वारदात का राज अब तक अनसुलझा

पत्रकार राजदेव हत्याकांड. घटना के 10 दिन बाद भी पुलिस है खाली हाथ सीवान : एक पत्रकार की शहर के भीड़ भरे बाजार में हत्या की खबर ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया. 10 दिन पूर्व वरिष्ठ पत्रकार राजदेव रंजन की बाइक सवार बदमाशों द्वारा हत्या की खबर सुन कर हर कोई स्तब्ध […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 23, 2016 1:21 AM

पत्रकार राजदेव हत्याकांड. घटना के 10 दिन बाद भी पुलिस है खाली हाथ

सीवान : एक पत्रकार की शहर के भीड़ भरे बाजार में हत्या की खबर ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया. 10 दिन पूर्व वरिष्ठ पत्रकार राजदेव रंजन की बाइक सवार बदमाशों द्वारा हत्या की खबर सुन कर हर कोई स्तब्ध रह गया. आखिर एक पत्रकार की हत्या क्यों की गयी? हत्या के पीछे का षड्यंत्र क्या है? ये हत्यारे कौन हैं? उनके मन में उनसे किस बात की टीस थी कि इतने जघन्य ढंग से घटना को अंजाम दिया.
ये सारे सवाल लोगों के जेहन में कौंध रहे हैं. इसका लोग जवाब चाहते हैं. उधर, घटना को लेकर पुलिस की तफतीश अब जारी है. लेकिन, हर कोई अब यह जानना चाहता है कि राजदेव रंजन के परिजनों को आखिर इंसाफ कब मिलेगा? लोगों को आशंका है कि न्यायालय की थकाऊ कार्यप्रणाली का शिकार होकर ऐसा तो नहीं कि न्याय मिलने में कई दशक गुजर जाये.
पचरुखी प्रखंड के हकाम निवासी राजदेव रंजन पत्रकारिता के कैरियर से तकरीबन दो दशक से सक्रिय रहे. जानकारों का कहना है कि कामकाज के दौरान स्वाभाविक रूप से कई लोग उनसे प्रभावित हुए होंगे, तो ऐसे लोगों की भी संख्या रही होगी, जिन्हें खबर के चलते व्यक्तिगत नुकसान हुआ होगा. ऐसे लोग हत्या करने का षड्यंत्र तक कर डालें, तो यह मानवता को शर्मशार करनेवाली जघन्य घटना ही मानी जायेगी. हर घटना की मौलिकता में जर,जोरू व जमीन को कारण माना जाता है.
ऐसे में इन तीनों बिंदुओं की तहकीकात पुलिस द्वारा किया जाना स्वाभाविक है. पुलिस अब तक की जांच में हर पहलू के तह तक जाने की कोशिश कर रही है. जर,जोरू व जमीन तीनों पहलुओं की पुलिस ने अब तक तहकीकात की है. इसमें दो बिंदुओं पर पुलिस को कोई साक्ष्य नहीं मिलने की बात उनके अधिकारी ही कह रहे हैं.
इस दौरान घटना के 10 दिन बाद भी एकमात्र यही पुलिस की जुबानी सुनने को मिल रही है कि भाड़े के बदमाशों ने घटना को अंजाम दिया है. इसके बाद पुलिस के पास गिनाने के लिए कोई उपलब्धि नहीं है. हालांकि पुलिस के अफसर घटना के बाद से ही जल्द मामले का खुलासा करने का दावा करने में लगे हैं. फिलहाल यह भी सवाल है कि अगर आनेवाले दिनों में पुलिस घटना का खुलासा कर भी देती है, तो क्या परिजनों को न्याय मिल पायेगा?
पुलिस के बाद सीबीआइ को भी घटना की जांच करनी है. आमतौर पर सीबीआइ को घटना में चार्जशीट करने में एक दशक से भी अधिक का वक्त गुजर जाता है. ऐसा ही जिले में जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष चंद्रशेखर की हत्या के मामले में देखने को मिला. स्थानीय पुलिस से लेकर सीबीआइ की जांच व न्यायालय की कार्रवाई तक गवाहों पर निर्भर करती है. ऐसे में अब लोगों का कहना है कि राजदेव रंजन के हत्यारों को सजा व परिजनों को इंसाफ मिल पायेगा? इस सवाल का जवाब भी शायद आनेवाला समय ही दे पायेगा.

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