.बड़हरिया. भीषण गर्मी के बीच प्रखंड में किसान धान का बिचड़ा डालने को लेकर परेशान हैं. रोहिणी नक्षत्र बुधवार से शुरू हो चुका है जिसमें किसान परंपरागत रुप से धान का बिचड़ा गिराते रहे हैं. वहीं कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार 10 जून तक धान का बिचड़ा गिरा लेना उपयुक्त है. अभी तक नहरों में न तो पानी आया है व सारे नलकूप बंद पड़े हैं. नहर में पानी नहीं आने से धान का बिचड़ा डालने के लिए किसान आसमान की ओर टकटकी लगाए हैं. किसान परेशान हैं कि यदि नहर में पानी नहीं आया तो समय पर धान का बिचड़ा नहीं डाल पाएंगे.कुछ किसान डीजल पंपसेट के सहारे खेतों की सिचाई कर बिचड़ा डालने की तैयारी में जुट गए हैं. इससे उनपर आर्थिक बोझ पड़ना लाजमी है.नहरों की शाखाओं में पानी नहीं छोड़े जाने से किसानों की दिक्कतें बढ़ती जा रही है. प्रखंड के तमाम नलकूप विभिन्न कारणों से बंद पड़े हैं व नहरों की कुछ शाखाओं में आज तक पानी नहीं आया. रोहणी नक्षत्र में धान का बिचड़ा डालने की परंपरा रही है.किसान धान का बिचड़ा गिराने के लिए भूमिगत सिंचाई का सहारा लेना पड़ रहा है. वहीं किसान नहर में पानी नहीं होने के कारण जगह-जगह डीजल पंप सेट व विद्युत मोटर से धान का बिचड़ा डालने के प्रयास में जुटे हुए हैं. प्रगतिशील किसान मुकेश कुमार कहते हैं कि रोहिणी नक्षत्र चढ़ जाने के बावजूद अभी तक नहर की शाखाओं में पानी नहीं आने से धान का बिचड़ा डालने के लिए किसान परेशान हैं. यदि नहर में पानी नहीं आया तो समय पर धान का बिचड़ा नहीं डाल पाएंगे.किसानों ने कहा कि डीजल भी काफी महंगा हो गया है.उसके सहारे खेती कर पाना संभव नहीं है. बारिश हो जाती तो खेतों में पानी भर आता तो धान का बिचड़ा डालने में मदद मिलती. किसान महेश सिंह ने कहते हैं कि यदि प्रशासन नहरों में पानी उपलब्ध करा देता, तो किसानों को महंगे दामों पर खेत की सिचाई करने से राहत मिलती. रोहिणी नक्षत्र में धान का बिचड़ा डालना बेहद मुफीद माना गया है. किसान मनोज सिंह कहते हैं कि प्रखंड के तमाम सरकारी नलकूप बेकार पड़े हैं. उनका कहना है कि सरकार खेती-किसानी व किसानों के प्रति सजग नहीं है. सिंचाई के लिए कोई कार्य योजना नहीं बनने से आज भी खेती भगवान भरोसे है.
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