मरीज के मौत पर चिकित्सक को 8.30 लाख का जुर्माना
सीवान.जिला उपभोक्ता आयोग ने गलत इलाज के चलते मरीज के मौत के मामले में चिकित्सक को दोषी माना है.इसके तहत पीड़ित परिवार को 8.30 लाख रूपये जुर्माना के रूप में भुगतान करने का चिकित्सक को आदेश दिया है.
सीवान.जिला उपभोक्ता आयोग ने गलत इलाज के चलते मरीज के मौत के मामले में चिकित्सक को दोषी माना है.इसके तहत पीड़ित परिवार को 8.30 लाख रूपये जुर्माना के रूप में भुगतान करने का चिकित्सक को आदेश दिया है.गुठनी निवासी रामजनक राम अपने पुत्र का इलाज गुठनी स्थित डॉ वकील सिंह चौहान के यहां 100 रूपये परामर्श शुल्क देकर 15 दिसंबर 2015 को कराया. डॉ चौहान ने शिकायतकर्ता के पुत्र अनिल कुमार के हाइड्रोसील का तुरंत ऑपरेशन करने का सलाह दिया. शिकायतकर्ता ने डॉक्टर को ऑपरेशन शुल्क दिया तथा डॉक्टर द्वारा लिखी दवाइयों को भी खरीदा. डॉक्टर चौहान ने बिना कोई जांच कराये शिकायतकर्ता के पुत्र का ऑपरेशन कर दिया. ऑपरेशन के बाद भी रोगी अनिल कुमार स्वस्थ नहीं हुए और उनकी पीड़ा लगातार बढ़ती गई. अनिल कुमार लगातार डॉक्टर चौहान के संपर्क में रहा. डॉ चौहान ने अभिभावक से बिना अनुमति के शिकायतकर्ता के पुत्र का एक अंडकोष निकाल दिया. शिकायतकर्ता ने डॉ साहब से इसकी शिकायत भी किया और चिंता जताया कि अब उनका पुत्र संतानोत्पति नहीं कर सकता है लेकिन डॉ चौहान ने शिकायतकर्ता को बताया कि इससे कोई प्रभाव नहीं पड़ने वाला है. शिकायतकर्ता के पुत्र की स्थिति लगातार बिगड़ती गई. अंततः डॉक्टर चौहान ने मरीज को बीआरडी मेडिकल कॉलेज गोरखपुर रेफर कर दिया. लेकिन वहां चिकित्सक उपलब्ध नहीं होने के कारण शिकायतकर्ता अपने पुत्र को अन्य अस्पताल में भर्ती कराया. चिकित्सकों ने कई जांच कराए, रक्त भी चढ़ाया गया. स्वास्थ्य में सुधार नहीं होने पर शिकायतकर्ता ने अपने पुत्र को गोरखनाथ हॉस्पिटल में भर्ती कराया लेकिन दिनों दिन मरीज की स्थिति खराब होती गई और अंततः उसकी मृत्यु हो गई. शिकायतकर्ता ने डॉक्टर के त्रुटि पूर्ण सेवा एवं लापरवाही का आरोप लगाते हुए उपभोक्ता आयोग में बाद वाद किया तथा हर्जाने के रूप में 8 लाख 45 हजार रुपए की मांग की. आयोग के अध्यक्ष जयराम प्रसाद और सदस्य आलोक कुमार सिन्हा ने उपलब्ध कागजातों गवाहों का विश्लेषण करते हुए डॉ वकील सिंह चौहान की सेवा में त्रुटि और लापरवाही पाया. आयोग ने विपक्षी डॉ वकील सिंह चौहान को शिकायतकर्ता के पुत्र की त्रुटि पूर्ण सेवा के आलोक में छह लाख, एक लाख बीस हजार मेडिकल खर्च,एक लाख मानसिक क्षति और दस हजार विधिक खर्च के रूप में कुल 8.30 लाख रुपये दो माह के अंदर जमा करने का आदेश दिया. साथ ही साथ यह भी बताया गया कि आदेश का अनुपालन नहीं करने की स्थिति में आयोग धारा 72 (1) उपभोक्ता संरक्षण कानून 2019 के अंतर्गत कड़ी कार्रवाई भी कर सकता है.