खतियान निकालने में लोगों के छूट रहे हैं पसीने

महाराजगंज.अनुमंडल के विभिन्न प्रखंडों में जमीन का विशेष सर्वेक्षण शुरू हो गया है.गांवों में आमसभा आयोजन कर जमीन मालिकों से कागजात की मांग की जा रही है. अपनी जमीन के कागजात जुटाने में किसानों व ग्रामीणों के पसीने छूटने लगे हैं. बहुत से रैयत मालिक राजस्व कर्मचारी से लेकर प्रखंड व जिला मुख्यालय तक दौड़ लगा रहे हैं.

By Prabhat Khabar News Desk | September 7, 2024 10:06 PM

संवाददाता, महाराजगंज.अनुमंडल के विभिन्न प्रखंडों में जमीन का विशेष सर्वेक्षण शुरू हो गया है.गांवों में आमसभा आयोजन कर जमीन मालिकों से कागजात की मांग की जा रही है. अपनी जमीन के कागजात जुटाने में किसानों व ग्रामीणों के पसीने छूटने लगे हैं. बहुत से रैयत मालिक राजस्व कर्मचारी से लेकर प्रखंड व जिला मुख्यालय तक दौड़ लगा रहे हैं. सबसे अधिक वर्षों पूर्व में मौखिक रूप से सुविधा के हिसाब से अपनी जमीन की बदलैन करने वाले रैयत परेशान हो रहे हैं. सरकारी जमीन पर कब्जा कर घर व खेती करने वाले लोगों में भी बेचैनी दिख रही है. जमीन का सर्वेक्षण शुरू होते ही प्रखंड व जिला स्थित अभिलेखागार से खतियान का नकल निकालने वालों की भीड़ में 60 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई है. वर्तमान में प्रखंड मुख्यालय में औसतन प्रतिदिन 200 से 300 खतियान के चिरकुट दाखिल हो रहे हैं.प्रखंड कार्यालय में बढ़ती भीड़ को देखते हुए सुरक्षा कर्मी तैनात किये गये हैं. एक सप्ताह पहले तक यहां 60 से 100 खतियान के नकल के लिए चिरकुट पहुंच रहे थे. ट्रैकर एप भी का रहा मददः जमीन मालिकों की सुविधा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने ट्रैकर नामक मोबाइल एप भी लांच किया है, जो गूगल प्ले स्टोर से फ्री में डाउनलोड किया जा सकता है. फिर भी अधिकांश किसान भौतिक रूप से सर्वे कागजात जमा कराने और जुटाने में विश्वास कर रहे हैं. यही कारण है कि जिला मुख्यालय स्थित अभिलेखागार में सुबह से देर शाम तक खतियान के नकल निकालने वालों की भीड़ देखने को मिली रही. अभिलेखागार में कार्यरत कर्मी चिरकुट फॉर्म जमा करने का समय सुबह दस से दो बजे तक तय कर दिया है. इसके बाद तैयार खतियान का वितरण किया जाता है. अभिलेखागार के प्रशासी पदाधिकारी के अनुसार सबसे पहले चिरकुट युक्त आवेदन जमा होता है. इसके बाद जमा आवेदन को संबंधित अधिकारी से सीन कराया जाता है. इसके बाद कर्मचारी रेकर्ड मिलान करते हैं. इसके बाद स्कैन किया जाता है. और फिर आवेदक को बुलाकर खतियान का नकल सौंपा जाता है. इस पूरी प्रक्रिया में तीन से चार दिन लग रहे हैं. यहां के पदाधिकारी का दावा है कि किसी भी कीमत में आवेदक को सात दिन के अंदर खतियान का नकल सौंप दिया जाता है. सर्वे को लेकर अपने गांव पहुंच रहे परदेशी महाराजगंज अनुमंडल के हजारों लोग नौकरी, व्यापारी और अन्य पेशा के उद्देश्य से अन्य प्रदेशों में रहे हैं. लेकिन, जब से यहां जमीन सर्वे शुरू हुआ है, तो ऐसे परदेशी अपने बाप-दादा की जमीन पर स्वयं का स्वामित्व सिद्ध करने अपने पैतृक ग्राम पहुंच रहे हैं. बहुत से रैयत के पास लगान रसीद है, लेकिन खतियान व अन्य जरूरी कागजात नहीं है. ऐसे लोग राजस्व कर्मचारी, अंचलाधिकारी से लेकर अभिलेखागार पहुंच रहे हैं. क्या कहते हैं अधिकारी जमीन सर्वे शुरू होने के बाद प्रखंड समेत जिला मुख्यालय स्थित अभिलेखागार में भीड़ बढ़ गयी है,प्रत्येक दिन प्रखंड कार्यालय 60 सौ से 100 सौ लोग पहुंच रहे है. फिर भी प्रयास रहता है कि पूरी कागजी प्रक्रिया होने पर उसी दिन खतियान का नकल इश्यू कर दिया जाये. शत-प्रतिशत खतियान का काम करने पर जोर रहता है. जितेंद्र पासवान,सीओ, महाराजगंज

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

Next Article

Exit mobile version