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खरना पर आज शाम को प्रसाद ग्रहण करेंगी व्रती

''''उग हे सूरजदेव अरघ के बेरिया ... , दर्शन देहू न अपार हे दीनानाथ ... , मरवो रे सुगवा धनुष से .... कांचही बांस के बहंगिया .. जैसे पारंपरिक गीतों के बीच लोक आस्था के महापर्व छठ का चार दिवसीय अनुष्ठान मंगलवार को नहाय-खाय से शुरू हो गया. इसे लेकर सुबह से ही शहर से लेकर प्रखंडों के विभिन्न नदी तटों दरौली,सिसवन सहित अन्य नजदीकी गंगा घाट पर स्नान करने वाले व्रतियों की भीड़ उमड़ी.

संवाददाता,सीवान. ””””उग हे सूरजदेव अरघ के बेरिया … , दर्शन देहू न अपार हे दीनानाथ … , मरवो रे सुगवा धनुष से …. कांचही बांस के बहंगिया .. जैसे पारंपरिक गीतों के बीच लोक आस्था के महापर्व छठ का चार दिवसीय अनुष्ठान मंगलवार को नहाय-खाय से शुरू हो गया. इसे लेकर सुबह से ही शहर से लेकर प्रखंडों के विभिन्न नदी तटों दरौली,सिसवन सहित अन्य नजदीकी गंगा घाट पर स्नान करने वाले व्रतियों की भीड़ उमड़ी. प्रात: से ही स्नान करने के लिए शहर ग्रामीण क्षेत्रों में श्रद्धालुओं का सरयू व दहा नदी के तट पर आने की सिलसिला शुरू हो गया. सभी व्रतियों ने कद्दु भात को सात्विक ढंग से तैयार कर ग्रहण किया और पास पड़ोस के लोगों को भी प्रसाद के रूप में वितरित किया. महापर्व को लेकर जिले के शहरी व ग्रामीण इलाकों में चहल पहल काफी बढ़ गयी है . एक तरफ जहां पूजा के लिये जरूरी खरीदारी शुरू हो चुकी है . तो घरों में इसे लेकर सारी तैयारियां पूरी हो चुकी है . नदी घाटों पर तैयारियां अपने अंतिम चरण पर है .छठ पर्व को लेकर जगह-जगह घाटों की सफाई की जा रही है. प्रशासनिक अधिकारियों सहित जनप्रतिनिधियों द्वारा सफाई का जायजा भी लिया जा रहा है. बना कद्दू का व्यंजन , पूजा कर किया ग्रहण नहाय खाय को लेकर व्रती सुबह स्नान – ध्यान कर पूजा – अर्चना की . छठ व्रत का संकल्प लेकर नये चूल्हे पर पूरे पवित्रता के साथ खाना पकाया अरवा चावल , चने की दाल व कद्दू की सब्जी बनाये .फिर उसे ग्रहण कर अनुष्ठान की शुरुआत की . नहाय खाय में कद्दू का विशेष महत्व होने की वजह से छठ होने वाले हर घर में इसका एक व्यंजन बना . नहाय – खाय का प्रसाद ग्रहण करने के बाद व्रती खरना पूजन की तैयारी में जुट गये . छठ गीतों के माध्यम से व्रती लगाती हैं गुहार छठ पूजा में व्रत से जुड़े हर कार्य के लिये अलग – अलग गीतों का महत्व है . गेहूं धोने से लेकर व्रत के दौरान दउरा उठाने और अर्घ्य देने तक में इन गीतों से सूर्य देवता और छठ माता से गुहार लगाई जाती है . कोई पुत्र की कामना करता है तो कोई मांग के सिंदूर की व्रत करने वाली महिलाओं का कहना है कि हर कार्य से जुड़े गीत का अपना महत्व है . छठ गीत को सुनकर पता चलता है कि व्रती मायके से ससुराल तक की सुख – शांति के लिये छठ माता से प्रार्थना करती है.ले ले अईह हो भईया केरा के घवदिया… . फल और अन्य सामग्री की खरीदारी के लिये व्रती अपने भाई या पति का गीत गाकर गुहार लगाती हैं . छठ पर्व पर पूजा होने वाले घरों में एक सप्ताह पूर्व से हीं छठ गीत गाने की शुरूआत हो जाती है . घाट से लेकर सड़क तक रोशनी से सराबोर छठ को लेकर घाट से लेकर सड़क सभी रोशनी से सराबोर हैं . रंगीन और दुधिया रोशनी से जगमग करतीं सड़कों और घाटों की भव्यता देखते बन रही है . विभिन्न पूजा समितियों की ओर से बेहतर ब्यवस्था किया गया हैं . वहीं , घाट से लेकर सड़कों तक गूंज रहे छठी मइया के गीत शहर को छठमय बना रहे हैं . आज बनेगा खरना का प्रसाद व्रती बुधवार को खरना का प्रसाद बनायेंगी . व्रती पूरे दिन उपवास रहकर शाम में नदी – तालाब में स्नान कर खरना का प्रसाद खीर और रोटी या पूरी बनायेंगी . खरना के प्रसाद में गंगाजल , दूध , गुड़ , अरवा चावल का प्रयोग कर मिट्टी के चूल्हे और आम की लकड़ी से प्रसाद बनाने के बाद भगवान सूर्य को अर्पित करने के बाद ग्रहण करेंगी .

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