सीवान.
सदर अस्पताल के आपात कक्ष में इलाज कराने आने वाले मरीजों के जीवन के साथ अस्पताल प्रशासन द्वारा खिलवाड़ किया जा रहा है. गुरुवार की शाम में बसंतपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से हाइपोक्सिया की मरीज 60 वर्षीय वृद्ध महिला रेफर होकर सदर अस्पताल की आपात कक्ष में भर्ती हुई. डॉक्टर द्वारा जांच करने के बाद स्वास्थ्यकर्मियों को ऑक्सीजन लगाने का निर्देश दिया गया. पहले से एक ऑक्सीजन कांस्ट्रेटर से एक मरीज को दिए जा रहे कांस्ट्रेटर से महिला को भी ऑक्सीजन दिया जाने लगा. ऑक्सीजन लेबल काफी कम था एवं मरीज बेहोश थी. हालत में सुधार नहीं होने पर डॉक्टर द्वारा सिलिंडर से पाइप लाइन से आपूर्ति होने वाले ऑक्सीजन को लगाने की बात कही गयी. इस बात पर महिला स्वास्थ्यकर्मी द्वारा बताया गया कि पाइप से गैस आपूर्ति नहीं हो रही है. कहीं कोई खराबी है. इस संबंध में अन्य स्वास्थ्यकर्मियों द्वारा बताया गया कि कोई खराबी है. सिलिंडर से ही गैस को बंद किया गया है. स्वास्थ्यकर्मियों द्वारा बताया गया कि विशेष परिस्थिति में अधिकारियों के आदेश पर सिलिंडर से गैस दी जायेगी. परिजनों द्वारा विरोध जताने पर स्वास्थ्यकर्मियों ने मरीज को सिलिंडर से ऑक्सीजन देना शुरू किया. सिलिंडर से ऑक्सीजन मिलने के करीब एक घंटे बाद महिला की हालत में सुधार होने का तथा ऑक्सीजन लेबल 86 बताने लगा. पिछले लगभग 10 दिनों से सदर अस्पताल के आपात कक्ष सहित ओटी एवं वार्डों में कांस्ट्रेटर से ही ऑक्सीजन मरीजों को दी जा रही है. इस संबंध में अधीक्षक डॉक्टर अनिल कुमार सिंह का कहना है कि इस प्रकार की कोई सिलिंडर से ऑक्सीजन नहीं देने की रोक नहीं लगायी गयी है. जरूरत मंद सभी मरीजों के लिए ऑक्सीजन उपलब्ध है. ऑक्सीजन की खरीदारी भी की जा रही. इतना तो सच जरूर है कि खराब पड़े ऑक्सीजन प्लांट को ठीक करने के प्रति विभाग के अधिकारियों की रुचि इस लिए नहीं है कि 3 दिसंबर को नए मॉडल अस्पताल भवन के उद्घाटन के साथ नया ऑक्सीजन प्लांट मिला जायेगा. वो भी दिन दूर नहीं है कि अस्पताल प्रशासन पुराने ऑक्सीजन प्लांट को कबाड़ के भाव में बेच देगा.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है