सरयू उफान पर,निचले इलाकों में घुसने लगा बाढ़ का पानी
सरयू नदी के बढ़ते जल स्तर से स्थानीय लोगों में फिर से दहशत व्याप्त है. सरयू के किनारे बसे लोगों की माने तो चार दिनों में सरयू के जलस्तर में निरंतर वृद्धि देखी गयी बैराज से पानी छोड़ने के बाद नदी में इस तरह का बदलाव देखा गया है.
गुठनी. सरयू नदी के बढ़ते जल स्तर से स्थानीय लोगों में फिर से दहशत व्याप्त है. सरयू के किनारे बसे लोगों की माने तो चार दिनों में सरयू के जलस्तर में निरंतर वृद्धि देखी गयी बैराज से पानी छोड़ने के बाद नदी में इस तरह का बदलाव देखा गया है. जेइ सुनील कुमार पंडित ने बताया कि सरयू नदी का जलस्तर 61.270 है. जो वार्निंग लेवल से 1 मीटर 45 सेंटीमीटर ऊपर बह रहा है. जबकि डेंजर लेवल से .45 सेंटीमीटर ऊपर सरयू नदी बह रही है. बढ़ते जलस्तर से निचले इलाकों में पानी घुसने शुरू हो गया है जिससे फसलों को काफी नुकसान होगा. ग्रामीणों का कहना है कि अत्यधिक धान की फसल बाढ़ के पानी में डूब चुकी है. मक्का, मूंगफली, बाजरा, अरहर, मूंग की फसलों के नुकसान की चिंता सताने लगी है. खतरे के निशान से 0.45 सेंटीमीटर ऊपर जल स्तर सरयू नदी खतरे के निशान से 45 सेंटीमीटर ऊपर बह रही हैं. रविवार को जारी जल संसाधन विभाग के बुलेटिंग के अनुसार सरयू नदी वर्तमान जल स्तर 61.270 मीटर है. जो डेंजर लेबल से 0.45 ऊपर है. सरयू नदी का जलस्तर बढ़ने से गोगरा तटबंध पर दबाव और बढ़ गया है. वही निचले इलाकों में बाढ़ का पानी भी घुसने लगा है. जल स्तर बढ़ने से फसलों को भारी नुकसान होने की उम्मीद है. 200 घरों पर हर साल मंडराता है बाढ़ का खतरा सरयू नदी में आने वाले हर साल बाढ़ से खेती योग्य भूमि को भारी नुकसान होता है. वही सरयू नदी के किनारे बसे गांवों सोहगरा, सोनहुला, श्रीकरपुर, गोहरुआ, गुठनी, योगियाडीह, तिरबलुआ, ग्यासपुर, बलुआ, मैरिटार, दरौली, नरौली, केवटलिया, डूमरहर, अमरपुर, गंगपुर, सिसवन के निचले इलाकों में पानी घुस जाता है. जबकि 200 घरों पर बाढ़ का खतरा मंडराता रहता है. विधायक ने कहा, विभाग बना है लापरवाह ग्रामीणों का आरोप था कि हर साल कटाव के बावजूद विभाग कोई त्वरित काम नहीं करता. जिससे बाढ़ से पूर्व कटाव को रोका जा सके. स्थानीय विधायक सत्यदेव राम का कहना है कि विभाग की लापरवाही से मजदूर, गरीब, किसान और पिछड़े वर्ग के लोगों को भारी नुकसान हो रहा है. इसमें अधिकारियों और ठेकेदारों की मनमानी साफ झलकती है.कटाव निरोधी कार्य को समय रहते पूरा नही किया जाता. इस पर कोई ठोस पहल नहीं किया जा रहा है.
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