संवाददाता,सीवान. जिले के प्रखंड कार्यालयों में फर्जी डिग्री के आधार पर बड़ी संख्या में तकनीकी सहायकों के काम करने का मामला तूल पकड़ने लगा है.ऐसे ही छह तकनीकी सहायकों पर कार्रवाई की तलवार लटकने लगी है.प्रथम दृष्टया जांच में यह बात सामने आया है कि जिस संस्थान से टेक्निकल डिग्री लेने की बात कही गई है, उसकी वहां पढ़ाई ही नहीं होती है.ऐसे कर्मियों से एक सप्ताह में जवाब न देने पर विधिक कार्रवाई की चेतावनी दी गई है यह मामला जन सूचना अधिकार के तहत मांगे गये जवाब में सामने आया है.इस क्रम में जिला पंचायतराज पदाधिकारी कार्यालय के द्वारा ऐसे कर्मियों के कुलपति, बुन्देलखंड विश्वविद्यालय झांसी (उत्तर प्रदेश) से शैक्षणिक प्रमाणपत्रों के सत्यापन की मांग की गई थी. जिसके जवाब में बताया गया कि बुन्देलखंड विश्वविद्यालय द्वारा ऑनलाइन सत्यापन की प्रक्रिया अपनाई जा सकती है.ऑनलाइन सत्यापन में पाया गया कि वहां डिप्लोमा इन सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई नहीं होती है. ऐसे में विभाग का मानना है कि जांच के घेरे में आये तकनीकी सहायकों ने उच्चाधिकारियों को गुमराह कर फर्जी प्रमाण पत्र दाखिल कर नियुक्ति पायी है. जिला पंचायतराज पदाधिकारी कार्यालय ने ऐसे तकनीकी सहायकों से एक सप्ताह के अन्दर अपना स्पष्टीकरण समर्पित करने को कहा है.साथ ही चेतावनी दी गयी है कि निर्धारित अवधि के अन्दर आपका स्पष्टीकरण प्राप्त नहीं होता है तो समझा जायेगा कि उपरोक्त आरोप आपको स्वीकार्य है. ऐसे में नियोजन रद्द करने के लिये विधि सम्मत कार्रवाई की जायेगी.इस जांच के दायरे में प्रखंड मैरवा के तकनीकी सहायक अखिलेश कुमार राम,रघुनाथपुर की सुजाता कुमारी, दरौली के नागेंद्र राम व उत्तम कुमार राय , हसनपुरा के प्रमोद कुमार,आंदर के अमल कुमार शामिल हैं.इस संबंध में जिला पंचायत राज पदाधिकारी शैलेष कुमार चौधरी ने कहा कि प्रथम दृष्टया जांच में प्रमाणपत्र फर्जी संदिग्ध पाया गया है.ऐसे कर्मियों से एक सप्ताह के अंदर जवाब देने को कहा गया है.
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