आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं मत्स्य पालक

भीषण गर्मी के चलते क्षेत्र के तालाब सूखने के कारण मछली पालन पर संकट के बादल छाने लगे हैं. तालाबों,पोखरों सहित अन्य जलाशयों में कम हो रहे पानी की वजह से मछलियों के मरने आशंका है. मत्स्य पालन से जुड़े किसानों की चिताएं बढ़ गई हैं.

By Prabhat Khabar News Desk | April 28, 2024 9:44 PM

बड़हरिया. भीषण गर्मी के चलते क्षेत्र के तालाब सूखने के कारण मछली पालन पर संकट के बादल छाने लगे हैं. तालाबों,पोखरों सहित अन्य जलाशयों में कम हो रहे पानी की वजह से मछलियों के मरने आशंका है. मत्स्य पालन से जुड़े किसानों की चिताएं बढ़ गई हैं. वहीं मछली के उत्पादन पर भी प्रतिकूल असर पड़ रहा है.भीषण गर्मी से लोगों का बुरा हाल है. अधिकतम तापमान 43 डिग्री सेल्सियस है. पुराने तालाब तेजी से सूखते जा रहे हैं. नहरों की शाखाओं में पानी न होने के कारण वे पोखरों व तालाबों को निजी ट्यूबवेलों से भराई करने लगे हैं, लेकिन ट्यूबवेलों से इन तालाबों को भरना किसानों के बूते से बाहर है. डीजल महंगा होने के कारण उनके सामने आर्थिक संकट मुंह बाए खड़ा है. फिश हैचरी संचालक रमाशंकर प्रसाद निषाद का कहना है कि कुछ मत्स्य पालक तालाबों में पानी भरने के लिए बिजली मोटर का सहारा ले रहे हैं. लेकिन बिजली की अनियमित सप्लाई व लो वोल्टेज के कारण तालाब में पानी डालना कठिन हो रहा है. श्री निषाद कहते हैं कि पर्याप्त पानी में मछली का ग्रोथ होता है. इतना ही नहीं कुछ किसानों ने तो मछली पालन के लिए कई बैंकों से ऋण लिया हुआ है. बैंक का कर्ज बढ़ने के कारण आर्थिक संकट से जूझ रहे इन किसानों को ऋण भरने की चिंता सताने लगी है. इधर तालाब या पोखर में पानी नहीं रहेगा तो मछलियां मरने लगेंगी. मत्स्य पालक रमाशंकर निषाद कहते हैं कि यही हालात बने रहे तो पूंजी दाव पर है.विदित हो कि प्रखंड के यमुनागढ़, चौकी हसन, दीनदयालपुर, हरिहरपुर लालगढ़, लकड़ी दरगाह, भीमपुर, रसूलपुर, सुंदरपुर, मलिकटोला आदि में मत्स्य पालक इसी से अपनी जीविका चलाते हैं. वहीं प्रखंड के चौकीहसन, तीनभीड़िया, रसूलपुर, मथुरा पुर,विशुनपुरा, लकड़ी दरगाह आदि गांवों के मछुआरे इसी व्यवसाय पर आश्रित हैं. हैचरी संचालक व बिंद महासंघ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रमाशंकर प्रसाद निषाद ने सरकार से मांग की है कि कृषि आधारित बिजली का बिल माफ किया जाय. मछुआरों को विशेष अनुदान दिया जाय व विद्युत आपूर्ति नियमित किया जाये.

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