प्रदूषण के मामले में पटना को मात दे रहा है सीवान
वायु प्रदूषण के मामले में सीवान सूबे की राजधानी को मात दे रहा है. पटना से ज्यादा खतरनाक हालत में जिले का वायु प्रदूषण स्तर है. वातावरण में बढ़ रही नमी व धूलकण मिलकर वायु को काफी सघन बना दे रहे हैं. जिससे प्रदूषण की मात्रा काफी बढ़ जा रही है. इस तरह की स्थिति पूरे मौसम में बनी रहने की उम्मीद है. मौसम में सुधार के बाद ही जिला वासियों को प्रदूषण से राहत मिल सकती है. सोमवार की दोपहर जीरादेई का एयर क्वालिटी 315 रिकार्ड किया गया. जबकि 250 से अधिक एक्यूआइ स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होना बताया जाता है.पटना में एयर क्वालिटी 250 के आसपास है
सीवान. वायु प्रदूषण के मामले में सीवान सूबे की राजधानी को मात दे रहा है. पटना से ज्यादा खतरनाक हालत में जिले का वायु प्रदूषण स्तर है. वातावरण में बढ़ रही नमी व धूलकण मिलकर वायु को काफी सघन बना दे रहे हैं. जिससे प्रदूषण की मात्रा काफी बढ़ जा रही है. इस तरह की स्थिति पूरे मौसम में बनी रहने की उम्मीद है. मौसम में सुधार के बाद ही जिला वासियों को प्रदूषण से राहत मिल सकती है. सोमवार की दोपहर जीरादेई का एयर क्वालिटी 315 रिकार्ड किया गया. जबकि 250 से अधिक एक्यूआइ स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होना बताया जाता है.पटना में एयर क्वालिटी 250 के आसपास है. यहां कोई बड़े कल कारखाने नहीं है. फिर भी यहां का एयर क्वालिटी इंडेक्स इतना हाई है. विशेषज्ञों का मानना है कि सर्दी के समय ठंड के चलते वातावरण का बाउंड्री लेयर नीचे आ जाता है. गर्मी के समय यह डेढ़ दो किलोमीटर तक की ऊंचाई पर रहता है. सर्दी में यह एक किलोमीटर से नीचे आ जाता है. वहीं हवा की रफ्तार कम भी हो जाती है. इसके चलते स्थानीय स्रोतों से निकलने वाले प्रदूषण इसी में फंसकर रह जाते हैं. इसके चलते हवा प्रदूषित हो रही है. बढ़ रही जहरीली हवा मानव जीवन के लिए जानलेवा हो सकती है. पेड़ों की कटान से बढ़ रहा प्रदूषण पर्यावरण विशेषज्ञ डॉ. मनोज कुमार गिरी का मानना है कि पेड़ों की तेजी से हो रही कटान और नये पौधों का रोपण न होने से भूमंडल में प्रदूषण की मात्रा लगातार बढ़ती जा रही है. हवा में घुले इस जहर से गंभीर बीमारियां भी तेजी से पांव पसार रही है. हर दस में नौ लोग दूषित हवा में सांस ले रहे है. वायु प्रदूषण के प्रभाव को कम करने के लिए अधिक से अधिक पौधारोपण की जरूरत है. सुबह व शाम में बिगड़ रहे हालात सुबह व शाम के वक्त जिले की हवा काफी खतरनाक लेवल पर पहुंच रही है.जिले की भौगोलिक बनावट के कारण प्रदूषण की समस्या बन रही है. यहां पर सुबह-शाम वातावरण में नमी काफी बढ़ जा रही है. नमी के साथ धूलकण मिल जाने से वायु की सघनता काफी बढ़ जा रही है. इससे एयर क्वालिटी इंडेक्स खतरनाक स्तर पर पहुंच जा रहा है. वही शहरी क्षेत्रों में यातायात व्यवस्था मुकम्मल नही होने के चलते जिले के शहरी जाम की स्थिति बनी रहती है. सड़क जाम भी वायु की गुणवत्ता को बिगाड़ रहा है.विशेषज्ञों का कहना है कि मौसम में सुधार के बाद प्रदूषण की स्थिति में सुधार होगा. सड़कों से उड़ रहे धूल समस्या का मूल कारण विशेषज्ञों का कहना है कि शहर सहित ग्रामीण सड़कों पर पड़ी धूलकण की परत प्रदूषण का मुख्य कारण है. अगर सड़कों से धूल की परत हटा ली जाए और बालू ढुलाई सही तरीके से की जाए तो प्रदूषण पर कुछ हद तक नियंत्रण पाया जा सकता है. इसके अलावा भवनों के निर्माण के दौरान भी नियमों का पालन करना अनिवार्य है. पराली व बायोमास को जलाना बिगाड़ रहा एयर क्वालिटी खेतों में पराली व बायोमास जलाने की कुरीति नई समस्या पैदा कर रही है.जिसके चलते एयर क्वालिटी गंभीर श्रेणी में पहुंच गया है .हालांकि प्रशासन द्वारा लोगों को पराली नही जलाने के लिए जागरूक किया जा रहा है.वही कृषि विभाग द्वारा भी किसानों को जागरूक किया जा रहा है.विभाग का सख्त आदेश है कि जो किसान पराली जलाते हुए पकड़े जाएंगे उनका रजिस्ट्रेशन रदद् कर दिया जाएगा.किसानों को शासन द्वारा दी जा रही सुविधाओं से वंचित होना पड़ेगा.कई किसानों का रजिस्ट्रेशन रदद् भी हुआ. बावजूद इसके लोग पराली को जला रहे है. शहर के आसपास कूड़ा जलाने से फैल रहा वायु प्रदूषण वायु प्रदूषण से जिला में हाहाकार मचा है. लेकिन कूड़ा निस्तारण की कोई व्यवस्था नहीं है. कूड़े को सड़कों के किनारे डाला जा रहा है, जिसमें बड़ी संख्या में प्लास्टिक व पॉलिथीन होती है, उसे जला दिया जाता है. जिससे वातावरण प्रदूषित हो रहा है. कूड़ा शहर के चारों ओर सड़कों के किनारे ही फेंक दिया जाता है. जिसे खाली करने के लिए नगरपालिका कर्मचारी ही कूड़े में आग लगा देते हैं, जिससे बड़े बड़े कूड़े के ढेर कई कई दिनों तक सुलगते रहते है.
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