सीवान. जर्जर वाहन व बेतरतीब वर्दी की कभी पहचान रही बिहार पुलिस के तस्वीर में बड़ा बदलाव आया है.पिछले डेढ़ दशक से पुलिस विभाग के संसाधनों में हुई बढ़ोतरी का नतीजा है कि जिले की पुलिस भी स्मार्ट हो चली है.हालांकि अभी भी बड़ी संख्या में रिक्त पदों व साइबर क्राइम से मुकाबले के लिए ठोस तैयारी न होने से पुलिस के सामने चुनौतियां कम नहीं है. 1972 में हुआ सीवान जिला का गठन सीवान जिले के पुलिस बल व वर्तमान में उपलब्ध संसाधनों आदि की चर्चा में सबसे पहले यह बता दें कि 3 दिसम्बर 1972 को छपरा जिला से अलग होकर जिले का गठन हुआ.जिले की स्थापना के समय यहां एक पुलिस अनुमंडल 13 थाने थे. 1990 में महाराजगंज अनुमंडल के गठन के साथ 1 पुलिस अनुमंडल की बढ़ोतरी हुई.वर्तमान में 31 थानों के साथ ट्रैफिक डीएसपी के साथ एक और नया पुलिस अनुमंडल सीवान दो भी बना है. 31 थानों में अभी भी 10 भवनहीन जिले में 31 थाने हैं.जिनमे 27 पुलिस स्टेशन के साथ महिला थाना, एससी एसटी, साइबर व एक ट्रैफिक थाना है.जिनमे 21 थाने अपने भवन में चल रहे है.10 थाने भवनहीन है.इनमें जीबी नगर ,भगवानपुर हाट,चैनपुर व महादेवा थाना किराया के मकान में चल रहा है. पचरुखी थाना व धनौती थाना मंदिर परिसर तो जामो, असावं ,लकड़ी नबीगंज व सराय थाना अन्य सरकारी भवनों में कार्यरत हैं.भवनहीन 10 थानों में 5 थाने धनौती,सराय,भगवानपुर हाट, जामो बाजार व पचरुखी का निर्माण कार्य जारी है.पांच थानों के लिये जमीन आवंटित है जिनमे महादेवा के लिये आवश्यक भूमि से कम रकवा में भूमि प्राप्त है,जिसके लिये अन्य भूमि की तलाश है. छह ओपी को मिला थाने का दर्जा लंबे इंतजार के बाद छह ओपी को पूर्ण थाने का दर्जा मिला है.यह इंतजार न्यूनतम 9 वर्ष से लेकर 45 वर्ष तक का रहा है.1981 में बने एम एच नगर ,1985 में खुले महादेवा ओपी,1992 में बने चैनपुर ओपी को पूर्ण थाने का दर्जा मिला है.2002 में बने धनौती ओपी के साथ ही 2015 में ओपी बने लकड़ी नबीगंज व सराय ओपी को भी पूर्ण थाने का दर्जा मिला है.एसपी ने इसी माह इन थानों के विधिवत उद्घाटन भी कर दिया है.लेकिन एफआइआर दर्ज करने के लिये कुछ दिन और इंतजार करना होगा. इन थानों के कार्यक्षेत्र के बंटवारे के बाद यहां एफआईआर दर्ज हो सकेगी.साथ ही इसका स्वीकृत कार्यवल भी बढ़ेगा. . 42 लाख की आबादी की सुरक्षा 1456 के जिम्मे 42 लाख की आबादी वाले सीवान में सुरक्षा की जिम्मेदारी एसपी से लेकर संतरी तक कुल 1455 लोग उठाते हैं. विभाग में 45 प्रतिशत पद खाली पड़े हैं.कुल मिलाकर 55 फीसदी के कंधों पर पूरे जिले का भार है.साथ ही वीआइपी सुरक्षा की भी जिम्मेदारी है. एसपी से लेकर सिपाही तक कुल 2627 पद सृजित है, जिसके विरुद्ध 1455 पदों पर तैनाती है.कुल 1170 पद खाली पड़े है .कुल मिलाकर 45 प्रतिशत पद खाली है और 55 प्रतिशत ही पदों पर तैनाती है, जिनसे काम चलाया जा रहा है. चालक की है सर्वाधिक कमी सबसे अधिक कमी चालक की है. चालक के 189 कुल पद में से 136 खाली पड़े है. पुलिस निरीक्षक प्रशिक्षण के सभी पांच पद और एएसआई, परिवहन के 5 सभी रिक्त हैं.सब इंस्पेक्टर के 159, एएसआई के 202, हवलदार के 214 तो सिपाही के 396 पद रिक्त हैं.यह स्थिति तब है जब पुराना स्ट्रेंथ लागू, है. संसाधनों का हुआ है विकास बिहार पुलिस विभाग के पास,स्कोर्पियो, बोलेरो,जिप्सी,मारुति इनोवा से लेकर थार जीप व बज्र वाहन तक उपलब्ध है.थानों में पुरानी जीप अब नाम मात्र के बराबर है.वही पहले पुलिस के पास अंग्रेजी जमाने की पुरानी राइफल थी.जिसका प्रयोग अब जिला पुलिस नहीं करती .यह राइफल होमगार्ड को उपलब्ध कराया जाता है.पुलिस के पास इंसास राइफल,एसएलआर, एके 47 ,एके 56 सहित अन्य अत्याधुनिक हथियार व गोला बारूद उपलब्ध है.एसपी अमितेश कुमार ने बताया कि सुरक्षा व अन्य दृष्टिकोण से इसकी पूरी जानकारी व संख्या देना उचित नहीं है.इतना अवश्य है कि हम जिले में किसी भी स्थिति से निबटने में सक्षम हैं. सोशल पुलिसिंग के क्षेत्र में भी हुआ काम पुलिस थाना का नाम सुनकर ही आम लोग वहां जाने से कतराते थे.अब सभी थानों में मे आई हेल्प यु काउंटर खुला है.जिसका काम थाना पहुंचे लोगों को सहायता उपलब्ध कराना और आवश्यक मदद करना है.वही हर थाने में आगन्तुकों को बैठने के लिये स्पेशल चेयर की व्यवस्था है.साथ ही सभी थानों में आरओ वाटर सिस्टम लगाया गया है.सभी से आदर सहित बात करने का आदेश है . पुलिस लाइन में यह है मुख्य समस्या पुलिस लाइन का सुरक्षित होना सर्वाधिक आवश्यक होता है,लेकिन यहां इसकी सुरक्षा में ही छेद नजर आता है.कारण है कि पुलिस लाइन के बीचोबीच एक रास्ता रेलवे लाइन पार कर लखराव यादव टोला तक जाता है.इस गावं का संपर्क पथ भी यही मात्र है जिसको चाहकर भी प्रशासन अभी नहीं रोक सका है.जिला पुलिस प्रशासन द्वारा नगर परिषद आदि को कई बार वैकल्पिक रास्ता के लिये लिखा गया लेकिन हुआ कुछ नहीं.पुलिस अधीक्षक का कहना है कि यह मेरे उच्च प्राथमिकता में है. जिला प्रशासन वैकल्पिक रास्ते की तलाश करेगा और अगर इसका निदान न हो सका तब भी एक किनारे पश्चिम बगल से बाउंड्री कर अलग रास्ता दिया जायेगा. बीचोबीच रास्ता नही चलेगा. यह है मांग जिला पुलिस मेंस एसोसिएशन ने एसपी को मांगपत्र सौंपा है.उसके अनुसार नये बैरक,अस्पताल में दवा, पुलिस लाइन में नियत दाम व दैनिक उपभोग के सामान की कैंटीन,बैंक शाखा व एटीएम की मांग की गई है.जिला ट्रांसफर में संघ के सभी पदाधिकारियों का स्थानांतरण हो गया है.एसपी ने बताया कि अस्पताल में दवाई उपलब्ध करा दी गयी है,नया बैरक बनाने का डीपीआर तैयार है.साथ ही अन्य मांगों पर भी कार्रवाई जारी है. क्या कहते हैं एसपी जिला पुलिस के पास उपलब्ध संख्या बल के अलावा होमगार्ड की सेवा ली जाती है.एसटीएफ का विंगभी जिले में तैनात है.पुलिस को दिनोंदिन आधुनिक करने की प्रक्रिया जारी है ,साथ ही अपराध पर नियंत्रण व कानून व्यवस्था में सुधार में पुलिस रात दिन जुटी है.आम जनता का भी सहयोग जरूरी है. अमितेश कुमार,पुलिस अधीक्षक, सीवान
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