बारिश के इंतजार में आसमान की ओर ताक रहे किसान
रोहिणी नक्षत्र में धान का बीज खेतों में डालने के साथ ही खेती शुरुआत हो जाती है. लेकिन शुरुआती दौर में ही किसानों को बीज डालने में परेशानी हो रही है. बारिश के इंतजार में आसमान की ओर निहार रहे किसानों के समक्ष धान का बिचड़ा डालने की समस्या उत्पन्न हो गई है.
सीवान. रोहिणी नक्षत्र में धान का बीज खेतों में डालने के साथ ही खेती शुरुआत हो जाती है. लेकिन शुरुआती दौर में ही किसानों को बीज डालने में परेशानी हो रही है. बारिश के इंतजार में आसमान की ओर निहार रहे किसानों के समक्ष धान का बिचड़ा डालने की समस्या उत्पन्न हो गई है. अब किसानों को बारिश की चिंता सताने लगी है. किसान धान की बिचड़ा डालने को लेकर झमाझम बारिश का इंतजार कर रहे हैं. रोहिणी नक्षत्र का 13 दिन बीत गया है, परंतु अब तक बारिश नहीं हुई. रोहिणी नक्षत्र के समय जिले में प्री मानसून में बारिश नहीं होने के कारण ऐसी स्थिति बनी है. तापमान और भीषण गर्मी से खेतों से नमी गायब है. जिसके कारण बिचड़ा गिराने के लिए खेत की जुताई तक नहीं होने से किसान परेशान है. छोटे तबके के किसानों को अधिक परेशानी हो रही है. हालांकि समृद्ध किसान बिजली मोटर पंप या डीजल पंप सेट से खेतों में पानी डालकर बिछड़ा डाला है, लेकिन वैसे किसानों को इसमें अत्यधिक खर्च भी उठाना पड़ रहा है. 26 मई से नौ जून तक रोहिणी नक्षत्र का समय है. इस दौरान 35 से 40 दिन तक के प्रभेद का बीज खेतों में गिराया जाता है. कृषि विशेषज्ञों की मानें तो जलवायु परिवर्तन के कारण कभी पहले तो कभी बाद में भारी बारिश होती है. जिसके कारण फसल चक्र पूरा नहीं होता है. आमतौर पर रोहिणी नक्षत्र में ही किसान लंबी अवधि वाले धान के बिचड़े खेतों में डालते हैं. लेकिन जब खेत की जुताई ही नहीं हुई तो फिर भी बिचड़ा डालने का प्रश्न ही कहां है. भू जल स्तर नीचे चले जाने से कई बोरिंग भी फेल होने के कगार पर पहुंच गए हैं. जिस कारण किसानों की चिंता और बढ़ी हुई है. वही कई प्रखंडों में हर खेत तक बिजली का पोल तार नहीं पहुंचने से सिंचाई भी प्रभावित हुई है. मौसम की तल्खी से किसान परेशान मौसम की बेरूखी व गर्मी का मिजाज देखकर किसान चिंतित हैं. जून महीने में वर्षा नहीं होने से बिचड़े के लिए बीज गिराने का काम गति नहीं पकड़ रहा है. आमतौर पर 25 मई के बाद बीज गिराने का काम शुरू हो जाता है, लेकिन जरूरत के अनुसार अभी वर्षा नहीं हुई है. तापमान भी चरम पर है. 21 दिन के बाद तैयार बिचड़े को खेतों में लगाया जाता है. जैसे-जैसे खेतों में बिचड़ा लगाने की अवधि बढ़ती जाती है, उत्पादन पर इसका असर पडऩे लगता है. गुरुवार को अधिकतम तापमान 43 डिग्री सेल्सियस रहा, जबकि न्यूनतम 28 के आसपास रहा.मौसम जानकारों की मानें तो फिलहाल इस हफ्ते भर में बारिश की संभावना नहीं है. पानी के अभाव में खेतों में पड़ रहे दरार मई के अंतिम व जून के पहले सप्ताह में बारिश होती है तो यह धान की खेती के लिए काफी अनुकूल होता है. क्योंकि इस महीने में किसान खेतों में बिचड़ा डालने का काम करते हैं, लेकिन जून का पहला सप्ताह बीत गया और अब भी किसानों को बारिश का इंतजार है. बिचड़ा गिराने का समय खत्म होता जा रहा है. जिन्होंने पंप सेट के सहारे बिचड़ा छींटा है, वैसे किसान उसे जलने से बचाने में लाचार और विवश नजर आ रहे हैं, लेकिन बारिश के अभाव में उनके सपने पूरे होने से पहले ही चकनाचूर हो रहे हैं. पानी के अभाव में खेतों में दरार पड़ रहे हैं. धान के बिचड़े व अन्य फसल प्रचंड धूप से सूखने और मुरझाने लगे हैं. अगर स्थिति ऐसी ही बनी रही और समय पर बारिश नहीं हुई तो किसान संभावित सुखाड़ को लेकर आशंका जताने लगे हैं.बारिश के अभाव में धान का बिचड़ा तैयार होने से पहले ही पीले पड़ कर सूख रहे हैं.
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