग अधिकांश समय अपने-अपने घरों में कैद रह रहे हैं.
डायरिया के मरीजों की बढ़ी संख्या : मौसम में बदलाव का असर है कि हर दिन सदर अस्पताल में डायरिया से पीड़ित मरीज दर्जनभर संख्या में भरती हो रहे हैं, जिन्हें पर्याप्त स्वास्थ्य इंतजाम नहीं होने से परेशान होना पड़ रहा है. विभागीय अधिकारियों की मनमानी इस कदर है कि पूर्व से स्थापित डायरिया वार्ड अब गोदाम में तब्दील हो गया है. प्रयोग योग्य नहीं रह गये बेड व अन्य सामग्री वार्ड में रखे गये हैं. इसके चलते यहां के बजाय मरीजों को इंमरजेंसी वार्ड में भरती करना पड़ रहा है, जिसका खामियाजा आपातकाल में लाये गये अन्य मरीजों को भुगतना पड़ रहा है.
महामारी की तरह फैल रहा चेचक : मौसम में बदलाव का असर चेचक से पीड़ित मरीजों पर भी पड़ रहा है. लगातार ऐसे मरीजों की संख्या बढ़ रही है. हुसैनगंज व जीरादेई के दर्जनभर गांवों में महामारी की तरह चेचक फैल गया है. स्वास्थ्य टीम ने इन गांवों का दौरा कर उपचार के साथ ही साफ-सफाई का विशेष ध्यान देने का निर्देश दिया है. इससे प्रभावित होनेवालों में सबसे अधिक संख्या बालकों की है.
बेजुबान भी हैं परेशान : मौसम की मार से बेजुबान भी परेशान हैं. पोखरा व अन्य जलाशय के सूख जाने से पशुओं को परेशानी झेलनी पड़ रही है, जिसका असर उनकी सेहत पर पड़ रहा है. बुखार के अलावे अन्य बीमारियों से पशु पीड़ित हो रहे हैं. इस मौसम में दुधारू पशुओं में दूध की मात्रा भी गरमी के चलते कम हो गयी है.
शीतल पेय के कारोबारी प्रसन्न : इस मौसम को शीतल पेय पदार्थों के कारोबारियों के लिए बेहतर माना जा रहा है.इस बार अनुमान से अब तक बीस प्रतिशत अधिक कारोबार हुआ है. शहर के सीतारामनगर निवासी राजेश कुमार का कहना है कि गत वर्ष से इस बार अप्रैल माह में तकरीबन बीस फीसदी अधिक कारोबार हुआ है. अब तक 8 हजार पेटी शीतल पेय की खपत रही है. जबकि गत वर्ष के अप्रैल माह में 6200 पेटी शीतल पेय की खपत रही थी. यहीं बातें बबुनिया रोड के शीतल पेय के थोक कारोबारी रियाजुद्दीन व आंदर ढाला के जीतेंद्र सिंह कहते हैं. इससे कारोबारी उत्साहित हैं. इसके अलावा तरबूज, खीरा, ककड़ी समेत अन्य सामानों की मांग बढ़ी है. इसको लेकर इसके कारोबारी उत्साहित हैं.
फूल की मंडी पर मौसम की मार
नगर के जेपी चौक के समीप स्थित फूल के कारोबार पर मौसम का सीधा असर पड़ा है. फूल की आवग भी कम हो गयी है. फूल कारोबारी महेश मल्होत्रा कहते हैं कि एक दिन पूर्व 100 पेटी फूल कोलकता की मंडी से आयी थी. आज मात्र साठ पेटी ही फूल मंगाया गया है. कारोबारी दीलिप कुमार का कहना है कि इस गरमी में फूल सूख जा रहे हैं, जिससे उनकी कीमत पर भी असर पड़ा है. कारोबारियों का कहना है कि लगन अधिक होने के बाद भी उपलब्धता कम होने से कारोबार प्रभावित हो रहा है.
अब टिकोरों को चाहिए बारिश की संजीवनी
सीवान. अप्रैल में ही पड़ रही चिलचिलाती गरमी का आम पर भी असर दिखने लगा है. टिकोरा देख कर किसान तो खुश नजर आ रहे हैं, लेकिन ज्यादा तापमान व बीच-बीच में चल रहे तेज हवा के कारण टिकोरा गिरने से किसानों की चिंता बढ़ गयी है. क्योंकि अभी तक बारिश नहीं हुई है.
इस समय बारिश हुई तो टिकोरों के लिए यह बारिश संजीवनी साबित होगी. दरौली के किसान सुरेंद्र पांडेय कहते हैं कि आम की सिंचाई नहीं होने के कारण टिकोरे गिरते जा रहे हैं. बारिश के अभाव में न सिर्फ टिकोरे गिर रहे हैं, बल्कि जो है भी उनके दाने भी छोटे हो रहे हैं. उन्होंने कहा कि चपाकल से कुछ पेड़ों में पानी दिया जा रहा है, लेकिन यह रोजना संभव नहीं है. बारिश हो जाये तो यह टिकोरे बच सकते हैं.

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