कोर्स पूरा करने के लिए कोचिंग में दाखिला मजबूरी
सीवान : नये सत्र में पठन-पाठन शुरू होने को है. स्नातक प्रथम वर्ष में नामांकन की प्रक्रिया जहां लगभग पूरी हो चुकी है, वहीं दूसरी ओर इंटर में भी नामांकन की प्रक्रिया अगस्त में पूरी हो जायेगी. ऐसे में जब महाविद्यालय में पढ़ाई शुरू होगी, तो छात्रों को शिक्षकों की कमी की समस्याओं से दो-चार […]
सीवान : नये सत्र में पठन-पाठन शुरू होने को है. स्नातक प्रथम वर्ष में नामांकन की प्रक्रिया जहां लगभग पूरी हो चुकी है, वहीं दूसरी ओर इंटर में भी नामांकन की प्रक्रिया अगस्त में पूरी हो जायेगी. ऐसे में जब महाविद्यालय में पढ़ाई शुरू होगी, तो छात्रों को शिक्षकों की कमी की समस्याओं से दो-चार होना पड़ेगा. कारण कि किसी भी कॉलेज में यूजीसी की मानक के अनुसार शिक्षक नहीं हैं.
एक ओर सरकार गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की बात कर रही है, वहीं दूसरी ओर उसका ध्यान आधारभूत सुविधाओं पर नहीं है. महाविद्यालयों में शिक्षकों के सेवानिवृत्त होने और उनकी बहाली नहीं होने से पद रिक्त पड़ा हुआ है. अब ऐसे में छात्र-छात्राओं के सामने कोचिंग ही एकमात्र सहारा बच रही है और वे अपना दाखिला धड़ल्ले से कोचिंग संस्थानों में ले रहे हैं. जिले में जेपी विश्वविद्यालय के अंगीभूत छह महाविद्यालय हैं. शिक्षकों के मामले में सबकी स्थति लगभग एक समान है. हरि राम कॉलेज, मैरवा की बात करें तो मौजूदा समय में वहां शिक्षकों की संख्या प्राचार्य को लेकर दो है जबकि शिक्षक के लिये 18 पद स्वीकृत हैं. यहां 12 विषयों में स्नातक की कक्षाएं चलती हैं. भौतिक विज्ञान, रसायन विज्ञान, गणित व जूलॉजी जैसे महत्वपूर्ण विषयों के शिक्षक नहीं हैं.
ऐसा ही हाल नारायण महाविद्यालय, गोरेयाकोठी का भी है. शिक्षकों के स्वीकृत 32 पदों के आलोक में छह शिक्षक कार्यरत हैं. महाविद्यालय में जूलॉजी, बॉटनी, हिंदी, अर्थशास्त्र व भूगोल विषयों के अलावा और किसी विषय के शिक्षक नहीं हैं. जिन विषयों के शिक्षक हैं वे भी पूर्ण नहीं हैं. आरबीजीआर महाविद्यालय, महाराजगंज में पांच शिक्षक कार्यरत हैं. वहीं, शिक्षक के 36 पद स्वीकृत हैं. 13 विषयों में स्नातक की पढ़ाई होती है. रसायन शास्त्र, अंगरेजी, इतिहास व राजनीतिक विज्ञान के अलावा अन्य विषयों के शिक्षक नहीं हैं. आधी आबादी के लिए स्थापित विद्या भवन महिला महाविद्यालय की भी स्थिति चिंताजनक है.
यहां भी प्रमुख विषयों के शिक्षक नहीं हैं. हालांकि स्वीकृत पद व कार्यरत शिक्षकों का आंकड़ा अन्य से कुछ बेहतर है. स्वीकृत 23 शिक्षकों के पद के आलोक में 10 शिक्षक कार्यरत हैं. गणित, बॉटनी, हिंदी, संस्कृत, फिलॉसफी, राजनीतिक विज्ञान, संगीत व गृह विज्ञान के शिक्षक नहीं हैं. राजा सिंह महाविद्यालय भी शिक्षकों के मामलें में गरीब हैं. जिले में डीएवी स्नातकोत्तर महाविद्यालय की गिनती सबसे बेहतर शिक्षण संस्थानों में होती है. महाविद्यालय से प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से मिला कर 10 हजार के करीब छात्र जुड़े हैं. परंतु, हालत यहां भी खस्ता है.
प्राचार्य को मिला कर 27 शिक्षक कार्यरत हैं. महाविद्यालय में 60 के करीब शिक्षकों के पद स्वीकृत हैं. हालात ये हैं कि अधिकतर विभाग एक-एक शिक्षक के भरोसे कार्यरत हैं. कार्यरत शिक्षकों की मानें, तो उन्हें काफी दबाव का सामना करना पड़ता है. प्राचार्य डाॅ अजय कुमार पंडित की मानें, तो सिलेबस कंपलीट करने का दबाव महाविद्यालय प्रशासन पर रहता है.
आरबीजीआर महाविद्यालय के प्राचार्य डाॅ बीके तिवारी ने कहा कि शिक्षको की समस्या को सरकार को प्राथमिकता के तौर पर लेने की जरूरत है. अन्य समस्याओं की तुलना में यह बड़ी समस्या है.