संवाददाता,सीवान. शहर के मजहरुल हक बस स्टैंड पर यात्रियों से जुड़ी सुविधाओं की अनदेखी हो रही है. स्टैंड में गंदगी फैले रहना आमबात है. यात्री शेड के आसपास इस कदर गंदगी पसरी रहती है कि यहां एक क्षण भी रहना संक्रमण को दावत देने के बराबर है. इन दिनों शादी विवाह का सीजन चल रहा है. ग्रामीण क्षेत्रों व अन्य शहरों से लोग आ रहे है.ऐसे में बस स्टैंड पर यात्रियों की आवाजाही अचानक बढ़ गई हैं. यात्रियों को खुले में बैठ कर बसों का इंतजार करना पड़ता है. इस बस स्टैंड से तकरीबन 50 बसें दूसरे शहरों के लिए संचालित होती है. वही पूरे दिन की वाहनों का बात करे तो तकरीबन 200 की संख्या में बसे चलती है. जिससे प्रतिदिन हजारों से अधिक यात्री यात्रा कर रहे हैं, लेकिन यहां यात्री सुविधा के नाम पर कुछ नहीं है. बस स्टैंड का कार्यालय तक खंडहर बन चुका है, वहीं यात्री शेड ध्वस्त है. स्टैंड में दो चापाकल है लेकिन दोनों वर्षों से खराब है. यात्री तो दूर कर्मी को भी यत्र-तत्र रूकने व बैठने के लिए भटकना पड़ता है. स्टैंड परिसर में चारों तरफ गंदगी का अंबार लगा हुआ है, वहीं हल्की बारिश में भी परिसर में कीचड़ व जलजमाव से परेशानी बढ़ जाती है. यात्रियों को बस पर सवारी के लिए भी मशक्कत करनी पड़ती है. बावजूद अब तक इसकी व्यवस्था को सुदृढ़ करने को लेकर कोई पहल नहीं हो रही है. जिससे यात्रियों के साथ ही स्थानीय निवासियों में आक्रोश बढ़ रहा है.यात्रियों के लिए कोई सुविधा नही होने से यात्री धूप, गर्मी, बारिश का शिकार होने के लिए मजबूर होते रहे. बस स्टैंड से दिल्ली, पटना, सिलीगुड़ी,धनबाद,बोकारो,टाटा,रांची, बनारस,गोरखपुर,लखनऊ,मोतिहारी,मुजफ्फरपुर ,अंबाला , सहित अन्य शहरों के लिए बसें चलती है. सुविधाओं के अभाव के कारण झेलनी पड़ती है परेशानी पटना जाने वाले यात्री अमरेंद्र सिंह ने बताया कि बस स्टैंड में सुविधाओं का अभाव है. विशेषकर महिलाओं व बच्चों के लिए स्थिति बहुत ही खराब है. यहां न तो बैठने का और नहीं पानी पीने की ही व्यवस्था है. मनोहर खरवार ने बताया कि पहले अधिक सुविधाएं थी, लेकिन अब दिनों दिन सब कुछ बर्बाद हो गया और अधिकारी मौन बने हैं. स्थानीय निवासी विजय सिंह ने बताया कि बारिश में स्टैंड से बस तक पहुंचना भी मुश्किल होता है. चारों तरफ कीचड़ और जलजमाव होता है. महिला यात्रियों को होती है परेशानी बस स्टैंड में कहने को तो सुलभ शौचालय तो है, लेकिन वहां इतनी गंदगी रहती है कि यात्री अपनी नाक बंद कर मजबूरी में शौचालय का इस्तेमाल करते हैं. अधिकांश पुरुष यात्री तो खुले में ही किसी तरह से अपना काम चला लेते हैं, लेकिन महिला यात्रियों को सबसे ज्यादा परेशानी का सामना करना पड़ता है. यात्रियों की मानें तो बस स्टैंड के अंदर बने यात्री शेड के इर्द-गिर्द गंदगी पसरी रहती है. .
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