Chhath Puja: बिहार के इस सूर्य मंदिर में एक आकार और रंग के हैं 462 सिरसोता, व्रतियों की हर मन्नत होती है पूरी

Chhath Puja: छठ का महापर्व मंगलवार को नहाय-खाय के साथ शुरू हो रहा है. कई लोग गंगा घाट और अपने घरों में इस व्रत को रखते हैं, वहीं कई लोग इस महापर्व को मनाने के लिए सूर्य मंदिरों में भी जाते हैं. आज हम आपको बिहार के एक ऐसे सूर्य मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां छठ पूजा पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ होती है. जानिए क्या है मंदिर की खासियत...

By Anand Shekhar | November 5, 2024 11:09 AM

Chhath Puja: बिहार के सीवान जिले के सिसवन प्रखंड के कचनार गांव की छठ पूजा जिले में हमेशा आकर्षण का केंद्र रहती है. यहां छठ माता के सिरसोता के साथ-साथ भगवान सूर्य का भी मंदिर है. यहां श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है. मान्यता है कि यहां मांगी गई हर मनोकामना पूरी होती है. लोग अपनी मनोकामना पूर्ण करने के लिए चैत्र और कार्तिक छठ पर यहां आते हैं.

2010 में हुआ मंदिर का निर्माण

स्थानीय लोगों की मानें तो औरंगाबाद के देव स्थित सूर्य मंदिर में मांगी गई मनोकामना पूरी होने पर कुछ लोग वहां गए थे. वहां से लौटने पर उन लोगों ने ग्रामीणों के सामने प्रस्ताव रखा कि यहां भी एक सूर्य मंदिर बनाया जाना चाहिए. बताया गया कि यहां 2010 में सूर्य मंदिर का निर्माण कराया गया था. यहां औरंगाबाद के देव स्थित सूर्य मंदिर के आकार का सूर्य मंदिर बनाया गया है.

बनारस से लाई गई भगवान भास्कर की प्रतिमा

इस मंदिर में बनारस से लाई गई भगवान सूर्य की तीन फुट की प्रतिमा स्थापित है. मंदिर की सुंदरता और भव्यता से प्रभावित होकर दूर-दूर से श्रद्धालु यहां अर्घ्य देने आते हैं. छठ के अवसर पर इस मंदिर में रौनक रहती है और प्रखंड के विभिन्न गांवों से छठ व्रती यहां अर्घ्य देने आते हैं. मंदिर में सूर्य भगवान के रथ को सात घोड़ों द्वारा खींचा जाता हुआ दिखाया गया है. भगवान भास्कर के रथ में दो पहिए हैं. इस मंदिर में भगवान श्री राम और सीता मैया की मूर्तियां भी स्थापित हैं.

मनोकामना पूरी होने पर लोग बनाते हैं सिरसोता

कचनार गांव के छठ घाट पर करीब 462 छोटे-छोटे सिरसोता बनाए गए हैं, जो यहां के छठ पर्व का अनूठा पहलू है. इस इलाके में इन आकृतियों को छठ माता की प्रतिमा माना जाता है. जब गांव वालों की मनोकामना पूरी होती है, तो वे स्वेच्छा से 10-10 के समूह में सिरसोता बनाते हैं. ये आकृतियां भले ही अलग-अलग लोगों द्वार बनाई गई हों, लेकिन ये सभी आकृतियां एक जैसी दिखती हैं. इनका आकार एक जैसा ही है.

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गांव में एक जैसे 462 सिरसोता हैं

एक ही आकार के ये सभी सिरसोता यह संदेश देते हैं कि छठ घाट पर अमीर-गरीब का कोई भेद नहीं है. स्थानीय ग्रामीणों ने बताया कि गांव में 462 सिरसोता हैं. सभी को एक ही रूप, एकरूप और एक ही आकार में रखने का मुख्य उद्देश्य सामंजस्य स्थापित करना है. गांव में सौहार्दपूर्ण कार्य किया गया है, जो एकता का सशक्त प्रमाण है.

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छठ पर उमड़ती है भीड़

कचनार सूर्य मंदिर के पास तालाब में छठ घाट का भी निर्माण किया गया है, जहां श्रद्धालु डूबते और उगते सूर्य को अर्घ्य देते हैं. कार्तिक और चैत्र छठ के दौरान आसपास के इलाकों से बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां छठ करने के लिए आते हैं और अपनी मनोकामना पूरी करने के लिए सूर्य भगवान से प्रार्थना करते हैं. इस दौरान यहां का माहौल भक्ति, आस्था और विश्वास से भरपूर हो जाता है.

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