अप्रैल से हुए सिर्फ दो ऑपरेशन

चिंताजनक. अंधापन निवारण के तहत नहीं मिल रही आंखों की रोशनी डॉक्टर की कमी के कारण कई वर्षों से नहीं हो रही है लक्ष्य की प्राप्ति सीवान : राष्ट्रीय कार्यक्रम अंधापन निवारण के तहत जिले में गरीब मरीजों का नि:शुल्क मोतियाबिंद का ऑपरेशन कर उनकी आंखों की रोशनी वापस नहीं दिलायी जा सकी. जिले में […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 25, 2016 4:10 AM

चिंताजनक. अंधापन निवारण के तहत नहीं मिल रही आंखों की रोशनी

डॉक्टर की कमी के कारण कई वर्षों से नहीं हो रही है लक्ष्य की प्राप्ति
सीवान : राष्ट्रीय कार्यक्रम अंधापन निवारण के तहत जिले में गरीब मरीजों का नि:शुल्क मोतियाबिंद का ऑपरेशन कर उनकी आंखों की रोशनी वापस नहीं दिलायी जा सकी. जिले में सिर्फ सदर अस्पताल में ही आंखों के ऑपरेशन करने की सुविधा उपलब्ध है. इसलिए जिले के विभिन्न हिस्सों से गरीब मरीज आते हैं तथा वापस लौट जाते हैं. इन मरीजों को आंखों की जांच करने के लिए एक डॉक्टर भी उपलब्ध नहीं हो पाता है. सदर अस्पताल में आंख का ओपीडी चलता है.
विभाग के सभी अधिकारियों को पता है कि मरीजों की जांच व इलाज अपथेलमिक सहायक द्वारा ही की जाती है. ऐसी बात नहीं है कि आंख विभाग में डॉक्टर नहीं हैं. एसीएमओ कार्यालय में पदस्थापित डॉ अनिल कुमार सिंह को इसकी जिम्मेवारी दी गयी है. लेकिन, उनके जिम्मे विकलांग कैंप से लेकर रेडक्रॉस के अध्यक्ष तक की जिम्मेवारियों को निभाना है. अप्रैल से अब तक महज दो ऑपरेशन हुए हें़
मोतियाबिंद के ऑपरेशन की नहीं है कोई विधिवत व्यवस्था
जिले से सदर अस्पताल में मोतियाबिंद का ऑपरेशन कराने आनेवाले गरीब मरीजों के लिए कोई विधिवत व्यवस्था नहीं है. इस कारण मरीजों को सदर अस्पताल में भटकना पड़ता है.
अगर मरीज आंख विभाग के ओपीडी दिखाने में कामयाब हो जाता है, तो स्वास्थ्यकर्मी कई प्रकार की जांच कराने की सलाह देकर परचा थमा देते हैं, जबकि राष्ट्रीय कार्यक्रम अंधापन निवारण कार्यक्रम के तहत मरीजों को सभी प्रकार की जांच व दवा अस्पताल को उपलब्ध करानी है. मरीज जांच कराने के बाद जब वापस आता है, तो कर्मचारी बताते हैं
कि वैसे तो ऑपरेशन का दिन शुक्रवार तय है, लेकिन डॉक्टर साहब से पूछने के बाद ही पता चलेगा कि ऑपरेशन
कब होगा.
जब एक दो दिन ऑपरेशन का डेट जानने के मरीज सुदूर गांव से आता है ओर डेट नहीं मिलता है, तो थक-हार कर नहीं आता है. यही कारण है कि प्रत्येक साल मोतियाबिंद का ऑपरेशन कराने के लिए सैकड़ों मरीज आते है. लेकिन होता है करीब 20-25 मरीजों का ही.
राष्ट्रीय कार्यक्रम के तहत करना है मोतियाबिंद का ऑपरेशन
सदर अस्पताल में 2016-17 में किये गये मोतियाबिंद के ऑपरेशन
अप्रैल शून्य
मई शून्य
जून शून्य
जुलाई शून्य
अगस्त शून्य
सितंबर शून्य
अक्टुबर शून्य
नवंबर 02
लक्ष्य : विभाग द्वारा लक्ष्य निर्धारित नहीं होता है. अधिक-से-अधिक लोगों का ऑपरेशन करना होता है.
मोतियाबिंद के ऑपरेशन की हैं सभी सुविधाएं
सदर अस्पताल में अंधापन निवारण कार्यक्रम के तहत नि:शुल्क लेंस लगा कर आंखों के मोतियाबिंद के ऑपरेशन की सभी सुविधाएं उपलब्ध हैं. पिछले शुक्रवार को दो ऑपरेशन हुए हैं. अगले शुक्रवार को ऑपरेशन नहीं होगा. कल मैं काम से बाहर जा रहा हूं.
डॉ अनिल कुमार सिंह, नेत्र रोग विशेषज्ञ, सदर अस्पताल, सीवान

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