बारिश के अभाव में खेतों में पड़ी दरार

भीषण गर्मी ने लोगों के आम जनजीवन को पूरी तरह से प्रभावित किया है. वही बारिश नहीं होने से किसानों को खरीफ फसल लगाने की चिंता सता रही है. खेतों में धूल उड़ रहे है. बिचड़े मुरझा रहे हैं. खेत में दरार पड़ गयी है.

By Prabhat Khabar News Desk | June 19, 2024 10:59 PM

सीवान. भीषण गर्मी ने लोगों के आम जनजीवन को पूरी तरह से प्रभावित किया है. वही बारिश नहीं होने से किसानों को खरीफ फसल लगाने की चिंता सता रही है. खेतों में धूल उड़ रहे है. बिचड़े मुरझा रहे हैं. खेत में दरार पड़ गयी है. पंप सेट के माध्यम से किसान धान के बिचड़े गिराये थे. किसानों को लगा था कि बिचड़े गिराने के बाद कुछ ना कुछ बारिश होगी और धान के बिचड़े अच्छी तरह से तैयार हो जाएंगे. लेकिन बारिश तो हुई नहीं उल्टे तेज धूप और कड़ाके की पड़ रही गर्मी की वजह से धान के बिचड़े मुरझा रहे हैं. किसान बताते है कि सिंचाई करने के बाद खेत में पानी जमा होने पर पूरे दिन तेज धूप की वजह से पानी गर्म हो जाता है. इस वजह से धान के बिचड़े मुरझा जाते है. वहीं सिंचाई नहीं करने पर खेत में दरार पड़ जाती है. तेज धूप व उमस भरी गर्मी से कृषि कार्य प्रभावित वर्षा नहीं होने से उमस भी बढ़ गई है जिससे लोग परेशान रहते हैं. पिछले एक सप्ताह से लोगों को तेज धूप का सामना करना पड़ रहा है. इससे लोगों के कृषि कार्य भी प्रभावित हो रहे हैं. सर्वाधिक परेशानी किसानी कार्य में हो रही है. कई स्थानों पर रोहिणी नक्षत्र में डाला गया धान का बिचड़ा व खेत तैयार है. लेकिन पानी के अभाव में किसान रोपनी नहीं कर पा रहे है. जल्द वारिश नहीं हुई तो बिचड़ा बचाना होगा मुश्किल किसानों ने बताया कि खेतों में नमी नही होने के चलते अधिकांश लोग अभी तक धान का बिचड़ा नही गिराये है. जो किसान हिम्मत करके जैसे तैसे धान का बिचड़ा गिराये है.खेतों में डाले गये बिचड़ा में करीब 50 फीसदी का नुकसान हो चुका है. यदि ऐसा ही मौसम रहा तो नुकसान बढ़ जाएगा. किसान केदारनाथ गिरी, ओमप्रकाश सिंह, सुदामा कुशवाहा, विरजानन्द यादव सहित अन्य ने बताया कि बिचड़ा डाले गए खेतों में दरार पड़ गया है. यदि जल्द वर्षा नहीं हुई तो बिचड़ा को बचाना मुश्किल है. अभी बारिश के आसार नहीं मौसम विभाग की माने तो चार पांच दिनों तक बारिश के आसार नहीं है. कृषि विज्ञान केंद्र के अनुसार 25 जून तक वर्षा की संभावना नहीं है. कई किसानों ने बताया कि तब तक बिचड़ा को बचाकर रखना मुश्किल है. अगर अभी भी वर्षा होती है तब भी किसानों को बिचड़ा नुकसान का भार झेलना पड़ेगा. जो बिचड़ा फुल कर खेत में सुख गया है अब वह अंकुरित नहीं हो पाएगा. अब अगर वर्षा हुई तो फिर से बिचड़ा डालना पड़ेगा. इससे आर्थिक नुकसान होगा. रोहिणी नक्षत्र के बारिश में किसानों ने समय पर बोआई की मंशा से धान का बिचड़ा खेतों में डाल दिया था. जिन किसानों के पास बोरिग की सुविधा है, उन्होंने पटवन कर बिचड़ा बचाने की कवायद शुरू कर दी है. बिचड़ा की करें सिंचाई कृषि विशेषज्ञ डॉ मनोज कुमार गिरी ने बताया कि आम तौर मानसून की इंट्री 15 जून तक हो जाती है. इस बार मानसून ने दगा दिया है. किसानों बिचड़े में आवश्यकता अनुरूप सिचाई करें. इससे आने वाले समय में धान रोपाई के समय धान का बिचड़ा उपलब्ध रह सके. ऊंची भूमि वाले क्षेत्र के किसानों को अरहर ,मकई व उड़द की बोआई अविलंब करनी चाहिए.

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