निजी नहीं, प्रोफेशनल कारणों से हुई हत्या
जांच. भारतीय प्रेस परिषद की दो सदस्यीय टीम ने राजदेव हत्याकांड की ली जानकारी, टीम के सदस्यों ने कहा, पत्रकार के परिजनों से मुलाकात कर उनकी बातों को भी सुना सीवान : पत्रकार राजदेव रंजन की हत्या को लेकर गुरुवार को भारतीय प्रेस परिषद की दो सदस्यीय टीम यहां जांच के लिए पहुंची. टीम में […]
जांच. भारतीय प्रेस परिषद की दो सदस्यीय टीम ने राजदेव हत्याकांड की ली जानकारी, टीम के सदस्यों ने कहा,
पत्रकार के परिजनों से मुलाकात कर उनकी बातों को भी सुना
सीवान : पत्रकार राजदेव रंजन की हत्या को लेकर गुरुवार को भारतीय प्रेस परिषद की दो सदस्यीय टीम यहां जांच के लिए पहुंची. टीम में शामिल परिषद के सदस्य के अमरनाथ और प्रकाश दूबे पत्रकार राजदेव रंजन के गांव हकाम गये व पत्रकार के परिजनों से मिल कर घटना की तहकीकात की. इस दौरान परिजनों को सहायता व दोषियों को सजा दिलाने का हर संभव प्रयास करने का विश्वास जताया. यहां राजदेव के पिता राधा कृष्ण चौधरी,
पुत्र आशीष रंजन और पत्नी आशा रंजन से बंद कमरे में भी बातचीत की. इसके पहले पत्रकार भवन में सदस्य के अमरनाथ ने कहा कि किसी भी पत्रकार की हत्या अधिकांशत: उसके निजी कारणों से नहीं, बल्कि प्रोफेशनल कारणों से ही होती है. उन्होंने कहा कि अगर किसी खबर के लिए उनको पहले से धमकी दी जा रही थी, तो परिषद से इसकी शिकायत की जानी चाहिए थी. अब तक की बातचीत से यह बात सामने आयी है कि उनकी जान लेनेवालों की नाराजगी खबरों को लेकर ही रही होगी.
पीसीआइ को सीबीआइ पर भरोसा नहीं : भारतीय प्रेस परिषद (पीसीआइ) के सदस्यों ने पत्रकार भवन में पत्रकारों व आम लोगों से पूछा कि क्या आप लोग राजदेव रंजन हत्याकांड की जांच सीबीआइ से कराना चाहते है? इस बात पर किसी पत्रकार या आम आदमी ने अपनी प्रतिक्रिया नहीं दी. सदस्यों ने सीबीआइ द्वारा जांच किए जाने पर अंगुली उठाते हुए कहा कि आप ही के बिहार में करीब 40 वर्ष पहले समस्तीपुर में ललित नारायण मिश्र की हत्या हुई थी. सीबीआइ को जांच करने की जिम्मेवारी मिली. सवालिया अंदाज में उन्होंने कहा कि क्या हुआ? आज तक उस मामले की जांच पूरी नहीं हुई है.
पत्रकारों के हक के लिए है प्रेस काउंसिल : भारतीय प्रेस परिषद (पीसीआइ) के सदस्यों ने पत्रकार भवन में कहा कि हमने सरकार को पत्रकारों पर होनेवाले हमलों से संबंधित मामलों की सुनवाई के लिए एक विशेष कानून और अलग कोर्ट बनाने की अनुशंसा की थी. इसमें छह माह के अंदर मामले की जांच कर आरोप पत्र समर्पित करने व रोज सुनवाई कर मामले का शीघ्र निष्पादन करने की बात कही थी. उन्होंने कहा कि 2014 में मैंने सरकार को अनुशंसा की थी कि किसी पत्रकार की हत्या होती है, तो केंद्र सरकार उसके परिवार को 10 लाख मुआवजा, एक आश्रित को राज्य या केंद्र सरकार की नौकरी व बच्चों को पढ़ाने का खर्च सरकार उठाये.
लेकिन, अभी तक इस मामले में कुछ नहीं हुआ. उन्होंने पत्रकारों से कहा कि अगर मीडिया हाउस के स्थायी कर्मी नहीं भी हैं, तो भी आपकी शिकायतों पर कार्रवाई होगी. सदस्य प्रकाश दूबे ने कहा कि एक लोकतांत्रिक देश में इस प्रकार की घटना नहीं होनी चाहिए. परिषद की बुनियादी जिम्मेवारी पत्रकारिता का कल्याण व उसकी स्वतंत्रता की रक्षा करना है.
पत्रकार संगठनों ने रखीं मांगें
भारतीय प्रेस परिषद (पीसीआइ) के सदस्यों से पत्रकार भवन में पत्रकारों के विभिन्न संगठनों ने मिल कर विभिन्न मांगें रखीं. इसमें शहीद पत्रकार के बच्चों की शिक्षा का खर्च उठाने, परिजनों को 50 लाख रुपये आर्थिक सहायता उपलब्ध कराने, पत्नी को नियमित शिक्षक के रूप में प्रोन्नति देने, सीबीआइ जांच कराते हुए स्पीडी ट्रायल के तहत जल्द निर्णय सुनाने, पत्रकारों को सुरक्षा उपलब्ध कराने व पत्रकारों के हित में वेज बोर्ड की अनुशंसा को लागू कराने, इच्छुक पत्रकारों को शस्त्र लाइसेंस जारी करने, पत्रकार आवास की पुलिस गश्ती बढ़ाने समेत अन्य मांगें शामिल हैं. मिलनेवालों में बिहार श्रमजीवी पत्रकार यूनियन, नेशनल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट (इंडिया) के अध्यक्ष पांडेय रामेश्वरी प्रसाद उर्फ छोटे बाबु, नेशनल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट (इंडिया) बिहार के जिलाध्यक्ष विजय कुमार पांडेय, श्रमजीवी पत्रकार यूनियन के संयोजक अरविंद कुमार पांडेय,अशोक प्रियंवद, नवीन सिंह परमार, सचिन पर्वत, अनीश पुरुषार्थी, प्रमोद रंजन, अभिषेक श्रीवास्तव, मणिकांत पांडेय, आबिद राज, जमाले फारुख, मुश्ताक अहमद, हिदायतुल्लाह अंसारी, प्रमोद रंजन गिरि, अभिनव पटेल, निरंजन कुमार, मिथिलेश सिंह, शंभू प्रसाद अभय, मृत्युंजय कुमार, अखिलेश श्रीवास्तव शामिल रहे.