बेहतर उपचार प्रबंधन से डेंगू पर पाया जा सकता है काबू
जिला वैक्टर जनित रोग नियंत्रण विभाग द्वारा शुक्रवार को सदर अस्पताल के सभागार में कार्यशाला का आयोजन कर जिले के सभी सरकारी अस्पतालों के प्रभारी मेडिकल ऑफिसर एवं निजी अस्पतालों के डॉक्टरों को डेंगू और चिकनगुनिया जैसी बीमारी को जड़ से मिटाने और उसका उचित प्रबंधन को लेकर जानकारी दी गई.
सीवान. जिला वैक्टर जनित रोग नियंत्रण विभाग द्वारा शुक्रवार को सदर अस्पताल के सभागार में कार्यशाला का आयोजन कर जिले के सभी सरकारी अस्पतालों के प्रभारी मेडिकल ऑफिसर एवं निजी अस्पतालों के डॉक्टरों को डेंगू और चिकनगुनिया जैसी बीमारी को जड़ से मिटाने और उसका उचित प्रबंधन को लेकर जानकारी दी गई. डेंगू चिकनगुनिया केस मैनेजमेंट पर डॉ जितेंद्र कुमार के द्वारा प्रशिक्षण दिया गया. उन्होंने बताया कि अभी तक डेंगू बीमारी की कोई दवा नहीं बनी है. लक्षण के आधार पर मरीजों का इलाज किया जाता है. उन्होंने बताया कि किसी भी डेंगू के मरीज को जब तक आंतरिक रक्तस्राव नहीं होता है तब तक उसे हाइयर सेंटर को रेफर नहीं करें. उन्होंने कहा की कहा की किसी व्यक्ति को बुखार के साथ तेज सिर दर्द, मांसपेशियों, जोडों में दर्द, आंखों के पीछे दर्द, शरीर पर लाल चकते होना, गंभीर अवस्था में नाक, मसूडों से खून आना डेंगू बुखार के लक्षण दिखे तो नजदीकी स्वास्थ्य केंद्रों में व्यक्ति को उपचार कराने के लिए भारती कराए. लोगों को सलाह दें कि बुखार के दौरान मरीज को लगातार अधिक से अधिक पानी, फल का जूस, चावल का पानी, ओआरएस का घोल लेना चाहिए. जिला मलेरिया पदाधिकारी डॉ. ओम प्रकाश लाल ने मच्छर जनित रोगों के बारे में जानकारी देते हुए बताया मलेरिया, डेंगू व चिकनगुनिया जैसी बीमारियों से बचाव के लिए हमें सबसे पहले लोगों को जागरूक करना चाहिए. अपने घर या घर के आसपास कहीं पर भी पानी जमा नहीं होने दें. मच्छर रुके हुए पानी में अंडे देते हैं. अंडे से लार्वा बनता है. लार्वा से प्यूपा बनता है. उसके बाद प्यूपा से पूर्ण मच्छर बनकर उड़ जाता है.इस अवसर पर आर एमआरआईएमएस के निदेशक डॉ कृष्णा पांडे, डॉ गौरव मिश्रा, पीरामल के कुंदन कुमार, राजेश कुमार, विकास कुमार एवं बीर बहादुर यादव भी उपस्थित थे.
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