सीवान व गोपालगंज के वेटलैंड क्षेत्र में पक्षियों की होगी गिनती
जिले के दो व गोपालगंज के एक वेटलैंड क्षेत्र में एशियन जलपक्षियों की गिनती होगी. इसमें में पक्षियों की प्रजाति,आवक, प्रिय भोजन,प्रजनन व उनके निवासन की अवधि सहित अन्य महत्वपूर्ण जानकारी को शामिल किया जायेगा. इसके लिए सीवान जिला के सिसवन प्रखंड के मेहदार स्थित ऐतिहासिक महेंद्र नाथ सरोवर और पचरुखी प्रखंड के सरैया स्थित तालाब का चयन किया गया है. वहीं गोपालगंज जिला में पश्चिम चंपारण के बीटीआर क्षेत्र से गुजरकर आ रही गंडक नदी के एरिया में जल पक्षी गणना होगी. इसके अलावा सीमावर्ती सारण जिले के चार आद्र भूमि क्षेत्र को भी गणना में शामिल किया गया है.
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संवाददाता,सीवान. जिले के दो व गोपालगंज के एक वेटलैंड क्षेत्र में एशियन जलपक्षियों की गिनती होगी. इसमें में पक्षियों की प्रजाति,आवक, प्रिय भोजन,प्रजनन व उनके निवासन की अवधि सहित अन्य महत्वपूर्ण जानकारी को शामिल किया जायेगा. इसके लिए सीवान जिला के सिसवन प्रखंड के मेहदार स्थित ऐतिहासिक महेंद्र नाथ सरोवर और पचरुखी प्रखंड के सरैया स्थित तालाब का चयन किया गया है. वहीं गोपालगंज जिला में पश्चिम चंपारण के बीटीआर क्षेत्र से गुजरकर आ रही गंडक नदी के एरिया में जल पक्षी गणना होगी. इसके अलावा सीमावर्ती सारण जिले के चार आद्र भूमि क्षेत्र को भी गणना में शामिल किया गया है. गिनती के लिए पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग ने छह सदस्यीय पक्षी विशेषज्ञों की टीम बनाई है. तीम एक सप्ताह के अंदर सीवान और गोपालगंज में एक साथ गणना की प्रक्रिया शुरू करने जा रही है.यहां सिलही, घोंघल, गडवाल,लेसर व्हिसलिंग डक,साइबेरियन ब्लूथ्रोट,कॉमन किंगफिशर,बांज विंग्ड जैकाना व वेस्टर्न मार्श हैरियर सहित अन्य पक्षी की गिनती होगी. रिपोर्ट का आंकलन कर विकास और पक्षियों के संरक्षण की कार्ययोजना बनेगी यह गणना न केवल प्रवासी और स्थानीय पक्षियों की संख्या का आकलन करने के लिए की जा रही है, बल्कि इससे जलस्रोतों के पारिस्थितिकी तंत्र की सेहत का भी अंदाजा लगाया जायेगा. दूरबीन और कैमरों की मदद से पक्षियों की प्रत्यक्ष गणना की जायेगी. कुछ पक्षी प्रजातियों को उनकी आवाज के आधार पर पहचाना जायेगा.गणना को देखते हुए डीएफओ मेघा यादव का द्वारा लगातार तैयारी की जारी है. उन्होंने गणना से पहले महेंद्र नाथ सरोवर का निरीक्षण भी अपने टीम के साथ कर चुकी हैं. इसके पहले वर्ष 2018 में सरयू नदी में डाल्फिन की गिनती हुई थी. टीम नेतृत्वकर्ता को ग्रुप कॉर्डिनेटर बनाया गया है.विशेषज्ञों को इसी माह में गणना पूरा कर जल पक्षियों की विस्तृत संख्या रिपोर्ट पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग को देनी होगी.रिपोर्ट का आंकलन करते वेटलैंड(आर्द्र भूमि) एरिया के विकास और पक्षियों के संरक्षण की कार्ययोजना बनेगी. किसी पक्षी प्रजाति की संख्या में गिरावट मिलने पर संरक्षण के लिए उचित कदम उठाए जा सकेंगे डीएफओ ने बताया कि जल पक्षी गणना के लिए सीवान और गोपालगंज के तीन वेटलैंड एरिया में गणना के लिए विशेषज्ञों की टीम पहुंचेगी. इसी माह जल पक्षी गणना को पूरी की जायेगी. गणना से यह पता चलेगा कि अन्य वर्षों की तुलना में इस साल वेटलैंड क्षेत्रों में जल पक्षियों की संख्या कम हुई या बढ़ी है. बताया गया कि वेटलैंड (आर्द्रभूमि) किसी भी क्षेत्र के पारिस्थितिक तंत्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होते हैं. ये जलाशय जल संरक्षण, भूजल रिचार्ज, जैव विविधता संरक्षण और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने में सहायक होते हैं. इस कारण वेटलैंड्स में पायी जाने वाली पक्षी प्रजातियों की गणना करना न केवल पक्षियों के संरक्षण में मदद करता है, बल्कि इससे वेटलैंड की परिस्थिति को समझने में भी सहायता मिलती है. गणना के माध्यम से कौन-कौन से पक्षी यहां आते हैं और उनकी संख्या कितनी है, इसका विश्लेषण किया जायेगा. साथ ही यदि किसी पक्षी प्रजाति की संख्या में गिरावट पायी जाती है, तो उसके संरक्षण के लिए उचित कदम भी उठाए जा सकेंगे. जलवायु परिवर्तन के कारण प्रवासी पक्षियों के व्यवहार में आ रहे बदलावों को भी समझा जायेगा. पक्षियों की उपस्थिति से वेटलैंड की गुणवत्ता और उसकी सेहत का पता लगाया जा सकता है.
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