आराधना और उपासना में जुटे माता के भक्त
शक्ति, साधना और उपासना का महापर्व शारदीय नवरात्र के पांचवें दिन सोमवार को श्रद्धालुओं की भक्ति का रंग और गाढ़ा हो गया. मां के भक्तों व साधकों ने देवी मंदिरों में पहुंचकर ब्रह्मांड को उत्पन्न करने वाली मां के स्कंदमाता स्वरूप का दर्शन पूजन किया.
संवाददता,सीवान.शक्ति, साधना और उपासना का महापर्व शारदीय नवरात्र के पांचवें दिन सोमवार को श्रद्धालुओं की भक्ति का रंग और गाढ़ा हो गया. मां के भक्तों व साधकों ने देवी मंदिरों में पहुंचकर ब्रह्मांड को उत्पन्न करने वाली मां के स्कंदमाता स्वरूप का दर्शन पूजन किया. हर घर में दुर्गा सप्तशती के ओजस्वी मंत्रों व शंखों की ध्वनि से दसों दिशाएं गुंजित हो रही हैं. देवी मंदिरों में मां के भक्तों की जय माता दी के उद्घोष से वातावरण भक्तिमय होता गया. शहर के कचहरी रोड स्थित दुर्गा मंदिर, बुढ़िया माइ मंदिर, रजिस्ट्री कचहरी स्थित काली मंदिर, मैरवा के चंदनिया डीह दुर्गा मंदिर, जीरादेई के आसकामनी माइ मंदिर सहित अन्य देवी मंदिरों में सुबह से ही मां के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा. स्त्री-पुरुष, वृद्ध सभी भक्तजन मां के दरबार में दर्शन के लिए लंबी कतारों में लगकर अपनी बारी का इंतजार करते रहे. मां को नारियल, चुनरी समेत अन्य प्रसाद चढ़ाकर कल्याण की कामना की. घरों में स्थापित कलश के पास श्रद्धालुओं द्वारा स्वयं या वेदपाठी ब्राह्मणों द्वारा दुर्गा सप्तशती का पाठ अनवरत जारी रहा. पंडित पुरुषोत्तम तिवारी ने बताया कि मां स्कंदमाता की पूजा से माता-पिता और संतान के बीच के रिश्ते प्रगाढ़ होते हैं. वहीं कुमारी कन्याओं को मनचाहे वर की प्राप्ति होती है. विवाहित स्त्रियों को सौभाग्य व सुख की प्राप्ति होती है. स्कंदमाता को सौर मंडल की अधिष्ठात्री देवी माना जाता है, एकाग्रता से मन को पवित्र करके मां की आराधना करने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है. आज होगी माँ कात्यायनी की पूजा नवरात्रि का छठा दिन माँ कात्यायनी को समर्पित है. पूरे विधि-विधान से दुर्गा माता के छठे स्वरूप माँ कात्यायनी की पूजा करने से सुख, समृद्धि, आयु और यश की प्राप्ति होती है. मान्यता है माँ कात्यायनी का व्रत रख विधिवत उपासना करने पर मनचाहे वर की प्राप्ति होती है.
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