चाइनीज मूर्तियों का पूजन अशुभ

दरौंदा़ : आज दीप पर्व दीपावली है. इस अवसर पर आचार्य जीतेंद्रनाथ पांडेय ने बताया कि दीपावली पर चाइनीज लक्ष्मी व गणेश की मूर्तियों का पूजन अशुभ होता है़ यह धर्मशास्त्र सम्मत नहीं है. वहीं इसका एक कारण यह है कि ये मूर्तियां प्रदूषण को बढ़ावा देती हैं. इन मूर्तियों में आस्था का भाव भी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 30, 2016 12:14 AM

दरौंदा़ : आज दीप पर्व दीपावली है. इस अवसर पर आचार्य जीतेंद्रनाथ पांडेय ने बताया कि दीपावली पर चाइनीज लक्ष्मी व गणेश की मूर्तियों का पूजन अशुभ होता है़ यह धर्मशास्त्र सम्मत नहीं है. वहीं इसका एक कारण यह है कि ये मूर्तियां प्रदूषण को बढ़ावा देती हैं. इन मूर्तियों में आस्था का भाव भी नहीं होता है़

आचार्य श्री पांडेय के अनुसार कुम्हार द्वारा तैयारी की गयी पीली मिट्टी की मूर्तियों की पूजा सबसे ज्यादा श्रेष्ठ व लाभकारी होती है़ इसके अलावा चांदी की गणेश जी और सोने की लक्ष्मी जी की मूर्ति का पूजन करना भी श्रेष्ठ होता है. अगर किसी कारण से मिट्टी की मूर्ति नहीं उपलब्ध हो तो सुपारी के गणेश जी और हल्दी की गांठ को मां लक्ष्मी मान कर पूजा कर सकते हैं.

यह बहुत ही शुभ होता है़ किसी कारण सुपारी भी उपलब्ध न हो सके तो हल्दी की गांठ को गणेशजी और कमल को मां लक्ष्मी मान कर पूजा कर सकते हैं. यह और भी शुभकारी हो सकता है़ कमल की माला को मां लक्ष्मी को अर्पण कर ही महालक्ष्मी के मंत्रों का जाप श्रेष्ठ व फलकारी होता है़ पूजन मुहूर्त पर उन्होंने बताया कि प्रदोष लग्न, वृष लग्न, सिंह लग्न, कुम्भ लग्न और अमृत चर और शुभ की चौघड़िया स्थिर लग्न श्रेष्ठ है.

घराें में दीपावली की तैयारी पूरी
दरौंदा़ रविवार को मनाया जाने वाला दीपों का पर्व दीपावली व लक्ष्मी के स्वागत के लिए दरौंदा प्रखंड मुख्यालय सहित लीला साह के पोखरा, बगौरा, रानीबाड़ी, डीबी बाजार, जलालपुर, भीखाबांध, रामगढ़ा, शेरपुर सहित विभिन्न बाजारों में सामग्री खरीदारी के लिए शनिवार की सुबह से लेकर शाम तक दुकानों पर भीड़ उमड़ी रही़ सभी जगह बाजारों में मिट्टी के दीये, रंगोली, गणेश लक्ष्मी की मूर्ति, खिलौने, बही-खाते आदि की दुकानें सजी थीं.
लोग महंगाई के बावजूद भी खरीदारी से नहीं चूक रहे थे़ लोगों की खरीदारी के लिए बाजारों में भीड़ कुछ अधिक दिख रही थी़ लोग पूजा के लिए सामान की खरीदारी खूब कर रहे थे़ वहीं बाजारों में चाइनीज लाइटों की बिक्री भी खूब हो रही थी़ लोग अपने घरों को सजाने में लगे थे.

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