siwan news : क्लिनिकल स्थापना अधिनियम के तहत पंजीकृत नहीं है जिले का एक भी सरकारी अस्पताल
siwan news : स्वास्थ्य विभाग द्वारा निजी स्वास्थ्य संस्थानों को क्लिनिकल इस्टेब्लिशमेंट एक्ट (सीइए) 2010 यानी क्लिनिकल स्थापना अधिनियम के तहत पंजीकरण कराने के लिए दबाव दिया जाता है. लेकिन दुर्भाग्य की बात यह है कि सदर अस्पताल सहित जिले का कोई भी सरकारी स्वास्थ्य केंद्र क्लिनिकल इस्टेब्लिशमेंट एक्ट के तहत पंजीकृत नहीं है.
सीवान. स्वास्थ्य विभाग द्वारा निजी स्वास्थ्य संस्थानों को क्लिनिकल इस्टेब्लिशमेंट एक्ट (सीइए) 2010 यानी क्लिनिकल स्थापना अधिनियम के तहत पंजीकरण कराने के लिए दबाव दिया जाता है. लेकिन दुर्भाग्य की बात यह है कि सदर अस्पताल सहित जिले का कोई भी सरकारी स्वास्थ्य केंद्र क्लिनिकल इस्टेब्लिशमेंट एक्ट के तहत पंजीकृत नहीं है. क्लिनिकल इस्टेब्लिशमेंट एक्ट का उद्देश्य देश में सार्वजनिक स्वास्थ्य देखभाल की गुणवत्ता में सुधार के लिए न्यूनतम मानकों के आधार पर क्लिनिकल प्रतिष्ठानों को पंजीकृत और विनियमित करना है. क्लिनिकल इस्टेब्लिशमेंट एक्ट के तहत पंजीकरण कराने के लिए स्वास्थ्य संस्थानों को प्रदूषण, बायो मेडिकल हेजार्ड प्रोडक्ट्स मैनेजमेंट व फायर ऑडिट की रिपोर्ट देनी होती है. सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों को क्लिनिकल इस्टेब्लिशमेंट एक्ट के तहत पंजीकरण कराना बहुत ही आसान है. पंजीकरण सिविल सर्जन कार्यालय द्वारा किया जाता है. जिले में लगभग 200 स्वास्थ्य संस्थानों का क्लिनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट के तहत पंजीकरण किया गया है. इसमें एक भी सरकारी स्वास्थ्य केंद्र नहीं है.दो दिन पहले सदर अस्पताल द्वारा पंजीकरण के लिए आवेदन किया गया है. सदर अस्पताल में जल्द शुरू होनेवाला है डीएनबी कोर्स : सदर अस्पताल में डिप्लोमा के समकक्ष डिप्लोमेट ऑफ नेशनल बोर्ड (डीएनबी) कोर्स जल्द ही शुरू होने वाला है. डीएनबी कोर्स को शुरू करने के लिए विभाग द्वारा पहल करते हुए आवश्यक कागजातों की जब मांग की गयी, तो पता चला कि सदर अस्पताल का क्लिनिकल इस्टेब्लिशमेंट एक्ट के तहत पंजीकरण आज तक नहीं कराया गया है. स्वास्थ्य विभाग द्वारा सदर अस्पताल में पहले स्त्री व प्रसूति रोग व शिशु विभागों में इस कोर्स की शुरुआत करने की बात बतायी जा रही है. इसके बाद अन्य विभागों में इसका विस्तार किया जा सकता है. इसके तहत शिशु रोग एवं प्रसूति एवं स्त्री रोग से संबंधित की पढ़ाई होगी. बताया जा रहा है कि कोर्स का उद्देश्य अस्पतालों में विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी को दूर करना है. डीएनबी तीन साल का पोस्ट ग्रेजुएट कोर्स है. नेशनल बोर्ड ऑफ एग्जामिनेशन से अनुमति मिलने के बाद ही इस कोर्स की शुरुआत की जा सकती है. एमबीबीएस कोर्स पूरा करने के बाद मेडिकल छात्र विशेषज्ञता के लिए डीएनबी कोर्स की पढ़ाई करते हैं. सरकारी अस्पतालों का पंजीकरण नहीं, पर मिल रहा आयुष्मान भारत योजना का लाभ : आयुष्मान भारत योजना के तहत स्वास्थ्य संस्थानों को इंपैनल्ड होने के लिए क्लिनिकल इस्टेब्लिशमेंट एक्ट के तहत पंजीकरण होना जरूरी होता है. बताया जाता है कि 2018 में राज्य सरकार की अनुशंसा पर केंद्र द्वारा राज्य के सभी सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों को आयुष्मान भारत योजना के तहत मरीजों का इलाज करने के लिए इंपैनल्ड कर दिया गया. इंपैनल्ड होने के बाद स्वास्थ्य संस्थानों द्वारा लोगों को आयुष्मान भारत योजना के तहत इलाज तो शुरू कर दिया गया, लेकिन स्वास्थ्य संस्थानों ने क्लिनिकल इस्टेब्लिशमेंट एक्ट के तहत अपना पंजीकरण नहीं कराया. आज भी जिले के लगभग सभी सरकारी अस्पतालों में आयुष्मान भारत योजना के तहत मरीजों का इलाज किया जाता है. क्या कहते हैं जिम्मेदार : सदर अस्पताल के अधीक्षक डॉक्टर अनिल कुमार सिंह ने कहा कि डीएनबी कोर्स शुरू करने के लिए विभाग द्वारा पहल की गयी है. सदर अस्पताल का क्लिनिकल इस्टेब्लिशमेंट एक्ट के तहत पंजीकरण पहले से नहीं है. पंजीकरण होने के बाद डीएनबी कोर्स शुरू करने की प्रक्रिया शुरू होगी. सदर अस्पताल में शिशु रोग, प्रसूति एवं स्त्री रोग तथा एनेस्थीसिया विभाग में शुरू करने की योजना है.
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