95 फीसदी विद्यालयों में नहीं है खेल का मैदान

प्रखंड के 95 फ़ीसदी से ज्यादा सरकारी स्कूलों के पास खेल मैदान नहीं है. यहां पढ़ रहे बच्चों को स्कूल आंगन में ही खेलने की गतिविधि को चालू रखना पड़ रहा है. नयी शिक्षा नीति 2020 के तहत यह तय किया गया था कि स्कूल के पास अपना खेल मैदान हो . निजी स्कूलों के पास तो खेल मैदान है. जबकि सरकारी विद्यालयों में खेल मैदान नहीं होने से बच्चों का शारीरिक विकास अवरुद्ध तो होता ही है,

By Prabhat Khabar News Desk | June 19, 2024 11:07 PM
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गुठनी. प्रखंड के 95 फ़ीसदी से ज्यादा सरकारी स्कूलों के पास खेल मैदान नहीं है. यहां पढ़ रहे बच्चों को स्कूल आंगन में ही खेलने की गतिविधि को चालू रखना पड़ रहा है. नयी शिक्षा नीति 2020 के तहत यह तय किया गया था कि स्कूल के पास अपना खेल मैदान हो . निजी स्कूलों के पास तो खेल मैदान है. जबकि सरकारी विद्यालयों में खेल मैदान नहीं होने से बच्चों का शारीरिक विकास अवरुद्ध तो होता ही है, उनकी खेल प्रतिभा भी निखर नहीं पाती है. गुठनी में 93 प्राथमिक, माध्यमिक, हाई स्कूल और इंटर कॉलेज हैं. हाइ स्कूल और इंटरमीडिएट कॉलेज के पास अपना खेल मैदान तो है. लेकिन अधिकांश माध्यमिक और प्राथमिक स्कूलों के पास खेल मैदान नहीं है. खेल और शारीरिक ज्ञान से दुर हो रहे हैं स्कूली बच्चे प्रखंड के प्राथमिक और मध्य विद्यालयों में खेल मैदान नहीं होने से खेल की कोई गतिविधि नहीं हो पाती है. शैक्षणिक कार्य तो होता है, पर खेल से छात्र महरुम रहते हैं. स्कूल का केवल भवन है छात्र इस में पूरे दिन बंधे रहते हैं. लंच के समय में भी बाहर निकालने की कोई खुली जगह नहीं है. ऐसे में प्रतिभावान बच्चों को खेल के क्षेत्र में आगे बढ़ने का मौका नहीं मिल पा रहा है. जबकि शिक्षा विभाग ने सभी स्कूलों में खेल की एक कक्षा के संचालन का भी निर्देश दिया है. शारीरिक शिक्षक नियुक्त, पढ़ा रहे हैं अन्य विषय प्रखंड के प्रत्येक मिडिल, माध्यमिक व उच्च विद्यालयों में सरकार ने खेल को बढ़ावा देने के लिए शारीरिक शिक्षक नियुक्त किए है. जिन स्कूलों में ऐसे टीचर मौजूद हैं. और खेल का मैदान नहीं है. वहां शारीरिक शिक्षक खेलकूद कराने के बजाय अन्य विषय पढ़ाते हैं. प्रखंड में एलएमटी स्कूल में बने स्टेडियम भी अधूरा रह गया. जिससे प्रतिभावान खिलाड़ियों के हौसले पस्त हो रहे हैं. बोले अधिकारी बच्चों को खेल कूद में भी बेहतर बनाने का प्रयास किया जा रहा है. इसके लिए स्कूल, ब्लॉक, जिला मुख्यालय स्तर पर प्रतियोगिता आयोजित होती है. बच्चों को खेल कूद में बेहतर करने का प्रयास होगा. तारकेश्वर गुप्ता , बीएओ

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