शराबकांड के चौथे दिन भी सीएचसी पहुंच रहे हैं मरीज

बसंतपुर. भगवानपुर हाट प्रखंड से शुरू हुआ जहरीली शराब का तांडव गुरुवार की देर रात तक जारी रहा. गुरुवार की रात लगभग साढ़े आठ बजे बसंतपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में लकड़ी नबीगंज क्षेत्र से तबीयत बिगड़ने पर परिजन एक युवक को ले कर पहुंचे.आंख से कम दिखाई देने व घबराहट की शिकायत पर चिकित्सकों ने उसका प्राथमिक उपाचार कर स्थिति गंभीर देख पीएमसीएच रेफर कर दिया.

By Prabhat Khabar News Desk | October 18, 2024 9:12 PM

संवाददाता, बसंतपुर. भगवानपुर हाट प्रखंड से शुरू हुआ जहरीली शराब का तांडव गुरुवार की देर रात तक जारी रहा. गुरुवार की रात लगभग साढ़े आठ बजे बसंतपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में लकड़ी नबीगंज क्षेत्र से तबीयत बिगड़ने पर परिजन एक युवक को ले कर पहुंचे.आंख से कम दिखाई देने व घबराहट की शिकायत पर चिकित्सकों ने उसका प्राथमिक उपाचार कर स्थिति गंभीर देख पीएमसीएच रेफर कर दिया. रेफर हुआ युवक गोपालगंज के बरौली थाना के बेलसंड के केदार साह का पुत्र मनीष कुमार (17) है. जो लकड़ी नबीगंज में किसी रिश्तेदार के घर आया था. इसी दौरान गुरुवार की देर रात लगभग 11.33 बजे बसंतपुर प्रखंड के बलथरा सोहिलपट्टी के प्रेमलाल राम के पुत्र रंजन राम (30) को गंभीर स्थिति में लेकर परिजन सीएचसी पहुंचे. जहां चिकित्सकों ने रंजन राम को मृत घोषित कर दिया. इधर तभी सूचना मिली की पीएमसीएच रेफर हुआ मनीष कुमार ने भी रास्ते में ही दम तोड़ दिया है. रुक-रुक कर मौत के आंकड़ों मे हो रहे इजाफे से पूरा क्षेत्र भयभीत है. शराब कांड के तीसरे दिन शुक्रवार की सुबह से ही कथित रूप से शराब का सेवन करने से बीमार हुए लोगों के आने का सिलसिला जारी हो गया. सुबह लकड़ी नबीगंज पीएचसी से बसंतपुर सीएचसी पहुंचे उज्जैना गांव के स्व सुरेश पांडेय के पुत्र सुदीप नारायण पांडेय (49) का इलाज शुरू हुआ. उसके बाद स्थिति मे सुधार नही होता देख चिकित्सकों ने पीएमसीएच रेफर कर दिया. उसके बाद गुरुवार की दोपहर आंख से धुंधला दिखाई देने व सांस लेने मे हो रही तकलीफ की शिकायत पर पड़ोसी के साथ बसंतपुर सीएचसी पहुंचे बसंतपुर प्रखंड के शामपुर निवासी स्व लक्षमण पांडेय के पुत्र मिथलेश पांडेय (40) का इलाज शुरू हुआ.उसके बाद उसे भी पीएमसीएच रेफर कर दिया गया.लेकिन वह इलाज के बाद घर लौट गया. इधर क्षेत्र मे लोग दबी जुबान कह रहे है की कथित तौर पर जहरीली शराब के सेवन से बीमार हुए कुछ मरीजों के परिजन निजी अस्पताल में इलाज के दौरान मौत होने पर प्रशासन को सूचना दिए बगैर भी अंतिम संस्कार कर दिया.

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