सीवान सीट पर एनडीए ने लगायी जीत की हैट्रिक

लोकसभा चुनाव के नतीजाें के साथ एनडीए ने सीवान सीट से हैट्रिक लगाने में कामयाबी हासिल की है.इसके साथ ही वर्ष 2009 में ओमप्रकाश यादव के निर्दलीय चुनाव जीतकर भाजपा में शामिल हो जाने से यहां का राजनीतिक समीकरण बदल गया था, जो समीकरण एनडीए की लगातार इस बार की तीसरी जीत से बरकरार है.

By Prabhat Khabar News Desk | June 4, 2024 10:24 PM

सीवान.लोकसभा चुनाव के नतीजाें के साथ एनडीए ने सीवान सीट से हैट्रिक लगाने में कामयाबी हासिल की है.इसके साथ ही वर्ष 2009 में ओमप्रकाश यादव के निर्दलीय चुनाव जीतकर भाजपा में शामिल हो जाने से यहां का राजनीतिक समीकरण बदल गया था, जो समीकरण एनडीए की लगातार इस बार की तीसरी जीत से बरकरार है. सीवान सीट से एनडीए गठबंधन के घटक दल जदयू से विजय लक्ष्मी देवी ने निर्दलीय हेना शहाब को हराकर जीत हासिल की है.इस विजय के साथ ही सीवान सीट ने कई इतिहास रचने का काम किया है.लगातार संसद में दूसरी बार सीवान के मतदाताओं ने महिला प्रत्याशी को प्रतिनिधित्व करने का मौका दिया है.जदयू से ही कविता सिंह ने वर्ष 2019 में लोकसभा चुनाव जीत कर सीवान सीट से पहली महिला सांसद होने का गौरव प्राप्त किया था. पहली बार वर्ष 2009 में निर्दलीय को मिली थी जीत सीवान लोकसभा सीट से पहली बार वर्ष 2009 में ओमप्रकाश यादव निर्दलीय चुनाव जीत कर संसद में पहुंचे थे.ओमप्रकाश ने राजद उम्मीदवार हेना शहाब को हरा कर यह जीत हासिल की थी.इसके बाद फिर एक बार वर्ष 2014 के चुनाव में भाजपा से ओमप्रकाश यादव ने यह जीत हासिल की.यह जीत भी राजद के हेना शहाब को हरा कर बीजेपी ने हासिल की थी.एनडीए के लिये यह जीत का क्रम लगातार चलता रहा है.एनडीए के घटक दल के रूप में सीवान सीट 2019 के चुनाव में जदयू के कोटे में चला गया.जिसका नतीजा रहा कि वर्ष 2019 व वर्ष 2024 का परिणाम भी एनडीए के हाथ लगा. सबसे अधिक कांग्रेस के कब्जे में रहा यह सीट लोकसभा की सीवान सीट का वर्ष 1957 में हुए पहले चुनाव में झूलन सिन्हा कांग्रेस पार्टी से जीते थे.इसके बाद 1962, 1967,1971 के चुनाव में कांग्रेस पार्टी के मोहम्मद यूसुफ लगातार तीन चुनाव जीते.इसके बाद 1977 के कांग्रेस विरोधी लहर में मृत्युंजय प्रसाद जनता पार्टी से चुनाव जीते थे. फिर 1980 का परिणाम कांग्रेस पार्टी के मोहम्मद यूसुफ के पक्ष में रहा.यह कांग्रेस पार्टी की जीत 1984 के चुनाव में अब्दुल गफूर को मिली. वर्ष 1989 में भाजपा से जनार्दन तिवारी ने जीत दर्ज कर गैर कांग्रेसी उम्मीदवारों की जीत का क्रम शुरू किया, जो लगातार बरकरार है.जनता दल से वर्ष 1991में बृषिण पटेल व 1996 में शहाबुद्दीन ने जीत दर्ज किया.इसके बाद राजद से 1998,1999, 2004 का चुनाव भी मो.शहाबुद्दीन ने जीती थी.इसके बाद आपराधिक मामले में न्यायालय से दोषी करार दिये जाने के चलते मो.शहाबुद्दीन चुनाव लड़ने से वंचित रह गये.ऐसे में उनकी पत्नी हेना शहाब को चुनाव मैदान में उतारा गया, पर लगातार चार चुनाव में हेना शहाब को हार मिली है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

Next Article

Exit mobile version