प्रभुनाथ सिंह हत्या मामले में सगे भाईयों को आजीवन कारावास

अपर जिला सत्र न्यायाधीश प्रथम विजय कृष्ण सिंह की अदालत ने बहुचर्चित प्रभुनाथ सिंह हत्याकांड मामले में नामजद दो अभियुक्तों को आजीवन कारावास की सजा दी है. सजा पाये अभियुक्त सगे भाई हैं. 34 वर्ष बाद इस मामले का निष्पादन हुआ है. अदालत ने नामजद अभियुक्त सुरेंद्र हरिजन एवं वीरेंद्र हरिजन को भादवि की धारा 302 के अंतर्गत उम्र कैद एवं प्रत्येक पर एक-एक लाख रुपये आर्थिक दंड भी आरोपित किया है.

By Prabhat Khabar News Desk | January 29, 2025 9:09 PM

सीवान. अपर जिला सत्र न्यायाधीश प्रथम विजय कृष्ण सिंह की अदालत ने बहुचर्चित प्रभुनाथ सिंह हत्याकांड मामले में नामजद दो अभियुक्तों को आजीवन कारावास की सजा दी है. सजा पाये अभियुक्त सगे भाई हैं. 34 वर्ष बाद इस मामले का निष्पादन हुआ है. अदालत ने नामजद अभियुक्त सुरेंद्र हरिजन एवं वीरेंद्र हरिजन को भादवि की धारा 302 के अंतर्गत उम्र कैद एवं प्रत्येक पर एक-एक लाख रुपये आर्थिक दंड भी आरोपित किया है. अर्थ दंड की राशि का 75% पीड़ित परिवार के सदस्यों को विधिक सेवा प्राधिकार के माध्यम से भुगतान किया जायेगा. बताया जाता है कि दरौली थाना अंतर्गत बिस्वानिया गांव निवासी मृत्युंजय प्रसाद सिंह के घर मैनेजर के रूप में बासोपाली गांव निवासी प्रभुनाथ सिंह रहते थे तथा उनके कारोबार का देखरेख करते थे. 4 जून 1990 को मृत्युंजय सिंह पर कातिलाना हमला हुआ लेकिन वे अपने मैनेजर प्रभुनाथ सिंह के चलते बाल बाल बच गये. इसी क्रम में 6 जून 1990 की रात्रि में लगभग 50 से अधिक संख्या में तत्कालीन आइपीएफ उपद्रवी मृत्युंजय सिंह के घर पर हत्या करने की नीयत से आ धमके. उन्हें भगाने के लिए मृत्युंजय सिंह ने अपने लाइसेंसी गन से हवाई फायर भी किया. बन्दूक की आवाज पर उपद्रवी मैनेजर प्रभुनाथ सिंह को अपहरण कर झरही नदी के तट पर ले गए. मृत्युंजय सिंह अपने दल बल के साथ पहुंचते हैं तब तक प्रभुनाथ सिंह की गला रेत कर हत्या कर दी गई थी. मृत्युंजय सिंह के बयान पर आइपीएफ के 11 कार्यकर्ताओं के विरुद्ध नामजद प्राथमिकी दर्ज की गई थी. सुनवाई के दौरान दो अभियुक्त सुरेंद्र हरिजन एवं वीरेंद्र हरिजन दोषी पाये गये और अदालत ने उन्हें उम्रकैद दी है. शेष नौ अभियुक्तों को अदालत ने बरी कर दिया. दोनों अभियुक्त दरौली थाना अंतर्गत कुकुरभूखा गांव निवासी अभियोजन की ओर से मामले में सुदामा ठाकुर ने बहस किया जबकि बचाव पक्ष की ओर से अधिवक्ता नागेंद्र राय ने बहस किया.

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