सीवान. जिले में पांच चरणों में होने वाले पैक्स चुनाव को लेकर सरगर्मी तेज है. पहले चरण का नामांकन 11 नवंबर से होना है. इधर पैक्स में एक नवंबर से धान की खरीद चल रही है. एक सप्ताह बीत जाने के बाद भी धान खरीद में तेजी नहीं आई है. अभी तक मात्र 12 किसान से ही 112.600 एमटी धान की खरीद हुई है. आंकड़ों पर गौर करें तो साफ लग रहा है कि चुनाव में हार जीत की गणित के चक्कर में धान क्रय फंसता नजर आ रहा है. अभी भी तेरह प्रखंडों में एक भी क्रय समितियां ने खरीद शुरू नहीं की है. जिला प्रशासन में धान की खरीद को लेकर 113 समितियां का चयन किया है. इसमें 106 पैक्स और सात व्यापार मंडल शामिल है. इधर किसान पैक्स चुनाव में धान खरीद का मुद्दा बना रहे हैं. जिसके कारण वर्तमान पैक्स अध्यक्ष खरीदारी में रुचि नहीं दिखा रहे हैं. अध्यक्षों की डर सता रही है कि अगर धान खरीदते हैं तो नहीं खरीदने वाले किसान उनसे रुष्ट हो जाएंगे और वोट नहीं देंगे. इसके अलावा अगर हार जाते हैं तो सरकारी प्रक्रिया से गुजरने में भी परेशानी होगी क्योंकि अध्यक्ष के ही हस्ताक्षर से धान खरीद के लिए सीसी लोन होता है. चुनाव के समय नजदीक आते ही निवर्तमान पैक्स अध्यक्ष एवं भावी उम्मीदवार वोट मांगने के लिए गांवों में किसानों एवं मतदाताओं के पास पहुंच रहे हैं. पैक्स चुनाव में अधिकतर मतदाता जिले के किसान है.ऐसे में गांवों में वोट मांगने के लिए पहुंचने वाले निवर्तमान पैक्स अध्यक्ष एवं भावी उम्मीदवारों के समक्ष जिले के किसान समय पर समर्थन मूल्य पर धान की खरीदारी नहीं किए जाने का मुद्दा उठा रहे हैं. अपनी उपज सही दाम पर बेचने के लिए दर दर की ठोकर खाने वाले जिले के किसानों में काफी नाराजगी है. पैक्स चुनाव में भाग लेने वाले मतदाता रंजय कुमार, सुमन कुमार, घनश्याम ने बताया कि सीवान कृषि प्रधान जिला है. यहां के किसान खेती की बदौलत ही घर के सारे कार्यों का निष्पादन एवं साल भर के लिए भोजन का जुगाड़ करते हैं. जब धान व गेंहू खरीद का समय आता है तो प्रशासन एवं विभाग द्वारा बिलंब से सरकारी क्रय केंद्रों को खोला जाता है.जब सरकारी क्रय केंद्र खुलता हैं तो पैक्स अध्यक्षों के द्वारा धान में नमी है, दाना पुष्ट नहीं है, अभी सीसी की राशि विभाग नहीं दिया है. यह कहकर हम किसानों से सरकार के समर्थन मूल्य पर धान की खरीद नहीं की जाती है. किसानों ने बताया कि अंत में काफी भागदौड़ करने के बाद बाध्य होकर अपनी उपज बाजारों में व्यापारियों के हाथों औने—पौने दाम पर बेच देते हैं. जब भी चुनाव आता है पैक्स अध्यक्ष के पद पर चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवार तरह—तरह के वादे करते हैं. समय पर धान की खरीदारी कर सरकार के समर्थन मूल्य का लाभ देने की दावा करते हैं. लेकिन चुनाव जितने के बाद हम किसानों के समस्याओं के समाधान के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाते हैं.
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