बाघ के हमले में गाय की मौत, जंगल के बाहरी क्षेत्र में गौरों के आने से ग्रामीणों में दहशत
रामनगर : वाल्मीकि टाइगर परियोजना के रघिया जंगल से निकल कर बाघ ने एक गाय पर हमला कर दिया. वहां मौजूद लोगों के हो हल्ला करने पर बाघ ने उसे छोड़ दिया. थोड़ी देर तड़पने के बाद गाय की मौत हो गयी. इससे गांव के लोगों में दहशत का माहौल है.
रामनगर : वाल्मीकि टाइगर परियोजना के रघिया जंगल से निकल कर बाघ ने एक गाय पर हमला कर दिया. वहां मौजूद लोगों के हो हल्ला करने पर बाघ ने उसे छोड़ दिया. थोड़ी देर तड़पने के बाद गाय की मौत हो गयी. इससे गांव के लोगों में दहशत का माहौल है.
ग्रामीण ब्रजकिशोर साह ने बताया कि गाय गांव के बगीचे में चर रही थी. वहीं उस पर बाघ ने आकर हमला कर दिया. इसमें गाय की मौत हो गयी. पशुपालक की पहचान घोड़ाघाट निवासी रामाज्ञा यादव के पुत्र साधु यादव के रूप में हुई है. रघिया रेंजर रहीमुद्दीन अहमद ने बताया कि बाघ के हमले की सूचना मिली है. इसके लिए वनकर्मियों का दल भेजा गया है. यदि बाघ ने रिहाइशी क्षेत्र में शिकार किया होगा, तो पशुपालक को विभाग से मुआवजा दिलाने की कोशिश की जायेगी.
इस बीच, वीटीआर के गोबर्धना वन क्षेत्र कार्यालय के आस पास के जंगल में गौर (जंगली भैंसा) की आवाजाही बहुत बढ़ गयी है. इससे स्थानीय ग्रामीणों सहित वन कर्मियों में दहशत कायम हो गया है.
करीब 10 की झुंड में वन क्षेत्र कार्यालय के समीप देखा जा रहा है. इसके तकरीबन पांच सौ मीटर पीछे तीन लालटेन चौक के समीप भी इनको देखा गया. जंगल के समीप के ग्रामीण भी इनको इधर देख चुके हैं. इनके हमले के डर से पशुपालक और ग्रामीण जंगल के समीप भी नहीं जा रहे हैं. सीमावर्ती ग्रामीणों ने बताया कि जंगली भैंसा बहुत ही खतरनाक होते है. इसलिए सावधानी बहुत ही जरूरी है.
इस बाबत गोबर्धना रेंजर मानवेंद्रनाथ चौधरी ने बताया कि पिछले एक सप्ताह में दो बार तीन लालटेन चौक के आस पास गौर देखे जा चुके हैं. ये करीब 10 की झुंड में दिखते हैं. एहतियात के तौर पर वनवर्ती गांवों को मुनादी कर सचेत कर दिया गया है. ताकि वे इनके हमले से बचाव के लिए अपने घरों में सुरक्षित रहे. जंगल में घुसने पर कभी खतरा हो सकता है.
posted by ashish jha