पत्रकार राजदेव की पत्नी को मिली धमकी मामले में FIR दर्ज
सीवान : बिहार के सीवान जिला में एक प्रमुख दैनिक अखबार के पत्रकार रहे राजदेव रंजन की पत्नी आशा रंजन ने राजद के पूर्व सांसद शहाबुद्दीन के खिलाफ मुकदमा वापस लेने की धमकी देने का आरोप लगाते हुए प्राथमिकी दर्ज करायी है.राजदेव रंजन की इसी वर्ष 13 मई को सीवान में हत्या कर दी गयी […]
सीवान : बिहार के सीवान जिला में एक प्रमुख दैनिक अखबार के पत्रकार रहे राजदेव रंजन की पत्नी आशा रंजन ने राजद के पूर्व सांसद शहाबुद्दीन के खिलाफ मुकदमा वापस लेने की धमकी देने का आरोप लगाते हुए प्राथमिकी दर्ज करायी है.राजदेव रंजन की इसी वर्ष 13 मई को सीवान में हत्या कर दी गयी थी. मुफस्सिल थाना अध्यक्ष विनय कुमार सिंह ने बताया कि आशा रंजन ने इस मामले में गत 28 दिसंबर को प्राथमिकी दर्ज की है. जिसकी पुलिस द्वारा जांच की जा रही है.
थानाध्यक्ष ने कहा कि आशारंजन को दुबई से किसी ने फोन करके धमकी दी थी कि वे अपने पति के खिलाफसुप्रीमकोर्ट में दायर मामले को वापस ले लें. आशा ने मुफस्सिल थाना दायर करायी प्राथमिकी में उल्लेख किया है कि उन्हें 26-27 दिसंबर की मध्य रात्रि 12.28 बजे विदेश के नंबर से आए फोन पर पूछा, ‘‘क्या तुम शहाबुद्दीन को जानती हो, मेरे द्वारा हां कहने पर फोन करने वाले ने कहा कि बहुत नाटक हो गया. तुम लोग अबसुप्रीमकोर्ट वाला मुकदमा (शहाबुद्दीन के खिलाफ) वापस ले लो और मुकदमे की पैरवी करना बंद करो, वरना इतने टुकड़ों में काटेंगे कि कोई पहचान भी नहीं पायेगा.’
आशा रंजन ने प्राथमिकी में कहा है कि वे बहुत डरी हुई हैं और मदद की जाए, क्योंकि उन्हें लगातार धमकी मिलती रहती है. उन्हें जो सुरक्षा भी मिली है,वह नाममात्र और कागजों पर है.
उल्लेखनीय है कि पत्रकार राजदेव रंजन की पत्नी ने अपने पति के मामले की जांच और सुनवाई निष्पक्ष ढंग से नहीं जाने की आशंका जताते हुए मामले को सीवान से दिल्ली हस्तांतरित किये जाने के लिए सुप्रीमकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था क्योंकि ऐसा शहाबुद्दीन के बिहार में जेल में रहने पर संभव नहीं है.
राजद के बाहुबली पूर्व सांसद मो. शहाबुद्दीन कोपटनाहाईकोर्ट से मिली जमानत के खिलाफ बिहार सरकार और मृतक पत्रकार के परिवार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण द्वारा सुप्रीमकोर्ट में याचिका दायर किये जाने के बाद से वे सीवान जेल में बंद हैं. पत्रकार राजदेव रंजन की हत्या के तीन दिनों के बाद बिहार सरकार ने इस मामले को जांच के लिए सीबीआइ को सौंप दिया था.