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सरयू का जल स्तर खतरे के निशान के पार

दरौली. दरौली के सरयू नदी में उफान जारी है. जलस्तर में लगातार वृद्धि को देखते हुए तटवर्ती इलाके के लोग काफी चिंतित नजर आ रहे हैं. प्रशासनिक आंकड़ों के मुताबिक सरयू नदी में 60.82 मीटर को खतरे का निशान निर्धारित किया गया है, जबकि वर्तमान में 61.5 मीटर पर सरयू नदी का जलस्तर दर्ज किया गया है. लोगों को 1998 में आयी तबाही याद आने लगी हैं.

संवाददाता ,दरौली. दरौली के सरयू नदी में उफान जारी है. जलस्तर में लगातार वृद्धि को देखते हुए तटवर्ती इलाके के लोग काफी चिंतित नजर आ रहे हैं. प्रशासनिक आंकड़ों के मुताबिक सरयू नदी में 60.82 मीटर को खतरे का निशान निर्धारित किया गया है, जबकि वर्तमान में 61.5 मीटर पर सरयू नदी का जलस्तर दर्ज किया गया है. लोगों को 1998 में आयी तबाही याद आने लगी हैं. बताया जाता है कि 1998 में सरयू नदी का जलस्तर 61.74 सेंटीमीटर तक पहुंच गया था. उस समय क्षेत्र में काफी तबाही हुई थी. दरौली के आसपास इलाकों में बाढ़ जैसा दृश्य नजर आ रहा था. इस बार भी नदी का जलस्तर खतरे के निशान के ऊपर होते हैं लोग अपने बचाव का विकल्प ढूंढने में लग जाते हैं. जलस्तर बढ़ने से दरौली के दूबा गांव नरौली के समीप भारी कटाव होने लगता है जिससे कृषि योग्य सैकड़ों एकड़ भूमि नदी में विलीन हो जाती है. गुठनी. पहाड़ी इलाकों में हो रही मूसलाधार बारिश और बैराजों से पानी छोड़ने के चलते नदियों में बाढ़ जैसे स्थिति हो गई है. सरयू व बूढ़ी गंडक खतरे के निशान से 25 सेंटीमीटर ऊपर बह रही है. बाढ़ नियंत्रण के जेइ सुनील कुमार पंडित द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक दरौली में सरयू नदी 61.07 घन सेंटीमीटर बह रही है. जो वार्निग लेबल से 25 सेंटीमीटर ऊपरहै. वहीं सिसवन में सरयू नदी 56.86 सेंटीमीटर पर बह रही है. ग्रामीणों का कहना है कि तीन दिनों से नदी के जलस्तर में तेजी से बढ़ोतरी हुआ है. वही विभाग द्वारा बनायी गयी टीम ने रविवार की सुबह सोहगरा से केवटलीया तक सरयू नदी के सटे इलाकों में गहनता से निरीक्षण किया. टीम ने कटाव करने, निचले इलाकों में पानी घुसने, खेती योग्य भूमि का नुकसान, आसपास के घरों पर खतरा, बांधों को खतरा, बांधों की सुरक्षा व्यवस्था को देखा. विभाग नदी द्वारा नये कटाव स्थलों का विश्लेषण कर उसकी रिपोर्ट बरीय अधिकारियों को भेजेगा. कटाव से खेती योग्य भूमि को होता है भारी नुकसान सरयू नदी द्वारा कटाव करने से खेती योग्य भूमि को भारी नुकसान होता है. जिनमे सोहगरा, सोनहुला, श्रीकरपुर, गोहरुआ, गुठनी, योगियाडीह, तिरबलुआ, ग्यासपुर, दरौली, नरौली, केवटलिया, डूमरहर, अमरपुर, गंगपुर, सिसवन गांव से सटे इलाकों में इस वर्ष लगभग सौ एकड़ ज़मीन पानी में बह गयी. ग्रामीणों का आरोप था कि हर साल कटाव के बावजूद विभाग कोई त्वरित काम नहीं करता. जिससे बाढ़ से पूर्व कटाव को रोका जा सके. माले विधायक सत्यदेव राम का कहना है कि विभाग की लापरवाही से मजदूर, गरीब, किसान और पिछड़े वर्ग के लोगों को भारी नुकसान हो रहा है. इसमें अधिकारियों और ठेकेदारों द्वारा मोटी और गाढ़ी कमाई करके अपना जेब भरा जा रहा है. लेकिन इस पर कोई ठोस पहल नहीं किया जा रहा है. आने वाले दिनों में पार्टी इस पर भी आंदोलन करेगी. इस संबंध में कार्यपालक अभियंता मदन चंद्र चौधरी ने बताया कि गुठनी से लेकर सिसवन तक के इलाको मे एसडीओ, जेई की तैनाती की गई है. उनको समय समय पर बाढ़ और कटाव से संबंधी रिपोर्ट भेजने का निर्देश दिया गया हैं.

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