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प्रति बोरी सौ रुपये अधिक दाम पर बिक रहा यूरिया

रबी में यूरिया की बढ़ी खपत के बीच कालाबाजारी के खेल ने किसानों का बजट बिगाड़ दिया है. मांग के अनुसार बाजार में आपूर्ति न होने से व्यवसायी मनमाने दाम पर यूरिया बेच रहे हैं.महंगी सिंचाई के साथ उर्वरकों का मनमाना दाम चूकता करना किसानों के लिए एक बड़ी परेशानी है.

संवाददाता,सीवान. रबी में यूरिया की बढ़ी खपत के बीच कालाबाजारी के खेल ने किसानों का बजट बिगाड़ दिया है. मांग के अनुसार बाजार में आपूर्ति न होने से व्यवसायी मनमाने दाम पर यूरिया बेच रहे हैं.महंगी सिंचाई के साथ उर्वरकों का मनमाना दाम चूकता करना किसानों के लिए एक बड़ी परेशानी है. रबी की फसल में यूरिया की खपत अधिक होती है. पौधे को हरियाली के साथ अधिक उपज के लिए रासायनिक यूरिया की आवश्यकता होती है. गेहूं की फसल को हरा भरा रखने के साथ ही बेहतर पैदावार के लिए दो से तीन बार यूरिया डालना पड़ता है. यूरिया न डालने से पैदावार कम होने की संभावना रहती है. किसान इसी भय से अपने खेत में यूरिया डालऐ है. विभाग ने बिस्कोमान के अलावा प्रखंड के विभिन्न क्षेत्रों में अनुज्ञप्तिधारी खाद विक्रेता को खाद वितरण के लिए अधिकृत किया है. बावजूद किसानों में निराशा है. यूरिया की कमी का फायदा उठाते हुए दुकानदार किसानों से अधिक दाम वसूल रहे हैं. दस दिन में नहीं आयी यूरिया की खेप रबी सीजन में जिले में 35 हजार टन यूरिया की जरूरत पड़ती है. जिसके आलोक में अब तक 18793 टन यूरिया की खपत हो चुकी है.खास बात यह है कि पिछले दस दिनों से यूरिया का रैक नहीं आया है. किल्लत बताकर यूरिया की कालाबाजारी धड़ल्ले से की जा रही है. हालांकि विभाग का कहना है कि 63 सौ टन यूरिया का स्टॉक मौजद है.विभाग द्वारा जिला स्तर पर टॉस्क फोर्स का गठन किया गया है, जो यूरिया की कालाबाजारी पर अंकुश लगाने का काम करती है.हालांकि इसकी कोई महत्वपूर्ण पहल नहीं दिख रही. इस बीच विभाग भी यूरिया के स्थान पर नैनो यूरिया का प्रयोग करने के लिये किसानों को प्रोत्साहित कर रहा है. किसान यूरिया खाद के लिए बाजार-हाट का चक्कर काट रहे हैं. तमाम तरह के विभागीय दावों के बावजूद जरूरत के मुताबिक यूरिया नहीं मिलने की शिकायत किसान कर रहे हैं. इधर क्षेत्र में यूरिया खाद की कालाबाजारी शुरू हो गई है. यूरिया की किल्लत का हवाला देकर दुकानदार मनमाना दर से खाद की बिक्री कर रहे हैं कई किसानों ने बताया कि यूरिया की एक बोरी की कीमत 266 रुपये है. जबकि दुकानदार किल्लत की बात कह 360 से 380 रुपये में बेच रहे हैं.ऐसे में एक सौ रूपये से अधिक तक प्रति बोरी किसानों को भुगतान करना पड़ रहा है.

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