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राजेंद्र कुष्ठ सेवाश्रम की रिपोर्ट पीएमओ को भेजी
प्रभात खास सीवान : मैरवा प्रखंड के अनुग्रह नगर में 11 नवंबर 1954 को तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद द्वारा स्थापित राजेंद्र कुष्ठ सेवाश्रम के संचालक व सभी सदस्यों की मृत्यु होने के कारण कुप्रबंधन का शिकार होने से मृतप्राय हो गया. इस बात का खुलासा स्वास्थ्य विभाग द्वारा प्रधानमंत्री कार्यालय को भेजी रिपोर्ट से […]
प्रभात खास
सीवान : मैरवा प्रखंड के अनुग्रह नगर में 11 नवंबर 1954 को तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद द्वारा स्थापित राजेंद्र कुष्ठ सेवाश्रम के संचालक व सभी सदस्यों की मृत्यु होने के कारण कुप्रबंधन का शिकार होने से मृतप्राय हो गया. इस बात का खुलासा स्वास्थ्य विभाग द्वारा प्रधानमंत्री कार्यालय को भेजी रिपोर्ट से हुई है. गुठनी प्रखंड के चिताखाल केल्हरुआ निवासी सत्येंद्र सिह सीवानी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिख कर राजेंद्र कुष्ठ सेवाश्रम की जमीन पर राजेंद्र मेडिकल कॉलेज खोलने का अनुरोध किया था. पीएमओ कार्यालय ने इस संबंध में सिविल सर्जन सीवान से राजेंद्र कुष्ठ सेवाश्रम के संबंध में विस्तृत रिपोर्ट मांगी थी.
सिविल सर्जन डॉ. शिवचंद्र झा ने इस कार्य के लिए एसीएमओ डॉ. नवल किशोर प्रसाद व प्रभारी संचारी रोग पदाधिकारी डॉ. अनिल सिंह को राजेंद्र कुष्ठ सेवाश्रम की जांच कर रिपोर्ट देने को कहा. जांच रिपोर्ट में टीम ने खुलासा किया है कि संचालक व सदस्यों की मौत के बाद कुप्रबंधन का शिकार होने से राष्ट्रीय महत्व का संस्थान मृत प्राय हो गया. राष्ट्रपति नीलम संजीव रेड्डी व जाकिर हुसैन इस संस्थान में आ चुके हैं.
40 एकड़ जमीन में 170 बेडों का था अत्याधुनिक अस्पताल : डॉ राजेंद्र प्रसाद द्वारा मैरवा में स्थापित राजेंद्र कुष्ठ सेवाश्रम में सारण (पहले सीवान, सारण और गोपालगंज एक में था) के कुष्ठ मरीजों का इलाज किया जाता था. उन्होंने इसके संचालन की जिम्मेवारी समाजसेवी जगदीश दीन को सौंप दिया.
यह अस्पताल 200 बेडों का था. पूरे जिले में करीब 08 कुष्ठ मरीजों के इलाज के लिए सब सेंटर बनाये गये थे. संचालन के लिए 170 कर्मचारी नियुक्त किये थे. करीब एक सप्ताह में 500 ओपीडी में मरीजों का इलाज किया जाता था. अपने कार्यकाल में इस संस्थान में करीब 55 हजार कुष्ठ के नये मरीजों की पहचान की गयी. इसमें से करीब 45 हजार कुष्ठ मरीजों का इलाज कर उन्हें पूर्ण रूप से ठीक किया गया.
अस्पताल में भरती मरीजों की सुविधा के लिए अत्याधुनिक सर्जरी यूनिट, पैथोलॉजी यूनिट ओर फिजियोथेरेपी यूनिट था.वीआइपी लोगों के ठहरने के लिए गेस्ट हाउस तथा अस्पताल परिसर में हेलीपैड की भी व्यवस्था थी. कुष्ठ से विकलांग होनेवाले मरीजों के जीवान यापन के लिए उन्हें कई तरह के व्यवसायिक प्रशिक्षण भी परिसर में दिये जाते थे. उसमें कपड़े की सिलाई, बढ़ईगिरी,लोहार गिरी, प्लास्टिक, डेयरी, मधुमक्खी पालन कुटीर उद्योग आदि शामिल हैं.
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