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नियमित नहीं हो रहा है कचरे का उठाव

लोहिया स्वच्छ बिहार अभियान के तहत पंचायतों व उसके वार्डों को कचरा मुक्त बनाने के लिए योजना की शुरुआत तो की गयी लेकिन स्वच्छता कर्मियों को समय पर मानदेय भुगतान का नहीं होने के अभाव में यह पूरी तरह धरातल पर दिख नहीं रहा है.

प्रतिनिधि गुठनी. लोहिया स्वच्छ बिहार अभियान के तहत पंचायतों व उसके वार्डों को कचरा मुक्त बनाने के लिए योजना की शुरुआत तो की गयी लेकिन स्वच्छता कर्मियों को समय पर मानदेय भुगतान का नहीं होने के अभाव में यह पूरी तरह धरातल पर दिख नहीं रहा है. ठोस और तरल अपशिष्ट प्रबंधन योजना के तहत पंचायतों का चयन किया गया था. फेज वन में दो पंचायतों का चयन हुआ था जबकि फेज टू में पांच पंचायतों का और फेज तीन में तीन पंचायतों का चयन किया गया था. योजना के तहत चयनित आठ पंचायतों में कचरा उठाव के लिए एक साल पहले डोर-टू-डोर संग्रहण का काम शुरू हुआ था. उसके निपटारा के लिए प्रखंड के आधा दर्जन से अधिक पंचायतों में अपशिष्ट कचरा प्रसंस्करण इकाई बनायी गयी थी. वहां कचरा का संग्रहण कर उसका प्रबंधन किया जाना था. प्रखंड के आधा दर्जन से अधिक पंचायतों में इस योजना ने दम तोड़ दिया है. वहीं इक्का-दुक्का पंचायतों को छोड़ अन्य जगहों पर नियमित तरीके से कचरा का उठाव तक नहीं किया जा रहा है. ॉ प्रखंड के आधा दर्जन से अधिक पंचायतों में गंदगी का अंबार लगा है. पंचायतों को सुंदर व स्वच्छ बनाने के लिए स्वच्छता के तहत लोगों को सूखा व गीला कचरा संग्रह के लिए नीली व हरी बाल्टी दी गयी थी. वह बाल्टी घरों की शोभा की वस्तु बन चुकी है. कचरा उठाव नहीं होने से ग्रामीण गंदगी को फिर से जहां तहां फेंक रहे हैं. प्रखंड के आठ पंचायतों में बनी इकाई बनी शोभा की वस्तु प्रखंड के चिताखाल, जतौर, विस्वार, टड़वा, बेलौर, सोनहुला, पड़री और सोहगरा पंचायतों में सात लाख 50 हजार से बनी इकाई बेकार पड़ी हुई है. इसके लिए स्वच्छताग्राही से लेकर पर्यवेक्षक तक का चयन किया गया. स्वच्छता ग्राही को ठेला व इ रिक्शा भी दिया गया. मनरेगा से प्रत्येक पंचायत में कचरे को जमा करने के लिए लगभग साढ़े सात लाख की लागत से बनी प्रसंस्करण इकाई आज ग्रामीणों को मुंह चिढ़ा रही है. विभागीय शिथिलता के कारण कई पंचायतों में आजतक हर घर से कचरा का उठाव काम शुरू नहीं हो सका. न ही कचरा की रिसाइक्लिंग शुरू हुई. रिसाइक्लिंग मशीन धूल फांक रही है. दस पंचायतों में से आठ में इकाई बनकर तैयार, नहीं होता नियमित उठाव प्रखंड के दस पंचायतों में से आठ पंचायतों में अपशिष्ट प्रसंस्करण इकाई बनकर तैयार है. लेकिन, महीनों से बेकार पड़ी हुई है. पंचायतों में एक स्वच्छता पर्यवेक्षक के साथ सभी वार्ड में एक-एक स्वच्छता कर्मी की बहाली की गयी. डस्टबिन से लेकर कचरा उठाव के संसाधन उपलब्ध कराए गए. घर-घर जाकर ठोस व तरल कचरा का उठाव शुरू भी हुआ. मिली जानकारी के अनुसार यूजर चार्ज के नाम पर 1 लाख 88 हजार 7 सौ रुपए वसूली भी हुई है. लेकिन, दूसरे वर्ष से इसमें शिथिलता आने लगी. वहीं बरपलिया पंचायत में 10 माह से कचरा का उठाव पूरी तरह से बंद है. स्वच्छता कर्मी मोहन प्रसाद ने बताया कि काम धीमा होने का कारण मानदेय का सात माह का भुगतान नहीं होना है. कर्मी अरुण कुमार बताते हैं कि हम लोगों को तीन हजार रुपए देने की बात हुई थी. वह भी समय पर नहीं मिलता है. कहते हैं बीडीओ- मुखिया व सचिव को कचरा का उठाव शुरू करवाने को कहा गया है. जल्द ही गीला व सूखा कचरा का उठाव शुरू करवा दिया जाएगा. स्वच्छता कर्मियों का मानदेय भुगतान होना था. कई लोगों को भुगतान हो चुका है. अन्य को आरटीजीएस के माध्यम से जल्द ही कर्मी के खाते में भेजा जायेगा. सभी पंचायतों में कचरा उठाव शुरू करवाने का प्रयास किया जा रहा है. डॉ संजय कुमार, बीडीओ

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