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खतरे के निशान से 31 सेमी ऊपर पहुंचा सरयू का जल स्तर

जिले में सरयू नदी के जल स्तर में लगातार वृद्धि होने से तटीय गांवों के लोगों में बाढ़ का खतरा मंडराने लगा है.कुछ निचले इलाकों में बाढ़ के पानी के प्रवेश कर जाने से खेती चौपट हो गयी है. सोमवार की शाम तक दरौली में सरयू नदी खतरे के निशान से 31 सें.मी.उपर बह रही थी, सिसवन में नदी का जल स्तर खतरे के निशान तक पहुंच गया.सिसवन में नदी का डेंजर लेबल 57.4 मीटर है.जिसे शाम तक पार करने की ओर नदी का जल स्तर बढ़ रहा था.

संवाददाता,सीवान.जिले में सरयू नदी के जल स्तर में लगातार वृद्धि होने से तटीय गांवों के लोगों में बाढ़ का खतरा मंडराने लगा है.कुछ निचले इलाकों में बाढ़ के पानी के प्रवेश कर जाने से खेती चौपट हो गयी है. सोमवार की शाम तक दरौली में सरयू नदी खतरे के निशान से 31 सें.मी.उपर बह रही थी, सिसवन में नदी का जल स्तर खतरे के निशान तक पहुंच गया.सिसवन में नदी का डेंजर लेबल 57.4 मीटर है.जिसे शाम तक पार करने की ओर नदी का जल स्तर बढ़ रहा था. हमारे गुठनी व दरौली संवाददाता के अनुसार सरयू नदी के बढ़ते जलस्तर से स्थानीय लोगों में से दहशत व्याप्त है.दरौली क्षेत्र में सरयू किनारे बसे लोगों की माने तो पिछले तीन दिनों में जलस्तर में निरंतर वृद्धि देखी गई. उन्होंने बताया कि लगातार मूसलाधार बारिश और बैराजों से पानी छोड़ने के बाद नदी में इस तरह का बदलाव देखा गया है. इस संबंध में जेइ सुनील कुमार पंडित ने बताया कि सरयू नदी का वर्तमान जलस्तर 61.130 मीटर है.नदी खतरे के निशान से 31 सेंटीमीटर उपर बह रही है.उन्होंने कहा कि इस तरह के जलस्तर बढ़ने और घटने से किसी भी तरह का नुकसान और खतरा नहीं होता. ग्रामीणों ने अंदेशा जताया कि बढ़ते जल स्तर से निचले इलाकों में पानी घुसने शुरू हो गये हैं. जिससे फसलों को काफी नुकसान होगा. ग्रामीणों का कहना है कि जल स्तर बढ़ने से मक्का, मूंगफली, बाजरा, अरहर, मूंग की फसलों को नुकसान है. उधर सरयू नदी का जलस्तर बढ़ने से गोगरा तटबंध पर दबाव और बढ़ गया है. वही निचले इलाकों में बाढ़ का पानी भी घुसने लगा है. जिससे फसलों को भारी नुकसान का अंदेशा है. बाढ़ से 200 घरों पर मंडराता है हर साल खतरा सरयू नदी में आने वाले बाढ़ से खेती योग्य भूमि को भारी नुकसान होता है. वही सरयू नदी के किनारे बसे गांवों सोहगरा, सोनहुला, श्रीकरपुर, गोहरुआ, गुठनी, योगियाडीह, तिरबलुआ, ग्यासपुर, बलुआ, मैरिटार, दरौली, नरौली, केवटलिया, डूमरहर, अमरपुर, गंगपुर, सिसवन के निचले इलाकों में पानी घुस जाता है. जबकि 200 घरों पर बाढ़ का खतरा मंडराता रहता है. विधायक ने विभाग पर लगाया लापरवाही का आरोप ग्रामीणों का आरोप था कि हर साल कटाव के बावजूद विभाग कोई त्वरित काम नहीं करता. जिससे बाढ़ से पूर्व कटाव को रोका जा सके. भाकपा माले विधायक सत्यदेव राम का कहना है कि विभाग की लापरवाही से मजदूर, गरीब, किसान और पिछड़े वर्ग के लोगों को भारी नुकसान हो रहा है. अधिकारियों और ठेकेदारों की मनमानी साफ झलकती है. वावजूद कटाव निरोधी कार्य को समय रहते पूरा नही किया जाता. इस पर कोई ठोस पहल नहीं किया जा रहा है. अभियंता व कर्मचारी रख रहे हैं नजर इस संबंध में कार्यपालक अभियंता मदन चंद्र चौधरी ने बताया कि गुठनी से लेकर सिसवन तक के इलाको की स्थिति सामान्य है. एसडीओ और जेई को समय समय पर बाढ़ और कटाव से संबंधी रिपोर्ट भेजने का निर्देश दिया गया हैं. बाढ़ नियंत्रण विभाग के अधिकारियों कर्मचारी कटाव संभावित क्षेत्रों में लगातार काम किए हुए हैं. और मजदूरों द्वारा बोरी में बालू भरकर किया गया है ताकि कटाव पर काबू पाया जा सके. डूबा गांव निवासी पंचायत समिति सदस्य के पति केदार ने प्रशासनिक व्यवस्थाओं पर प्रश्नचिन्ह खड़ा करते हुए कहा की समय रहते यदि विभाग द्वारा इस पर ठोस कार्यवाही की जाती तो संभव होता कि यह दिन नहीं देखने पड़ते पर जब समय रहता है तो विभागीय अधिकारियों और कर्मचारियों द्वारा सिर्फ और सिर्फ खानापूर्ति किया जाता है. उन्होंने बताया कि कटाव रोकने के लिए जो मोल्डर आदि बनाए गए थे वह अगले साल जलस्तर बढ़ने के साथ ही नदी में विलीन हो गये

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