संवाददाता , जीरादेई. जिला में पिछले 12 साल में बेटियों की संख्या तेजी से बढ़ी है.स्वास्थ्य विभाग के पास उपलब्ध संस्थागत प्रसव के आंकडे़ से इसका खुलासा हो रहा है. सांख्यिकी विभाग के आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2011 में एक हजार पुरुष बच्चों के सापेक्ष बच्चियों की संख्या 924 थी. वही अब एक हजार बेटों पर 988 बच्चियों की संख्या है. स्वास्थ्य विभाग द्वारा जिले में चल रहे अल्ट्रासाउंड केंद्रों के निरीक्षण और उनमें अवैध गतिविधियां मिलने पर उनपर कठोर कार्रवाई के कारण लिंग जांच की घटनाएं कम हुई है. साथ ही गर्भ में बेटियों की हत्या भी रुकी है. इसके अलावा बेटियों के जन्म से लेकर उनकी पढ़ाई आदि को लेकर भी सरकार की तरफ से की जा रही मदद का भी असर दिख रहा है. समाजसेवी मनोज कुमार गिरी कहते हैं कि लोगों में जागरूकता बढ़ी तो बेटियों की जन्म दर भी बढ़ने लगी. भ्रूण लिंग जांच करने वालों को सजा मिलने पर इस काले धंधे पर अंकुश लगने से भी फर्क पड़ा. जागरूकता के चलते महिला-पुरुष लिंगानुपात में लगातार सुधार हो रहा है. बेटियां अभिशाप नहीं, ईश्वर की है सौगात समाजसेवी व पेशे से शिक्षक ब्रजकिशोर यादव कहते है कि बेटियां अभिशाप नही, अपितु ईश्वर की सौगात हैं. घर में जब बेटी पैदा होती है तो सब कहते हैं लक्ष्मी आई है. और कुछ ही देर बाद लोग कहना शुरू कर देते है, अरे यह तो पराया धन है. .इस धन को पराया मत कहिये, बल्कि भगवान का एक वरदान कहिये जो आपकी ही नहीं उसकी जिंदगी में भी सुख शांति ला सकती है ,जिसकी वह हमसफर बनती है. कायम की मिसाल, बेटी के जन्म पर गाया सोहर अक्सर बेटों के जन्म पर ही सोहर गाये जाते है.लेकिन जीरादेई प्रखंड के पुखरेड़ा निवासी प्रियंका देवी ने बेटी के जन्म पर सोहर गाकर मिसाल कायम की. बिटिया के जन्म पर उसका स्वागत गुलाब की पंखुड़ियों व सोहर से किया गया था. बेटी के जन्म पर परिवारवालों ने आरती उतारकर और फीता काटकर उसका गृह प्रवेश कराया था.पोती के आगमन की खुशी में परदादा रामनरेश द्विवेदी ने बिटिया के हाथों से स्पर्श कराने के बाद आम का पौधा लगवाया था.
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