संवाददाता,सीवान.सदर अस्पताल के आपात कक्ष से लेकर वार्ड में भर्ती मरीजों को ऑक्सीजन कंसंट्रेटर की मदद से ऑक्सीजन दिया जा रहा है.वार्ड में भर्ती मरीजों एवं एसएनसीयू में भर्ती बच्चों को ऑक्सीजन कंसंट्रेटर से काम चल सकता है.लेकिन आपात कक्ष जहां ठंड के मौसम सांस की तकलीफों के आने वाले मरीजों को ऑक्सीजन कंसंट्रेटर से ऑक्सीजन देना किसी भी दृष्टिकोण से उचित नहीं है.इस संबंध में जब स्वास्थ्यकर्मियों से पूछा जाता है तो बताया जाता है कि पाइप लाइन में ऑक्सीजन गैस उपलब्ध है.लेकिन ऑक्सीजन कंसंट्रेटर से ही कम चलाया जा रहा है. बताया जाता है कि सदर अस्पताल में ऑक्सीजन की अधिक खपत को देखते हुए अधीक्षक द्वारा पाइप के गैस का उपयोग करने के लिए मना किया गया है.सदर अस्पताल परिसर में पीएम केयर फंड से सदर अस्पताल में 1000 लीटर प्रति मिनट उत्पादन करने वाला लगाया गया ऑक्सीजन प्लांट खराब पड़ा है गैस आपूर्ति करने वाले एजेंसी ने बकाये की वसूली के लिए किया है उच्च न्यायालय में मुकदमा सदर अस्पताल को ऑक्सीजन गैस आपूर्ति करने वाली एजेंसी ने अपने बकाये लगभग 14 लाख रूपये की वसूली के लिए उच्च न्यायालय में मुकदमा किया है.बताया जाता है 5 जनवरी 2023 से ऑक्सीजन आपूर्ति करने वाली कंपनी का ऑक्सीजन का पैसा सदर अस्पताल द्वारा भुगतान नहीं किया गया है.बताया जाता है कि सदर अस्पताल में ऑक्सीजन का पैसा देने के लिए विभाग द्वारा कोई फंड नहीं दिया जाता है.करोना काल में तो विशेष फंड से भुगतान कर दिया जाता था.लेकिन स्थिति सामान्य होने के बाद विभाग द्वारा ऑक्सीजन के पैसे देने की व्यवस्था नहीं गई. लगभग एक साल से खराब पड़ा है ऑक्सीजन प्लांट कोरोना काल में ऑक्सीजन की समस्या को देखते हुए पीएम केयर फंड से सदर अस्पताल में 1000 लीटर प्रति मिनट उत्पादन करने की क्षमता वाला ऑक्सीजन प्लांट लगाया गया.सदर अस्पताल में लगाया गया ऑक्सीजन प्लांट पिछले एक साल से खराब पड़ा हुआ है. इसमें तकनीकी समस्या उत्पन्न हो गई है, लेकिन अभी भी अस्पताल प्रशासन द्वारा इसे ठीक नहीं कराया गया है.नतीजतन अब ऑक्सीजन प्लांट पूरी तरह अनुपयोगी साबित हो रहा है.ऑक्सीजन प्लांट को ठीक करने के प्रति अस्पताल प्रशासन पूरी तरह से पुरी तरह लापरवाह दिख रहा है. 10 जुलाई 2021 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा ऑक्सीजन प्लांट का वर्चुअल रूप से उद्घाटन किया गया. लेकिन इसे चलाने के लिए विभाग द्वारा आज तक ऑपरेटर की नियुक्ति नहीं की गई. जरूरत पड़ने पर अस्पताल के कर्मचारी ही इसे चालू करते थे. जानकारी एवं रखरखाव के अभाव में ऑक्सीजन प्लांट खराब हो गया. प्रतिदिन 10 हजार रुपये की होती है ऑक्सीजन सिलिंडर की खरीद सदर अस्पताल में मरीजों के लिए सिलिंडर के सहारे ऑक्सीजन की सप्लाई की जा रही थी. ऑक्सीजन खरीदने पर प्रतिदिन लगभग 10 हजार रुपए अस्पताल प्रशासन को खर्च करना पड़ रहा है. जबकि ऑक्सीजन प्लांट से अस्पताल प्रशासन को नि:शुल्क ऑक्सीजन प्राप्त होता था. केवल बिजली का खर्च वहन करना पड़ता है.सबसे ज्यादा ऑक्सीजन की खपत एसएनसीयू में होती है. वहां पर 10 से 15 बच्चे प्रतिदिन भर्ती होते हैं और ऑक्सीजन चलाने की स्थिति में एक बच्चे पर 24 घंटे में एक ऑक्सीजन सिलिंडर की खपत होती है.इसके अलावा इमरजेंसी में भी ऑक्सीजन की खपत होती है. इस तरह इन सभी वार्डों में प्रतिदिन 15 से 20 ऑक्सीजन सिलेंडर की खपत होती है. एक ऑक्सीजन सिलेंडर के खरीदारी और ट्रैवलिंग चार्ज पर लगभग 600 रुपए खर्च होता है. इस तरह प्रतिदिन अस्पताल प्रशासन को 10 हजार रुपए ऑक्सीजन के खरीदारी पर खर्च करना पड़ रहा है. बोले अधीक्षक जरूरत वाले मरीजों को पाइप लाइन से ऑक्सीजन गैस दी जा रही है.पहले सदर अस्पताल में ऑक्सीजन का काफी दुरुपयोग किया जा रहा था.मेरे योगदान करने के पहले से ऑक्सीजन गैस आपूर्ति करने वाले एजेंसी का पैसा बकाया है. डॉ अनिल कुमार सिंह,अधीक्षक,सदर अस्पताल,सीवान
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