संवाददाता, सीवान. दाहा नदी संरक्षण अभियान के तहत रविवार को श्रमदान कर नदी की सफाई की गयी.दाहा नदी के संरक्षण के संदर्भ पर परिचर्चा भी आयोजित की गयी. विद्याभवन महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ. रीता कुमारी ने कहा कि नदी समस्त प्राणी के जीवन का आधार है. इसको जीवंत बनाए रखना हम सभी का कर्तव्य है. प्राचार्य ने सुझाव देते हुए कहा कि सबसे पहले पूल के दोनों और जालीनुमा संरचना की व्यवस्था करनी होगी. जिससे शहर के लोग कूड़ा ना फेंके और उन्हें नदी को सुरक्षित व साफ रखने के प्रति जागरूक करना होगा. जेसीबी के माध्यम से पुल के नीचे पड़ा मलवा को हटाना पड़ेगा. जिससे नदी के प्रवाह का अवरोध खुल सके. खास कर इस नदी को गंडक नदी से जोड़ दिया जाय तो नदी का प्राचीन अस्तित्व वापस आ जायेगा तथा आसपास के शहर एवं गावों का जलस्तर भी बढ़ जायेगा. जिसके फलस्वरूप हानिकारक रोगजनक जीवाणु मच्छर की पनपने की संभावना कम होगी. प्रो. रविंद्र नाथ पाठक ने कहा कि मनुष्य अपने हित में इतना पागल हो गया हैं कि पशु पक्षी की कोई चिंता नहीं हैं वह पशु पक्षी के जल के प्राकृतिक स्रोत को बाधित कर रहा है. इसी का नतीजा है कि इस नदी का इतना बुरा हाल हैं जो आने वाले दिनों में बहुत बड़ा संकट का कारण बन सकता है. शिक्षाविद् डा. गणेशदत पाठक ने कहा कि नदी कि सफाई और सौंदर्यीकरण के प्रयास से जहां एक तरफ रोजगार का अवसर सृजित होगा तथा वहीं जलसंचय के भंडारण से मत्स्य पालन भी किया जा सकेगा. नदी के प्रवाह मार्ग के आस पास भू जल स्तर पर भी सकारात्मक असर पड़ेगा. युवा चित्रकार रजनीश कुमार ने कहा कि नदी हमारी विरासत है. जिसका संरक्षण करना हम सबका कर्तव्य हैं. इसी कर्तव्य निर्वहन हेतु हम सभी इस नदी के सफाई का निरंतर प्रयास कर रहे हैं. प्रो. रीता शर्मा ने पनप रहे जीवाणुओं से बढ़ते गंदगी से महामारी की संभावना जताई. इस मौके पर प्रो. आर एस पांडेय, बाबू राम जी, शशि, सूरज, अभिमन्यु, गौरव, उत्कर्ष, सुमित आदि उपस्थित थे.
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