संवाददाता, सीवान. संस्थागत प्रसव के मामले में सीवान जिले ने सूबे में 40 प्रतिशत से भी कम उपलब्धि हासिल की है. अन्य राज्यों की तरह अब बिहार में भी निजी अस्पतालों में होने वाले संस्थागत प्रसव के आंकड़े सरकारी पोर्टल पर अपलोड किये जायेंगे. क्लिनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट के तहत निबंधित किये जाने वाले संस्थानों को संस्थान में जन्म लेने वाले बच्चों का प्रतिवेदन अनिवार्य रूप से सिविल सर्जन कार्यालय को उपलब्ध कराये जाने का निदेश दिया गया.आंकड़े जुटाने के लिए स्वास्थ्य विभाग आशा की मदद लेगा. आशा अपने क्षेत्र के सभी निजी अस्पतालों में होने वाले संस्थागत प्रसव के आंकड़े इकठ्ठा कर विभाग को उपलब्ध करायेंगी. स्वास्थ्य विभाग बहुत जल्द अभियान चलाकर निजी अस्पतालों को क्लिनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट के तहत पंजीकृत करेगा. विभाग द्वारा निर्देश दिया गया है कि निजी संस्थान में जन्मे बच्चे का जन्म की जानकारी आशा रखे एवं सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में इसकी जानकारी दें. ताकि उसकी प्रविष्टि सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों द्वारा किया जा सके. सिजेरियन एवं एनेस्थीसिया चिकित्सक की कमी की स्थिति में ऑन कॉल पर चिकित्सकों को बुलाने एवं सिजेरियन ऑपरेशन कराये जाने का निर्देश स्वास्थ्य विभाग द्वारा पहले से दिया गया है. इसके लिए 10 हजार रूपये प्रति मरीज की दर से राशि देय है.इसके बाबजूद रेफरल अस्पताल की बात कौन कहे अनुमंडलीय अस्पताल महाराजगंज में सिजेरियन नहीं किया जाता है. मजबूरी में गरीब महिलाओं को सिजेरियन कराने के लिए किसी प्राइवेट अस्पताल या सदर अस्पताल में आना पड़ता है.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है