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अब सेविका और सहायिका की बहाली एलएस के जिम्मे

पहले सीडीपीओ को दी गई थी जिम्मेवारी 186 आंगन बाड़ी केंद्र पड़े है बंद जल्द शुरू होगी बहाली की प्रक्रिया सीवान : अब सेविका और सहायिका के बहाली का अधिकार महिला पर्यवेक्षक यानी एलएस को होगा. पहले यह अधिकार सीडीपीओ को था. विभाग का मानना है कि अब एलएस के जिम्मे यह अधिकार आ जाने […]

पहले सीडीपीओ को दी गई थी जिम्मेवारी

186 आंगन बाड़ी केंद्र पड़े है बंद

जल्द शुरू होगी बहाली की प्रक्रिया

सीवान : अब सेविका और सहायिका के बहाली का अधिकार महिला पर्यवेक्षक यानी एलएस को होगा. पहले यह अधिकार सीडीपीओ को था. विभाग का मानना है कि अब एलएस के जिम्मे यह अधिकार आ जाने से आंगनबाड़ी केंद्रों पर योग्य अभ्यर्थियों की बहाली हो सकेगी. क्योंकि एलएस को अपने क्षेत्र की ज्यादा जानकारी होती है. वहीं एलएस के अधिकार को बढ़ाते हुए उन्हें आंगन बाड़ी केंद्रों की जांच और उसकी व्यवस्था को दुरुस्त करने की भी जिम्मेवारी सौंपी गयी है.

जिले में हैं कुल 2912 केंद्र : जिले में 2912 कुल केंद्र हैं जिनमें 2726 केंद्र ही कार्यरत हैं. 186 आंगनबाड़ी केंद्रों पर सेविका और सहायिका की बहाली होनी है. इसके लिए डीपीओ आइसीडीएस ने सभी एलएस को केंद्र की अद्यतन सूची उपलब्ध कराने को कहा गया है. ताकि बहाली की प्रक्रिया शुरू हो सके.

डीपीओ डॉ राजकुमार यादव ने बताया कि केंद्रों के समुचित संचालित के लिए विभाग अपनी तरफ से पूरा प्रयास कर रहा है. एलएस के अधिकार में बढ़ोतरी के साथ ही उनकी जिम्मेवारी भी बढ़ा दी गई है. आंगनबाड़ी केंद्रों का समुचित संचालन हो इसके लिए एलएस ही जिम्मेवार होंगी. केंद्र पर पोषाहार की समुचित व्यवस्था और स्वच्छता का इन्हें खासा ख्याल रखना है. केंद्र पर सभी बच्चे ड्रेस में आयें, इसकी निगरानी भी उन्हें करनी होगी. आम तौर पर एलएस के जिम्मे चार पंचायतें हीं रहती हैं. इसके कारण उनकी निगरानी आसानी से कर सकती हैं. हर केंद्र पर वाटर प्योरिफायर व वेट मशीन की व्यवस्था की गई है.

क्या कहते हैं डीपीओ

आंगनबाड़ी केंद्रों पर सेविका व सहायिका की बहाली अब एलएस द्वारा की जायेगी. साथ ही उनके अधिकार में बढ़ोतरी के साथ उनकी जिम्मेवारी भी बढ़ायी गई है. केंद्र का संचालन उनकी जिम्मेवारी होगी.

डॉ राजकुमार यादव, डीपीओ सीवान

बीएसएनएल : कनेक्ट हो गया तो ठीक, वरना भगवान भरोसे

दरौंदा़ पता नहीं कब गायब हो जाए आपके मोबाइल का टावर और कब काम करना छोड़ दे इंटरनेट. अत्याधुनिक तकनीकी से लैस रहने के बावजूद बीएसएनएल की यहां प्रदत सेवाएं थ्री जी, टू जी, एवं ब्राड बैंड जैसी महत्वपूर्ण सेवा उपभोक्ताओं के लिए परेशानी का सबब बन चुकी है़ मोबाइल सेवाएं ढुलमुल चल रही हैं. दर्जनों बार डायल करने के बाद घंटी बजी तो वन वे हो जाता है और उपभोक्ताओं का पैसा भी कट जाता है. या फिर बात होते ही बीच में ही कॉल ड्रॉप़ डायल करने के बाद अगर दोनों ओर से बात सुचारु ढंग हो गई तो आप अपने को भाग्यवान समझें. जब काम पड़े नेट का तो नेट फेल बताना शुरू कर देना आम बात है़ नेट व मोबाइल सेवा की दिक्कतों के बाबत जब उपभोक्ता विभाग के नंबर पर पूछते हैं तो ऊपर से फेल रहने की बात बतायी जाती है़ इसका जीता जागता नमूना इन दिनों देखने को मिल रहा है़ जैसे ही ब्रांड बैंड सेवा फेल हुई संचार विभाग के अधिकारी के मोबाइल पर घंटी की गयी, उधर से जवाब मिलता है कि नेट फेल है़ यह एक दिन की बात नहीं है़ वैसे भी जब कार्यालय कार्यों के वक्त खत्म हो जाता है तो नेट सही रहता है़

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