संववादादता, सीवान. जिला में बगैर प्रस्वीकृति के चल रहे तकरीबन एक हजार निजी विद्यालयों पर कार्रवाई की तलवार लटक गयी है. विभागीय निर्देश के आलोक में यदि 15 अगस्त पर संचालन के लिये सरकार से मंजूरी नहीं लेते हैं तो इन्हें बंद करने का आदेश जारी कर दिया जायेगा. इतना हीं नहीं 15 अगस्त तक मंजूरी लेने के साथ ही उन्हें शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत कमजोर व अलाभकारी बच्चों का नामांकन भी लेना होगा. इधर विभाग के इस फरमान से निजी विद्यालय संचालकों में हड़कंप मच गया है. 322 विद्यालयों को मिली है प्रस्वीकृत्ति- इधर शिक्षा विभाग के आकड़ें पर गौर करें तो जिले में सिर्फ 322 निजी विद्यालयों को ही प्रस्वीकृति मिली सकी है. शेष तकरीबन एक हजार से अधिक विद्यालय बिना प्रस्वीकृत्ति के ही चल रहे हैं. हालांकि बिना प्रस्वीकृत्ति प्राप्त विद्यालयों की संख्या को लेकर शिक्षा विभाग और प्राइवेट स्कूल एंड चिल्ड्रेन वेलफेयर एसोसियेसन के आंकड़ों में काफी विषमता है. शिक्षा विभाग के अधिकारी जहां ऐसे निजी विद्यालयों की संख्या तकरबीन 550 से 600 बता रहे हैं, वहीं एसोशियेसन का आकंड़ा तकरीबन एक हजार के आसपास है. प्राइवेट स्कूल एंड चिल्ड्रेन वेलफेयर एसोशियेशन सीवान के सचिव शिवजी प्रसाद का तर्क है कि सत्र 2021-22 में जिले के 12 सौ निजी विद्यालयों ने प्रस्वीकृति के लिये आवेदन किया था, जिसके तहत मात्र 322 निजी विद्यालयों का प्रस्वीकृति प्रदान की गयी. शेष 878 विद्यालयों को आज तक न तो प्रस्वीकृति ही प्रदान किया गया, और न ही उनके आवेदन को निरस्त ही किया गया. जबकि प्रस्वीकृति पूर्व प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी को जांच कर रिपोर्ट विभाग को सौंपनी थी. वहीं सचिव का दावा है कि इसके अलावे जिले में 200 से अधिक ऐसे विद्यालय है, जिन्होंने प्रस्वीकृति के लिये आवेदन नहीं किया है. 878 विद्यालयों को दुबारा आवेदन करना होगा- सत्र 2021-22 में जांच के नाम पर प्रस्वीकृति के लिये बचे 878 विद्यालयों को क्या दुबारा आवेदन करना हागा, इस सवाल पर डीपीओ एसएसए अशोक कुमार पांडे ने बताया कि इस संबंध में विभाग से क्या निर्देश प्राप्त होता है, उसके आलोक में अगला कदम उठाया जायेगा. सरकार के पास 12 हजार निजी विद्यालयों का आंकड़ा- शनिवार को पटना में हुई एक प्रेसवार्ता के दौरान प्राथमिक शिक्षा के निदेशक मिथिलेश मिश्र ने बताया था कि सरकार के पास सूबे में संचालित 12 हजार निजी विद्यालय का आंकड़ा है, यानी इतने ही विद्यालयों को सरकार ने प्रस्वीकृति प्रदान की है. जबकि सरकार का मानना है कि 40 हजार से अधिक निजी विद्यालय अपना कारोबार कर रहे हैं. इससे सरकार को नुकसान भी हो रहा है, महीने के लाखों रूपये कमाई करने वाले ये विद्यालय टैक्स भी नहीं दे रहे हैं.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है