यूपी व राजस्थानी की डिमांड

बकरीद. अब तक अधिकतम साठ हजार में बिके हैं बकरे हर दिन 50 से अधिक बिक रहे बकरे बकरीद पर तीन दिनों तक बकरे की कुरबानी की है परंपरा सीवान : ईद-उल-जोहा अर्थात बकरीद का त्योहार में तीन दिन शेष हैं. ऐसे में कुरबानी के लिए बकरे की खरीद का बाजार गरम है. शहर के […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 10, 2016 7:29 AM
बकरीद. अब तक अधिकतम साठ हजार में बिके हैं बकरे
हर दिन 50 से अधिक बिक रहे बकरे
बकरीद पर तीन दिनों तक बकरे की कुरबानी की है परंपरा
सीवान : ईद-उल-जोहा अर्थात बकरीद का त्योहार में तीन दिन शेष हैं. ऐसे में कुरबानी के लिए बकरे की खरीद का बाजार गरम है. शहर के रेलवे स्टेशन रोड पर अड्डा नंबर दो में पिछले दस दिनों से चहल-पहल कुछ अधिक है. यहां बकरे की मंडी प्रत्येक वर्ष की तरह इस बार भी सज गयी है. बाजार में जैसे खरीदार हैं,उनकी मांग के अनुसार बकरे भी हैं, जिसमें सबसे अधिक राजस्थानी व यूपी के बकरों की मांग है.
तोल-मोल कर हर दिन कारोबारियों के मुताबिक 50 से अधिक बकरे बिक रहे हैं. बकरीद करीब आने के कारण बिक्री की संख्या अब और तेजी से बढ़ने की उम्मीद है. हर साल लगनेवाली बकरे की मंडी में यहां यूपी से लेकर राजस्थान तक के कारोबारी आते हैं. बाजार की ख्याति का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि बकरे के खरीदार भी जिले के अलावा गोपालगंज के विभिन्न हिस्सों से आ रहे हैं. मंडी में लाये गये बकरों की अलग-अलग प्रजाति हैं, तो उनके नाम भी हैं, जिससे वे जाने जा रहे हैं.
कारोबारी मो मारूख कहते हैं कि यूपी के बहराइच से लाया गया बकरा को अरबज, देवरिया के सलेमपुर से लाये गये बकरे को सलमान, हरदोई से लाये गये बकरे को कारोबारी ने शेरू का नाम दिया है. ऐसे ही अन्य नाम से अलग-अलग सबकी पहचान है. इसके अलावा यूपी के कानपुर,गोंडा के अलावा राजस्थान के विभिन्न जिलों से बकरे यहां की मंडी में आये हैं.अब तक अधिकतम साठ हजार रुपये में इसकी बिक्री हुई है. .13 सितंबर को बकरीद है. इसके पूर्व तक खरीदारी चलती रहेगी. परंपरा के अनुसार बकरीद के दिन से लेकर लगातार तीन दिनों तक बकरे की कुरबानी दी जाती है.

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