संवाददाता, सीवान. सूबे के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय के गृह जिले में स्वास्थ्य सेवा में सुधार के तमाम सरकारी दावे के बावजूद जमीनी हकीकत कुछ और ही है.जिले के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल सदर अस्पताल में स्वास्थ्य इंतजाम के लिहाज से प्रत्येक वर्ष करोड़ों रुपये खर्च होने के बाद भी हर तरफ अव्यवस्था का आलम है.जिसके चलते मरीज व उनके तीमरदार हर दिन परेशान हो रहे हैं. . मंगलवार की दोपहर प्रभात खबर टीम ने सदर अस्पताल का पड़ताल किया.जहां कई खामियां निकल कर बाहर आई. दोपहर 12: 38 बजे सदर अस्पताल के ओपीडी में मरीज़ों की काफी भीड़ लगी थी.लोग तेज धूप में सदर अस्पताल पहुंच रहे थे.लेकिन सदर अस्पताल के ओपीडी में भी पंखा का ब्यबस्था नही होने से काफी परेशान दिखे.वही रजिस्ट्रेशन के लिए काउंटर चलाया जा रहा था.लेकिन रजिस्ट्रेशन पोर्टल धीरे चलने के कारण मरीज सहित कर्मचारी भी काफी परेशान रहे .सदर अस्पताल में पहले जहां 700 से अधिक रजिस्ट्रेशन तीन काउंटर पर ही होता था.जो अब पोर्टल धीरे चलने के कारण 500 तक रह जाती हैं . जिसके कारण मरीज के साथ परिजन भी परेशान रह रहे हैं. मॉडल टीकाकरण केंद्र का एसी खराब शहरी टीकाकरण के सुदृढ़ीकरण के लिए मॉडल टीका केंद्र का उद्घाटन सूबे के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पाण्डेय ने 2019 में किया था.मॉडल टीकाकरण खुलने के बाद ग्रामीण क्षेत्रों से भी लोग बच्चो को टिका लगवाने पहुंचते थे.आज इसकी स्थिति काफी दयनीय हो गई है. जहां एसी तो दूर टीकाकरण केंद्र को पंखा भी नसीब नहीं हो रहा है. कर्मियों का कहना है कि महीनों से एसी खराब है कई बार शिकायत करने के बावजूद भी एसी की मरम्मत नहीं हो सकी. जिस कारण टीका केंद्र में आने वाले बच्चे काफी परेशान रहते हैं. तीन महीने में भी नही बन सका सदर अस्पताल का पंखा इधर सदर अस्पताल के ओपीडी में इलाज कराने आए लोगों को इस मौसम में काफी परेशानी होती है. जहां रजिस्ट्रेशन काउंटर पर अत्यधिक भीड होने के कारण उमस ज्यादा हो जाती है.जिससे मरीज परेशान रहते हैं. बीते तीन महीने पहले रजिस्ट्रेशन काउंटर के समीप लगा बड़ा पंखा खराब हो जाने के कारण उसे मरम्मत के लिए भेजा गया था. लेकिन तीन महीने में भी सदर अस्पताल की पंखा अब तक नहीं बन सकी है. जिसके कारण रजिस्ट्रेशन कराने वाले लोग उमस भरी इस गर्मी में काफी परेशान है. ड्रेस कोड में नही रहते है कर्मचारी सदर अस्पताल में तैनात कर्मचारी जिलाधिकारी के निर्देशों का भी पालन नहीं कर रहे हैं. जिलाधिकारी मुकुल कुमार गुप्ता के जांच के क्रम में कर्मचारियों को निर्देश दिया गया था कि सभी सदर अस्पताल कर्मचारी अपने ड्रेस कोड में रहेंगे. लेकिन कर्मचारी ड्रेस कोड में नहीं रहते हैं. जिससे लोगों को कर्मचारियों की पहचान करने में काफी दिक्कतें होती है. स्ट्रेचर पर गंदगी होने से मरीज को नही ले जाते है परिजन इमरजेंसी में तैनात वार्ड बॉय मरीज को आने के बाद स्ट्रेचर नहीं छूते हैं. वहीं दूसरी तरफ स्ट्रेचर पर खून के धब्बे, गंदगी होने के कारण लोग संक्रमण के खतरे से बचने के लिए मरीजों को स्ट्रेचर से नहीं ले जाते हैं .नियमानुसार प्रतिदिन स्ट्रेचर की साफ सफाई करनी है और उस पर एक चादर डालकर रखना है. लेकिन ऐसा नहीं होता है. ऐसा तब होता है जब किसी पदाधिकारी द्वारा सदर अस्पताल का जांच किया जाना हो. तब इस व्यवस्था को लागू किया जाता है और जब अस्पताल की जांच खत्म हो जाती है तो फिर उस चादर को हटा दिया जाता है और स्ट्रेचर बाहर ही पड़ी रहती है. एंबुलेंस से ही मरीज को उठा ले जाते हैं दलाल इधर सदर अस्पताल में दलालों के उठना बैठना लगा रहता हैं.जैसे ही एंबुलेंस से मरीज आते हैं उसे सदर अस्पताल में बिना दिखाए ही दलाल एंबुलेंस से लेकर चलें जाते हैं.सोमवार की संध्या एक सरकारी एम्बुलेंस से मरीज को लाया गया.जिसके बाद सदर अस्पताल में प्रवेश करते ही दलाल उसे प्राइवेट एंबुलेंस से लेकर चले गये. बोले जिम्मेवार जो भी कमियां है.उसे जांच कर दूर कर ली जायेगी. इस दिशा में विभाग सजग है. कमलजीत कुमार ,सदर अस्पताल प्रबंधक
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