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विशंभरपुर बाजार, शिव मंदिर पर कटाव तेज, मची तबाही
गंडक नदी का कटाव इस बार थमने का नाम नहीं ले रहा है. नदी के कटाव से विशंभरपुर बाजार का अस्तित्व खतरे में है. एक हजार से अधिक परिवार उजड़ने को तैयार है. कालामटिहनिया : नारायणी (गंडक) पल-पल आबादी की तरफ बढ़ती हुई आठ किमी का सफर तय कर चुकी है. अब तक छह गांवों […]
गंडक नदी का कटाव इस बार थमने का नाम नहीं ले रहा है. नदी के कटाव से विशंभरपुर बाजार का अस्तित्व खतरे में है. एक हजार से अधिक परिवार उजड़ने को तैयार है.
कालामटिहनिया : नारायणी (गंडक) पल-पल आबादी की तरफ बढ़ती हुई आठ किमी का सफर तय कर चुकी है. अब तक छह गांवों के अस्तित्व को मिटाने के बाद एक हजार परिवारों को उजाड़ने पर उतारू है.
पिछले 24 घंटे से ऐतिहासिक विशंभरपुर का नर्वदेश्वर शिव मंदिर, विशंभरपुर सिपाया पिच रोड, विशंभरपुर बाजार पर कटाव तेज है. नदी के रुख को देखते हुए यहां लोग जेसीबी मशीन से विशंभरपुर बाजार को तोड़ने में लगे हुए हैं. मंगलवार की सुबह से यहां जेसीबी मशीन बाजार को उजाड़ने में जुटी है. लोग अपनी बरबादी का तमाशा देख रहे हैं. इनके पास कोई चारा नहीं है. आलिशान भवन टूट रहे हैं. सिर्फ चौखट, दरवाजा, खिड़की, रॉड और ईंट को बचाने का प्रयास चल रहा है. नदी जिस तरह कटाव करते जा रही है, उससे तय है कि अगले 24 घंटे में विशंभरपुर बाजार भी इतिहास के पन्नों में दर्ज हो जायेगा. नदी का अगला निशाना फुलवरिया टोला गांव है. फुलवरिया टोला के गांव के लोगों की नींद हराम हो चुकी है.नदी का कटाव हर पल आबादी को उजाड़ रहा है.
बिजली का तार और खंभे निकाल रही कंपनी
मंगलवार को विशंभरपुर में नदी के कटाव बेकाबू होने पर बिजली कंपनी के कर्मी बिजली के खंभे, तार तथा ट्रांसफाॅर्मर को निकालने में जुटे रहे. नदी के कटाव में बिजली कंपनी को भी व्यापक क्षति हो रही है.
नदी के स्वरूप से छेड़खानी पर बिगड़े हालात
नारायणी नदी के स्वरूप के साथ छेड़छाड़ हुई है. इसका खामियाजा आज कालामटिहनिया पंचायत के आधा दर्जन गांव भुगत रहे हैं. नदी के मामलों में जानकार हरिहर तिवारी की मानें, तो वर्ष 2007 में गंडक नदी की धारा को बदलने के लिए प्रयास किया गया, तो रामपुर टेंगराही पंचायत नदी में समा गयी. 2009 में गंडक नदी पर महासेतु का निर्माण कार्य शुरू हुआ.
नदी पर गाइड बांध बना कर महज 1.8 किमी की मुहाना नदी के लिए छोड़ा गया, तो सदर प्रखंड की कटघरवा पंचायत तबाह हो गयी. अब 2016 में फिर से नदी की धारा को बदलने का प्रयास ग्रामीण तकनीक से किया गया, तो बाढ़ नियंत्रण विभाग ने भी प्रयास किया जिससे नदी उग्र हुई और एक अक्तूबर से यहां कटाव ने विकराल रूप ले लिया.
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