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लौटने लगे परदेसी, ट्रेनों में खचाखच भीड़

छठ मनाने वाले परदेसी फिर वापस लौटने लगे हैं. दीपावली व लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा मनाने के लिए परदेसियों को घर आने का जितना उत्साह था, अब काम पर लौटने की उतनी ही जल्दी हैं. परदेशियों को अब काम पर लौटने की चिंता सताने लगी है. जिनके पास अपने काम की जगह लौटने की कन्फर्म टिकट है, वे तो बेफिक्र हैं, लेकिन जिनके पास कन्फर्म टिकट नहीं है, उनकी बेचैनी बढ़ी है.

सीवान. छठ मनाने वाले परदेसी फिर वापस लौटने लगे हैं. दीपावली व लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा मनाने के लिए परदेसियों को घर आने का जितना उत्साह था, अब काम पर लौटने की उतनी ही जल्दी हैं. परदेशियों को अब काम पर लौटने की चिंता सताने लगी है. जिनके पास अपने काम की जगह लौटने की कन्फर्म टिकट है, वे तो बेफिक्र हैं, लेकिन जिनके पास कन्फर्म टिकट नहीं है, उनकी बेचैनी बढ़ी है. टिकट के लिए लोग ट्रेवल एजेंसियों से भी संपर्क कर रहे हैं. लोग परेशान दिख रहे हैं. शनिवार को स्टेशन पर लोगों की भीड़ लगी रही. सीवान गोरखपुर रेलखंड में तकरीबन एक दर्जन जोड़ी ट्रेनें चल रही है. दिल्ली, मुम्बई व अन्य बड़े शहरों के लिए भी स्पेशल ट्रेनें है. लेकिन इसके बावजूद भी अपने काम पर लौटने वाले लोगों को काफी परेशान होना पड़ रहा है. करीब 15 दिन पहले दिल्ली से अपने घर लौटे अरुण मांझी ने बताया कि मुझे दिल्ली जाना है. एसी सेकेंड क्लास के लिए भी ट्राई किया, लेकिन वहां भी लंबा वेटिंग है. वे कहते हैं कि हवाई जहाज में भी काफी ज्यादा भीड़ है. हटिया जाने वाले चंदन चौरसिया बताते हैं कि अगर समय से काम पर नहीं पहुंचे तो नौकरी को खो जाने का भी भय है. टिकट के जुगाड़ में जुटे परदेसी दीपावली व छठ पर्व में घर आने वाले परदेसियों को अब वापस काम पर लौटने की चिंता सता रही है. सीवान से दूसरे प्रदेशों को जाने वाली सभी प्रमुख ट्रेनों में करीब दिसंबर तक किसी भी क्लास में कंफर्म सीट नहीं मिल रहा है. विशेष ट्रेनों में भी सीट नहीं मिल रहा है. नई दिल्ली जाने के लिए 13 जनवरी तक किसी भी ट्रेन में कंफर्म बर्थ नहीं है. अपने काम पर वापस लौटने के लिए परेदशी टिकट के जुगाड़ में हैं. मुंबई, गुजरात तथा असम जाने वाली ट्रेनों की हालत तो और ही खराब है. इन ट्रेनों में करीब दो माह तक किसी भी क्लास में सीट खाली नहीं है. कोलकता जाने के लिए करीब एक माह तक किसी भी ट्रेन में सीट नहीं है. सीवान से मथुरा जाने वाली ट्रेन में भी एक माह तक किसी भी क्लास में बर्थ नहीं होने के कारण लोगों को और परेशानी हो रही है. रात से ही तत्काल के लिए लग जाते हैं कतार में परदेश लौटने वाले लोगों का एक मात्र विकल्प तत्काल टिकट ही बचा है. रात्रि आठ बजे जब आरक्षण टिकट काउंटर बंद हो जाता है, तब लोग दूसरे दिन का तत्काल टिकट लेने के लिए कतार में लग जाते हैं. दूसरे दिन काउंटर खुलता है और टिकट नही मिलता है तो लोग मायूस होकर लौट जाते हैं. चार पहिया वाहनों की बढ़ी डिमांड ट्रेनों के अभाव और कम दूरी वाले शहरों के लिए फ्लाइट का किराया अपेक्षाकृत अधिक रहने के कारण छोटे वाहनों को रिजर्व कर लोग अपने काम पर लौट रहे हैं. टाटा, लखनऊ, कानपुर, गोरखपुर, इलाहाबाद, रांची, बोकारो, सिलीगुड़ी जैसे शहरों में काम करने वाले लोग स्कॉर्पियो, बोलेरो और सूमो जैसी गाड़ियों को बुक कर रहे हैं. इसी कारण चार पहिया वाहनों की पूछ बढ़ गई हैं. टिकट के बेचने वाले बिचौलिए हुए सक्रिय आरक्षण टिकटों की मांग अधिक होने के कारण टिकट बेचने वाले बिचौलिए सक्रिय हो गए हैं. बिचौलिए दो तरह से टिकट उपलब्ध कराने का दावा कर रहें हैं. कंफर्म टिकट नहीं मिलने से बस स्टैंड में लगी यात्रियों की भीड़ ट्रेनों की टिकट कंफर्म नहीं मिलने से अब वे बस के सहारा लेकर अपने गंतव्य तक पहुंचने में विवश हैं. लेकिन सीवान बस स्टैंड से रांची, टाटा, बोकारो, दिल्ली, सिलीगुड़ी सहित अन्य प्रदेश को जाने वाली बस में भी टिकट मिलना मुश्किल हो गया है. बस संचालक यात्रियों की भीड़ देख अपना टिकट किराया में भी वृद्धि कर दिए हैं. पहले दिल्ली जाने के लिए एक हजार से ग्यारह सौ रुपये लगते थे लेकिन अब 18 सौ रुपये लिया जा रहा है. यही नहीं यदि आपको मनचाहा सीट चाहिए तो उसके लिए अलग रुपए देने पड़ रहे हैं.

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