सीवान. जिले में बारिश कि बेरुखी ने किसानों की चिंता बढा दी है. धान की फसल इस समय खेतों में लहलहा रही होती थी, लेकिन इस बार बारिश थम जाने से धान सहित अन्य फसलें सूखने के कगार पर आ गयी है. धान के पौधों पर कीट प्रकोप शुरू हो गया है. सावन का पूरा माह सूखा निकल जाने से फसलों के विकास पर गहरा असर पड़ा है. लोगों को भादो में बारिश की उम्मीद थी, लेकिन लगातार धूप और बढ़ रहे तापमान के कारण फसलों में कीट का प्रकोप शुरू हो गया है. खेतों में खरपतवार अधिक उपज गये है, इससे पौधों को नुकसान हो रहा है. धान और मक्के की सूख रहीं फसलों को बचाने के लिए जहां उपलब्धता है, वहां पंप के सहारे सिंचाई हो रही. सितम्बर महीना भी एक सप्ताह बीत गया, पर किसानों को अभी भी पर्याप्त बारिश का इंतजार है. किसानों का कहना है कि जिले में चारों ओर सूखे जैसी स्थिति बन रही है. किसान अविनाश कुमार, बब्लू महतो, अजित कुमार व अन्य ने बताया की तापमान में लगातार उतार चढ़ाव को लेकर धान की फसलों में कई तरह के रोग लगने की संभावना रहती है. धान में रोग पौधों की पत्तियों के आधार पर छोटे छोटे भूरे रंग के धब्बे रहते हैं.यह समय के साथ बढ़ते हुए पत्तियों के सभी भागों में फैल कर कत्थई रंग में बदल जाता है. इससे पूरी पत्ती सूखने लगती है. फसल के उत्पादन में गिरावट आ जाती है. यदि रोग ज्यादा फैल जाता है, तो किसानों को काफी हानि होगी. दवा का करें छिड़काव कृषि समन्वयक अंजनी सिन्हा ने बताता कि किसान को फसल पर ध्यान देना चाहिए. धान की फसल में खैरा रोग जिंक की कमी के कारण होता है. पौधा बौना रह जाता है और फलन कम होती है. इसकी रोकथाम के लिए धान की फसल पर सात किग्रा जिंक सल्फेट व 30 किग्रा यूरिया में मिलाकर प्रति एकड़ प्रयोग करें. जो किसान पहले से यूरिया का प्रयोग कर चुके हैं, वे यूरिया की जगह बालू या भूरभूरा मिट्टी में मिलाकर इसका प्रयोग करें.
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