संवाददाता, महाराजगंज अब ग्राम पंचायतों व पंचायत समिति को जीएसटी नंबर लेना अनिवार्य कर दिया गया है, ताकि भ्रष्टाचार को रोका जा सके. भ्रष्टाचार को रोकने के लिए विभाग ने कवायद शुरू कर दी है. सभी पंचायत इकाइयों को जीएसटी नंबर लेना अनिवार्य कर दिया गया है. पत्र के अनुसार कार्य संवेदकों एवं आपूर्तिकर्ताओं को भुगतान के समय विहित शर्तों के अधीन टैक्स का हिसाब रखना होगा. पहले पंचायत इकाई के माध्यम से सरकार द्वारा संचालित योजनाओं के क्रियान्वयन में राशि के भुगतान के दौरान वेंडर जीएसटी से संबंधित दस्तावेज प्रस्तुत करते थे. बावजूद संबंधित विभाग इसका लेखा-जोखा नहीं रखते थे. अब पंचायतों के नाम से जीएसटी नंबर जेनरेट हो जाएगा तो उन्हें किसी भी योजना का बिल भुगतान के समय परेशानी नहीं होगी.
राशि कटौती करने के बाद भी रिटर्न फाइल नहीं किया जा रहा था. अब सभी पंचायत एवं पंचायत समितियों द्वारा सरकार से संचालित योजनाओं के क्रियान्वयन में जीएसटी व आयकर दोनों की कटौती होगी. अधिकारी से प्राप्त जानकारी के अनुसार किसी भी योजना के क्रियान्वयन में वेंडर द्वारा विपत्र पेश किए जाने पर पंचायत व पंचायत समिति द्वारा दो प्रतिशत जीएसटी तथा एक प्रतिशत आयकर की कटौती होगी. यह राशि इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के जरिए सरकार के खाते में जमा हो जाएगी. समय पर भुगतान नहीं करने पर पंचायत इकाइयों को ब्याज एवं विलंब फीस भी देना होगा.
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