दहशत व खौफ के बीच गुजरे दो घंटे

शुक्रवार की दोपहर लगभग एक बजे पूर्व सांसद मो. शराबुद्दीन की जमानत सुप्रीम कोर्ट द्वारा रद्द किये जाने के साथ ही जिले भर में अफरातफरी का माहौल रहा. पुलिस प्रशासन इसको लेकर अलर्ट रहा. वहीं, पूर्व सांसद के समर्थकों में काफी मायूसी व नाराजगी देखी गयी. सीवान : सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को राजीव रोशन […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 1, 2016 6:46 AM
शुक्रवार की दोपहर लगभग एक बजे पूर्व सांसद मो. शराबुद्दीन की जमानत सुप्रीम कोर्ट द्वारा रद्द किये जाने के साथ ही जिले भर में अफरातफरी का माहौल रहा. पुलिस प्रशासन इसको लेकर अलर्ट रहा. वहीं, पूर्व सांसद के समर्थकों में काफी मायूसी व नाराजगी देखी गयी.
सीवान : सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को राजीव रोशन हत्याकांड में पूर्व सांसद मो. शहाबुद्दीन की जमानत होने की खबर मिलते ही शहर में गहमागहमी बढ़ गयी. पूर्व सांसद मो. शहाबुद्दीन के प्रतापपुर गांव से लेकर उनके मंडल कारागार जाने तक करीब दो घंटे तक प्रशासन की बेचैनी साफ दिखी. राजद नेता के गांव से लेकर शहर तक तैनात पुलिस बल के साथ मजिस्ट्रेटों की सक्रियता भी बढ़ गयी. पूर्व सांसद के समर्थकों के किसी अनहोनी को अंजाम देने की आशंका से परेशान पुलिस अफसर दौड़ते नजर आये.
कोर्ट में आत्मसमर्पण की प्रक्रिया पूरी होने के बाद पूर्व सांसद के जेल जाने के बाद ही पुलिस व प्रशासनिक अफसरों ने राहत की सांस ली. पूर्व सांसद मो. शहाबुद्दीन अन्य दिनों की तरह सुबह से ही अपने प्रतापपुर गांव स्थित दरवाजे पर समर्थकों के साथ बैठे रहे. दोपहर बाद गांव की मसजिद पर जुमे की नमाज अदा करने गये तथा वहां से लौट कर सीधे अपने घर के कमरे में चले गये. मो. शहाबुद्दीन के मुताबिक, जमानत निरस्त होने की खबर न्यूज चैनलों से मिली.
इसके बाद वह अपने एक साथी के साथ कोर्ट में आत्मसमर्पण के लिए रवाना हो गये. उधर, जमानत निरस्त होने की खबर पूरे शहर में आग की तरह फैल गयी. दोपहर एक बजे सुप्रीम कोर्ट से जमानत निरस्त करने की खबर मिलते ही कलेक्टरेट कैंपस से एक ही वाहन पर सवार होकर डीएम महेंद्र कुमार व एसपी सौरभ कुमार साह सीधे मो. शहाबुद्दीन के घर के लिए प्रतापपुर रवाना हो गये. इनके गांव पहुंचने पर ग्रामीणों से मो. शहाबुद्दीन के कोर्ट में आत्मसमर्पण के लिए रवाना होने की खबर मिली. इस पर दोनों अफसर भारी संख्या में सुरक्षा बलों के साथ व्यवहार न्यायालय पहुंच गये.
यहां तकरीबन सवा घंटे का वक्त आत्मसमर्पण की प्रक्रिया व कोर्ट की सुनवाई में गुजरी. इसके बाद भारी सुरक्षा के बीच पूर्व सांसद को कोर्ट ने मंडल कारागार भेज दिया. उधर, शहर में खौफ का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि भीड़ भरे बाजार से लोगों की संख्या धीरे-धीरे कम होती गयी.
पूर्व सांसद के समर्थक कोर्ट के फैसले को सुनते ही अपनी दुकानें बंद कर व्यवहार न्यायालय की तरफ बढ़ चले. कोर्ट में लोगों की भारी संख्या में मौजूदगी के दौरान कई बार समर्थकों का आक्रोश भी झेलना पड़ा. कोर्ट से जेल ले जाते समय समर्थकों ने पूर्व सांसद के वाहन को रोक कर आक्रोश जताया.
(संबंधित खबरें पेज छह पर)

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