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स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही से लाइलाज बन रहा टीबी

तीन सालों के इलाज के दौरान नौ क्योर तथा 10 मरीजों की हुई मौत सीवान : इलाज वाली बीमारी टीबी पर पूरी तरह नियंत्रण पाने में विभाग असफल रहा है. पिछले दिनों सूबे के स्वास्थ्य विभाग के सचिव सदर अस्पताल आये तथा सभी विभागों को देखा, लेकिन जब टीबी विभाग की बारी आयी, तो उस […]

तीन सालों के इलाज के दौरान नौ क्योर तथा 10 मरीजों की हुई मौत

सीवान : इलाज वाली बीमारी टीबी पर पूरी तरह नियंत्रण पाने में विभाग असफल रहा है. पिछले दिनों सूबे के स्वास्थ्य विभाग के सचिव सदर अस्पताल आये तथा सभी विभागों को देखा, लेकिन जब टीबी विभाग की बारी आयी, तो उस तरफ देखा नहीं. हो सकता हो उनके पास समय न हो. इसकी उपेक्षा होती रही तो वह दिन दूर नहीं जब सभी लोग टीबी बीमारी से ग्रसित हो जाएं. उस दिन इलाज वाली बीमारी टीबी लाइलाज वाली बीमारी भी बन सकती है.
इलाज के दौरान दस टीबी एमडीआर मरीजों की हो चुकी है मौत : जिले के सरकारी अस्पतालों द्वारा प्रतिमाह करीब दो सौ टीबी निगेटिव और टीबी के नये मरीजों की पहचान की जाती है.उसके बाद जिस स्टेज का टीबी होने पर उस स्टेज की दवा मरीजों का उपलब्ध करायी जाती हैं. जिले में अभी करीब 73 टीबी एमडीआर के मरीजों का इलाज चल रहा है. इसमें दो मरीज एक्सडीआर के हैं.
जिले में चार अप्रैल, 2013 से एमडीआर टीबी मरीजों का इलाज शुरू हुआ. एमडीआर मरीजों की 24 माह से लेकर 27 महीने तक दवा चलती है.करीब तीन साल दवा खाने से करीब नौ मरीज ही क्योर हो सके, जबकि इलाज के दौरान करीब दस एमडीआर टीबी के मरीजों की मौत हो चुकी है. मरने वाले एमडीआर मरीजों में एक एक्सडीआर टीबी का भी मरीज भी शामिल है.
कार्यक्रम में जान फूंकने के विभाग के प्रयास हो जाते हैं विफल : जब से यक्ष्मा विभाग की जिम्मेवारी सहायक एसएमओ डॉ सुरेश शर्मा को मिली है, तब से आरएनटीसीपी कार्यक्रम में जान फूंकने का उन्होंने प्रयास किया. जिले के प्राइवेट डॉक्टरों की बैठक बुला कर उन्होंने विभाग को सहयोग कर टीबी कार्यक्रम को सफल बनाने का अनुरोध किया. प्राइवेट में इलाज करानेवाले टीबी के मरीजों का फॉलोअप सही ढंग से नहीं होने के कारण टीबी पर नियंत्रण पाना मुश्किल हो रहा था.
जून महीने में प्राइवेट डॉक्टरों की बैठक के बाद जिले के करीब डॉक्टरों ने विभाग को टीबी मरीजों की जानकारी देनी शुरू कर दी. जुलाई में करीब 62 टीबी के नये मरीजों की जानकारी प्राइवेट डॉक्टरों ने विभाग को दी है. जिले में करीब दो सौ से अधिक प्राइवेट डॉक्टरों में मात्र सात डॉक्टरों में ही टीबी बीमारी के प्रति जागरूकता आयी है. विभाग की योजना है कि अक्तूबर महीने से रोज खाने वाली टीबी की दवा मरीजों को देगा. इसके लिए 13 अगस्त से जिले के करीब दो सौ सरकारी डॉक्टरों का प्रशिक्षण शुरू हो रहा है.
क्या कहते है यक्ष्मा पदाधिकारी
प्राइवेट डॉक्टरों का अब विभाग को सहयोग मिलना शुरू हो गया है. विभाग को सहयोग करनेवाले प्राइवेट डॉक्टरों की संख्या काफी कम है.अक्तूबर माह से प्राइवेट की तरह सरकारी अस्पतालों में भी टीबी के मरीजों को रोज खाने वाली दवा मिलेगी. इसके लिए जिले के सरकारी अस्पतालों के डॉक्टरों को प्रशिक्षित किया जा रहा है.
टीबी मरीजों की संख्या एक नजर में
कुल एमडीआर टीबी मरीज-71
कुल एक्सडीआर टीबी मरीज-दो
तीन सालों में मरे एमडीआर मरीज-नौ
तीन सालों में मरे एक्सडीआर मरीज-एक
तीन सालों में इलाज के बाद क्योर हुए एमडीआर टीबी मरीज-नौ

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